बाल कहानीः दादा जी की नसीहतें
- पवित्रा अग्रवालअमितनई कॉलोनी में रहता था। उसके पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया था, उसमें दादाजी की उम्र के एक व्यक्ति और उनकी पत्नी थीं । वह लंगड़ा कर चलते थे और कड़क स्वभाव के थे। वह अपने साथ बहुत...
View Articleआलेखः युवा भारत का अमृत महोत्सव
– डॉ. जेन्नी शबनमभारत की स्वतन्त्रता का 75वाँ साल इस वर्ष पूरा हुआ है। यूँ कहें कि साल 2022 आज़ादी के नाम है। आज़ादी के इस अमृत महोत्सव की तैयारी हर तरफ़ बहुत ज़ोर-शोर हुई। हर जगह ख़ुशहाली का माहौल है। हर...
View Articleचोकाः मैं सूरज हूँ
- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ मैं सूरज हूँअस्ताचल जाऊँगाभोर होते हीफिर चला आऊँगाद्वार तुम्हारेकिरनों का दोना लेगीत अर्घ्य देमैं गुनगुनाऊँगारोकेंगे लोग,न रुकूँगा कभी मैंमिटाना चाहेंकैसे मिटूँगा...
View Articleसंस्मरणः पचासी पतझड़
- निर्देश निधि उसबार जब मैंने उसे देखा, तो लगा जैसे वह पचासी वसंतों में खिले फूलों की महक के स्थान पर सिर्फ पचासी पतझड़ों की वीरानी ओढ़े बैठी थी बुआ। घर में बेटा- बहू, पोती- पोते, धेवती- धेवते सबकी...
View Articleधरोहरः सिरपुर में है विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध विहार
- डॉ. रत्ना वर्माइसबार जब सिरपुर की यात्रा पर जाना हुआ तो लक्ष्मण मंदिर, राम मंदिर और के अलावा जिन स्थानों पर अधिक समय हमने बिताया, वह यहाँ अलग- अलग जगह पर मिले विभिन्न बौद्ध विहारों की यात्रा थी जो...
View Articleदोहेः सुबह सुहानी धूप
- शील कौशिकचकाचौंध है शहर में, पर चुप हैं मनमीत।हवा शहर की ले गई, गौरैया के गीत।। सोई है संवेदना, सोए हैं सम्बन्ध।वासंती अहसास का, कैसे हो अनुबन्ध।। चिड़िया बैठी डाल पर, रस्ता रही निहार।बिछुड़े साथी...
View Articleआलेखः 14 जनवरी मकर संक्रांति- भारतीय संस्कृति में सूर्य
- प्रमोद भार्गव आमतौरसे सूर्य को प्रकाश और गर्मी का अक्षुण्ण स्त्रोत माना जाता है, लेकिन अब वैज्ञानिक यह जान गए हैं कि यदि सूर्य का अस्तित्व समाप्त हो जाए तो पृथ्वी पर विचरण करने वाले सभी जीव-जंतु तीन...
View Articleअनकहीः नया साल, नया दिन, नया संकल्प
- डॉ. रत्ना वर्मा...तोआप कैसे शुरूआत कर रहे हैं नए साल के दिन और क्या नया करने का सोचा है इस साल, कोई नया संकल्प, नया काम आदि आदि? साल के खत्म होते- होते सबकी जुबान पर इसी तरह का सवाल होता है। पर...
View Articleउदंती.com, जनवरी 2023
वर्ष- 15, अंक- 5मुड़-मुड़कर क्या देखना, पीछे उड़ती धूल ।फूलों की खेती करो, हट जाएँगे शूल ।। इस अंक में अनकहीःनया साल, नया दिन, नया संकल्प - डॉ. रत्ना वर्माआलेखःमकर संक्रांति- भारतीय संस्कृति में सूर्य-...
View Articleजीवन दर्शनः सेवक का सम्मान
-विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.) कहा है कि श्रम से बड़ा कोई कर्म नहीं और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं बशर्ते सेवा हो अहंकार रहित। सेवा में अहंकार का कोई स्थान नहीं। यह तो मन में...
