लघुकथाः इमीटेशन
-खलील जिब्रान (अनुवाद :सुकेश साहनी)शरतकालमें मैंने अपने सभी दुखों को एकत्र कर अपने बगीचे में दफना दिया।जब अप्रैल में वसन्त ने धरती को अपने आलिंगन में लिया तो मेरे बगीचे में दूसरे फूलों से अलग बहुत ही...
View Articleव्यंग्यः भोजन के लिए हेल्पलाइन नम्बर
- गिरीश पंकजउसेभूख लगी थी, जैसे सबको लगती है। पर उसके पास भोजन नहीं था। जैसे बहुतों के पास नहीं होता। वह परेशान होकर भोजन की तलाश में था, जैसे कोई पराजित नेता विजय की तलाश में रहता है। लेकिन विजयश्री...
View Articleसॉनेटः कादंबरी
-प्रो. विनीत मोहन औदिच्यशृंगों पर आच्छादित स्वर्णिम परतें हृदय हुआ कुसुमित उसकी चिट्ठी पर लगे सिंदूर- सा नभ हुआ आलोकितसभी शब्द आए ओढ़कर व्यर्थ अभिमान की चादर भूल गया मैं लिखना उत्तर जो नयनों में उभरा...
View Articleकहानीः अनुगामिनी
- डॉ. बलराम अग्रवालपिछलेदिनों अनायास ही मुझे जब शारीरिक थकावट महसूस होने लगी, भूख कम और प्यास अधिक लगने लगी तो नीलू चिन्तित हो उठी। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। पत्नी अगर ठेठ भारतीय हो तो उसे अपने...
View Articleयादेंः यहाँ बदला वफ़ा का बेवफाई के सिवा क्या है...
- डॉ. दीपेन्द्र कामथानपद्मश्री, पाँच राष्ट्रीय और छह फिल्म फेयर अवार्ड वाले मोहम्मद रफ़ी साहब की कब्र का नामोनिशाँ नहीं ।रफ़ी साहब के बिना 42 साल कैसे गुज़र गए कभी महसूस ही नहीं हुआ, रफ़ी की आवाज़ आज भी...
View Articleविज्ञानः भाषा के साथ उसमें सहेजा ज्ञान भी लुप्त होता है
- स्रोत फीचर्सहाल ही में हुए अध्ययन के आधार पर ज्यूरिख विश्वविद्यालय में वैकासिक जीवविज्ञान और पर्यावरण अध्ययन विभाग में कार्यरत जोर्डी बसकोम्प्टे बताते हैं कि जब भी कोई भाषा विलुप्त होती है तो उसके...
View Articleवन्य जीवनः देवी देवताओं के वाहन- प्रकृति संरक्षण के प्रतीक
- बसन्त राघवमनुष्योंसे इतर जो जीव जंतु वन में रहते हैं, वे वन्य प्राणियों की श्रेणी में आते हैं । जन सुरक्षा की बात तो समझ में आती है, लेकिन वन्य प्राणियों की सुरक्षा कुछ लोगों को अटपटी सी लगती है और...
View Articleआलेख- वरदान बने बढ़ती आबादी
- प्रमोद भार्गव 15 नवंबर को दुनिया की आबादी 8 अरब को पार कर गई। भारत के संदर्भ में देखें तो हैरानी में डालने वाली बात यह होगी कि 2023 में हम आबादी की दृष्टि से चीन से आगे निकल जाएँगे। बढ़ती जनसंख्या...
View Articleसंस्कृतिः कश्मीरी महिलाओं का पारंपरिक आभूषण देझूर
- सरोज बालाआभूषण सदियों से नारियों की शोभा बढ़ाते आए हैं। आभूषणों ने न केवल महिलाओं की सुंदरता में चार चाँद लगाए बल्कि किसी भी महिला के परिवार की सामाजिक स्थिति और संस्कृति और को भी दर्शाते हैं।ऐसे ही...
View Articleअनकहीः खण्डित होती संवेदना
-डॉ. रत्ना वर्मा प्यारके 35टुकड़े??? क्या प्यार कोई जन्मदिन का केक है, जिसके टुकड़े- टुकड़े करके सबको बाँट दिया जाए। पर इन दिनों तो सब जगह यही चर्चा है कि प्यार में इतनी दरिंदगी! और तो और इस दिल दहला...
