कविता
बोल, कुछ तो बोल - डॉ श्याम सुन्दर दीप्तिहाथो में कुछ -पकड़ने की ताक़त है नाफिर ख़ाली क्यों हैं ?पकड़, कुछ भी पकड़पैन, पत्थर, कॉलर,मशाल ।मुँह में ज़ुबान है नाशब्द हैंबोलने का गुण हैबोल, कुछ तो...
View Articleग़ज़ल
...जलता रहा- ऋतु कौशिकअश्क़ अपने ,आप ही पीता रहादरिया मेरी आँख में ठहरा रहाधूप मेरा जिस्म पिघलाती रही और साया देख कर जलता रहाकर ली थी उसने ग़मों से दोस्ती तब कहीं वो मुद्दतों ज़िन्दा रहा रात से यारी रही...
View Articleस्वास्थ्य
दाल की खाली होती कटोरी-भारत डोगराभारतमें सदियों से दालें जनसाधारण के लिए प्रोटीन का सबसे सामान्य व महत्त्वपूर्ण स्रोत रही हैं। अत: यह गहरी चिंता का विषय है कि दाल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में...
View Articleपर्यावरण
पेड़ - पवित्र, आध्यात्मिक और धर्म निरपेक्ष-डॉ. डी. बालसुब्रमण्यनजापान के कामाकुरा तीर्थ का 800 साल पुराना पूजनीय गिंको वृक्ष इस वर्ष मार्च में बर्फीली आँधी में गिर गया। तीर्थ के पुजारियों और साध्वियों...
View Articleवन्य जीवन
भारत में गिनती के रह गए हैंबाघ-प्रमोद भार्गव भारतमें इस समय 21राज्यों के 30,000बाघ के रहवासी क्षेत्रों में गिनती का काम चल रहा है। 2018में प्रथम चरण की हुई इस गिनती के आंकड़े बढ़ते क्रम में आ रहे है। यह...
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प्रेमदीप बन जाना-डॉ कविता भट्टमन में तम के हैं स्पंदनघृणा-द्वेष के हैं सहवासभीतर तो जड़ता के बंधननित अहंकार के मोहपाशअहं जलाना, मधुरता भरकर, प्रेमदीप बन जाना।गहन अँधेरे उस आँगन मेंबाहर ही दीपक हैं...
View Articleव्यंग्य
यमराज की डायरी का पन्ना-विजय विक्रान्तअपनेबारे में अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि धरती के बोझ का संतुलन रखने के लिये ही मेरा जनम हुआ है और शिवजी महाराज मेरे बड़े साहब (बॉस) हैं। धरती पर जब कभी भी...
View Articleकहानी
खरोंच-सुकेश साहनी फैक्ट्रीमें असेम्ब्ली लाइनों और कन्वेयर बेल्टों के माध्यम से हज़ारों चूज़ों को मांस के लिए रोज़ मारा जाता था। इस काम को करने में दूसरे वर्कर कतराते थे, पर मास्टर इसे 'मोगैम्बो खुश हुआ'की...
View Articleगीत
एक दीपक तुम जलाना-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’काल की गहरी निशा हैदर्द भीगी हर दिशा है।साथ तुम मेरा निभानानहीं पथ में छोड़ जाना।छोड़ दे जब साथ दुनियाकंठ से मुझको लगाना एक दीपक तुम जलाना।।गहन है मन का...
View Articleआलेख
संवेदना-सन्तोष तिवारीजीवनमें कुछ दृश्य मुझे हमेशा चुप कर देते हैं और सोचने पर विवश कर देते हैं। ऐसे दृश्यों से कई बार तो मेरा दूर-दूर तक कोई नाता न होने के बावज़ूद कोई रिश्ता बना लेने का मन करता है। मन...
View Articleललित निबंध
दिया टिमटिमा रहा है- विद्यानिवास मिश्र लोगकहेंगे कि दीवाली के दिन कुछ अधिक मात्रा में चढ़ाली है, नहीं तो जगर-मगर चारों ओर बिजली की ज्योति जगमग रही है और इसको यही सूझता है कि दिया, वह भी दिए नहीं, दिया...
View Articleअनकही
दिये की रोशनी और पटाखे... -डॉ. रत्ना वर्माइन दिनों मेरी सुबह की सैर और चाय ,पक्षियों की चहचआहट के बीच होती है। मेरे घर के आस- पास अच्छी हरियाली है और वहाँ अनेक तरह के पक्षी, जिनमें गौरैया, मुनिया,...
View Articleइस अंक में
उदंती.com, नवम्बर- 2018क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई...कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई। - हरिवंश राय बच्चनअनकहीःदिये की रोशनी और पटाखे... -डॉ. रत्ना वर्मानिबंधःदिया टिमटिमा रहा है...
View Articleजीवन दर्शन
सुख की खोज- विजय जोशी(पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)जीवन यात्रा के दौरान मनुष्य केवल दो ही स्थितियों से गुजरता है - सुख या दुख। ये दोनों अंतस के भाव हैं। समय सदा एक सा नहीं गुजरता। कभी कष्ट, कभी...
View Articleप्रेरक
स्वास्थ्य को संजोने वाले उपाय-निशांत मिश्राआपको आश्चर्य होता होगा कि आपके परिजनों या मित्रों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कभी बीमार नहीं पड़ते. जब दूसरे लोग बदलते मौसम की गड़बड़ियों जैसे जुकाम, वायरल, पेट...
View Articleकविता
सूरज-सारिका भूषणवह उगता हैगहराए अम्बर कोप्रकाशित करवह निकलता हैसारे अवसादों कोपीछे छोड़करवह चमकाता हैजीवन के खुरदुरे पलों कोरश्मियों से तराशकरवह समझाता हैअथक पहिए कीगति को सँभालकरवह बताता हैहमारे डूबते...
View Articleलघुकथा
आत्म-निर्णय – अशोक जैनथके- हारे जोशी जी दीवान के एक ओर बैठ गए। मातमपुर्सी के लिए आने-जाने वालों को एक ही घटना का जिक्र करते करते उन्हें जीवन की निस्सारता का बोध हो चला था। आँखों की कोरों में आँसू...
View Articleनोबेल
यौन हिंसा के खिलाफ आवाज़ों को मिला सम्मान- जाहिद खाननोबेल समिति ने इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इराक की यजीदी मूल की नौजवान लड़की नादिया मुराद और कांगो के डॉ. डेनिस मुकवेगे को चुना है। इन दोनों...
View Articleसंस्मरण
हाइबन सच्चा साथी - प्रियंका गुप्ता उसरात जाने क्यों मन थोडा उदास सा था...अजीब सी बेचैनी...। बहुत सारी बातें थी मन में, पर समझ नहीं आ रहा था कि बेचैनी थी आखिर किस बात पर...। अजीब सा अहसास...। बहुत हद...
View Articleपुस्तक-समीक्षा
स्वप्न-शृंखला सेजोड़तेहाइकु - डॉ. कुँवर दिनेश सिंहपुस्तक: स्वप्न-स्वप्न-शृंखला (हाइकु संग्रह) , सम्पादक- रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, डॉ. कविता भट्टवर्ष: 2019, पृष्ठ144, मूल्य -300रुपये; प्रकाशक: अयन...
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