View Articleस्वास्थ्यः स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है पर्याप्त निद्रा
- डॉ. आर. बी. चौधरीसाइंसडेली में छपे एक अध्ययन के अनुसार 5 घंटे से कम सोने से शरीर में कई बीमारी पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है। दी न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, 50 साल की उम्र के आसपास पांच घंटे या उससे...
View Articleसॉनेटः प्रेम है अपना अधूरा
- प्रो. विनीत मोहन औदिच्यमेघ संतापों के काले, व्योम पर छाएऔर पीड़ा भी सघन सी, साथ में लाएसोचता ही रह गया मैं पी गया हालाअंग में प्रत्येक मेरे चुभ रहा भाला। पुष्प सा महका न जीवन, कष्ट है भारीनेत्र करके...
View Articleकिताबें - लोक संवेदना में रचे बसे मधुर-कर्णप्रिय लोकगीत
- डॉ. उपमा शर्मा पुस्तकः खड़ी बोली के लोकगीत ( लोकगीत-संग्रह): संकलन- वीर बाला काम्बोज, पृष्ठ: 40, मूल्य: 80 रुपये (पेपर बैक), ISBN:978-93-94221-55-0, प्रकाशक- अयन प्रकाशन, जे-19/39, राजापुरी, उत्तम...
View Articleकविताः एक समुद्री लहर- सा
- लिली मित्राकभी कभी खुद कोएक समुद्री लहर- सापाती हूँ... कई मनोभावों का एकसमग्र गठा हुआ रूपजो किसी ठोस अडिगचट्टान से टकरा जानेको तत्पर है... क्षितिज की अवलम्बनरेखा से बहुत कुछ भरे हुएखुद में, लहराती...
View Articleलघुकथाः औकात
- कृष्णानंद कृष्णपद के मद में आकंठ डूबे श्यामसुंदर दास ने कभी किसी को तरजीह नहीं दी। सबको एक ही लाठी से हांकते रहे। क्या घर, क्या बाहर सब जगह एक ही जैसा व्यवहार। चाहे वो मातहत कर्मचारी हो या पदाधिकारी...
View Articleलघुकथाः सुहाग-व्रत
- शकुन्तला किरणसावित्रीने जब सुहाग-पूजा के लिए रोज की सूती साड़ी ही पहनी तो सत्येन झल्ला पड़ा, ‘‘वहाँ सबके सामने यह साड़ी अच्छी लगेगी? वह लाल चुनरी वाली पहन जाओ न।’’‘‘हूँ?.....खूब बक्से भरे हैं न साड़ियों...
View Articleलघुकथाः टुकड़े-टुकड़े
- चन्द्रशेखर दुबेविधिवत्सम्बन्ध-विच्छेद हो जाने पर उन्होंने अपनी भूतपूर्व पत्नी की कोई भी वस्तु घर में न रहने दी। उसके पुराने वस्त्र महरी को दे दिए। जिन चित्रों में वह थी, उन चित्रों के टुकड़े-टुकड़े...
View Articleकविताः प्राणशक्ति
-भावना सक्सैनाघाम, पानी, शीत, आंधीवह सभी कुछ सह चुका हैवक्त का दरिया लबालबउसके ऊपर बह चुका है। पौ फ़टे से दिन ढले तकअनगिनत जो देखे दृश्यज़र्रा ज़र्रा रक्त में मिलधमनियों को गह चुका है। थाम न पाती...
View Articleव्यंग्यः मूर्खो से सावधान
- अख़तर अलीकुत्तो से सावधान रहने के साथ साथ मूर्खों से भी सावधान रहने की सख्त ज़रूरत है। अगर आप अपना पूरा ध्यान कुत्तो से सावधान होने में लगा दोगे तो हो सकता है आपको मूर्ख आकर काट देगा। कुत्ते वाले घर...
View Articleकहानीः तुम ठीक कहते थे
- सविता मिश्रा 'अक्षजा'“बहू..बहू..!” “.....बेटा..!” एक मिनट चुप्पी। “ओ नेहा..! नेहा बिटिया ..!” थोड़ी देर फिर से चुप्पी। “आह... सुन रहा है कोई?” अपना पूरा जोर लगाकर ऊँचे स्वर में चिल्लाई।“कोई नहीं...
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