View Articleउदंती.com, दिसम्बर – 2022
चित्रकारः विज्ञान व्रत वर्ष- 15, अंक- 4इस दुनिया में कुछ बड़ा करने के लिए आपको सौ साल जीने की जरूरत नही है,बस एक दिन में ही ऐसा काम करों की पूरी दुनिया आपको सौ साल तक याद रखें। इस अंक मेंअनकहीः...
View Articleजीवन दर्शनः माटी कहे कुम्हार से: निर्णय से नियति
-विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल, म. प्र.)जीवनका कोई भी पहलू हो हम हर पल निर्णायक की भूमिका में होते हैं और हमारे निर्णय ही हमारी नियति तय करते हैं। जहाँ एक ओर अच्छे निर्णय का समापन सुखद...
View Articleआलेखः 12 जनवरी जयंती- मनुष्यता का विचार देने वाले स्वामी विवेकानंद
विचारमनुष्य के मनुष्य होने और बने रहने का प्रमाण हैं। विचार ही आचरण को प्रेरित करते हैं। भारतीय जीवन सनातन युग से विचार-वृत्ति का जीवन रहा है। प्राचीन ऋषियों के चिंतन-मनन से लेकर आधुनिक ऋषि विवेकानंद...
View Articleकविताः हो उदय अब सूर्य कोई
- मीनाक्षी शर्मा ‘मनस्वी’साँझ अब ढलने लगी है, पीर सी पलने लगी है ।हो उदय अब सूर्य कोई, आस फिर जगने लगी है ।। कितने भी झंझावात आएँ, ना उसे फिर वो डिगायें ।प्रेमसिक्त वाणी लिये, हों वेद की जैसे ऋचाएँ ।।...
View Articleव्यंग्यः भैया जी
- शंकर लाल माहेश्वरीभैया जीका नाम है भगवान् स्वरूप; किन्तु लोग इन्हें भाईचारे के कारण भैयाजी शब्द से संबोधित करते है। शादी-विवाह, मौत-मरकत, जाति-बिरादरी, जान-बरात, स्कूल-अस्पताल, थाना-चुगी नाका कहीं...
View Articleबाल कविताः खुद सूरज बन जाओ न
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव चिड़िया रानी, चिड़िया रानी, फुरर-फुरर कर कहाँ चली। दादी अम्मा जहाँ सुखातीं, छत पर बैठीं मूँगफली। चिड़िया रानी चिड़िया रानी, मूँगफली कैसी होती। मूँगफली होती है...
View Articleदो लघुकथाएँ- 1. पपेट शो, 2.देवो भवः
- दीपाली ठाकुर1. पपेट शो"आर! ""आरव. जल्दी आओ बेटा रिसेप्शन में जाना है न! आज, चलो जल्दी से तैयार हो जाओ।""क्या मम्मा अभी तो दस मिनट बस खेल"आरव ने झुंझलाकर कहा।"कल खेल लेना " -खुशबू ने अपनी चूड़ियों...
View Articleकविताः दुआ का पौधा
- रश्मि विभा त्रिपाठीमेरे आगेतनकर खड़ा थाक्या करतीपाँव छूने को चलीदुख मुझसे बड़ा थाअचानक उसकी आँखों मेंउतर आई खीज बड़ी पल में टूटी अकड़भीतर तक जल-भुन गयाऔर लौटना पड़ाउसेमुँह की खाएअपनी हार से...
View Articleतीन लघुकथाएँ- 1. वर्तमान का दंश, 2. खूबसूरत, 3, पहेली
- डॉ . सुषमा गुप्ता1. वर्तमान का दंश"और हीरो! क्या चल रहा है लाइफ में?"कईं सालों बाद मुम्बई से दिल्ली अपने छोटे भाई के घर आए रामनाथ जी ने अपने सत्रह साल के भतीजे से पूछा।"कुछ खास नहीं ताऊजी, बस...
View Articleकहानीः अजनबी
- प्रियंका गुप्ता सुबहके साढ़े छह बज गए थे और मोबाइल में बजती बाँसुरी की मधुर धुन से मेरी नींद पूरी तौर से खुल चुकी थी। जो थोड़ा-बहुत आलस बचा था, वह भी खिड़की से आती सुबह की मुलायम रोशनी ने भगा दिया।...
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