मीडिया
ट्विटर पर झूठी खबरें ज्य़ादा तेज़ चलती हैंवर्ष 2006से 2017के बीच ट्विटर पर 30लाख लोगों के पोस्ट के विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि यहाँ झूठी खबरों की रफ्तार कहीं ज़्यादा तेज़ होती...
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एवरेज नहीं बनने के लिएआपको क्या करना होगा?अपने भीतर के फाइटर को जगाना होगा - निशांत शर्मा सुबहके 6बज रहे हैं।आपने रात को यह तय किया था कि आप 5बजे उठोगे ,लेकिन सोते-सोते...
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कभी तो सुबह होगी- शबनम शर्माचलो ज़रा मुड़ते हैं आज बीते दिनों की टोह लेते हैं पुरानी गलियों में से गुज़रके ज़रा सा आज रो लेते हैं कमबख़्त रात ख़त्म ही नहीं होती लम्बी बहोत है सुरंग सी दीवारें सील गई...
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शरारती पिंकी- परमजीत कौर 'रीत’दरमियाना रंग, छोटी-छोटी आँखें और उन पर नजर का चश्मा पहने पिंकी। वो जब मुस्कुराती थी तो पूरा माहौल खुशनुमा हो जाता था। उसी पिंकी से मेरी पहली मुलाकात बीएड गल्र्स हॉस्टल के...
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मोबाइल सत्संग- डॉ. संगीता गांधी जीवनमें कुछ ऐसे पल आते हैं, जो अनायास ही मन को गुदगुदा जाते हैं। उन पलों की खिलखिलाहट रिश्तों को प्रगाढ़ करने के साथ साथ एक नए माधुर्य से भर देती है।ऐसे ही पलों को...
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बरनी में रखी कुछ यादें...-प्रियंका गुप्तानहीं जानती कि वर्षों पहले 31अक्टूबर की एक नर्म सर्द सुबह में जब मैने इस धरती पर पहली बार आँख खोली होगी, तो डॉक्टर-नर्सों की हथेलियों से निकल जब ममता भरी एक छाँव...
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ख़लील जिब्रान की तीन लघुकथाएँअनुवाद- सुकेश साहनी 1-प्लूटोक्रेटमैंने भ्रमण के दौरान एक द्वीप पर आदमी के चेहरे और लोहे के खुरों वाला भीमकाय प्राणी देखा, जो लगातार धरती को खाने और समुद्र को पीने में लगा...
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काश... बचपन फिर लौट आए- डॉ० भावना कुँअरजून की छुट्टियों का इंतज़ार हम सभी बच्चों को बड़ी बेसब्री से रहता था,जिसमें दादा-दादी के गाँव जाने का मौका मिलताथा,तो दूसरे साल नानी के पास दिल्ली जाने का।कितनी ही...
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पेपर लीक- डॉ॰ बलराम अग्रवालग्यारहवींकक्षा की बात है। शिव कुमार गुप्ता जी हमें भौतिक शास्त्र पढ़ाया करते थे। वह युवा थे और एम एस-सी पास करने के तुरन्त बाद ग्यारहवीं-बारहवीं कक्षाओं को पढ़ाने के काम में लग...
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जयन्ती- 7मईकवींद्र-रवींद्र और उनके विमर्श -कृष्ण कुमार यादव भारतीयसंस्कृति के शलाका पुरूषों में रवींद्रनाथ टैगोर का नाम प्रतिष्ठापरक रूप में अंकित है। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जो जीती-जागती किंवदंती बन...
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प्रतिमाओं में राजकपूर- प्रमोद भार्गवहमारेदेश में अनेक संग्रहालय हैं। इनमें से ज्यादातर पुरातत्व, संगीत, राजा-महाराजाओं के विलासपूर्ण जीवन और प्रकृति व विज्ञान से जुड़े हैं। दिल्ली में एक रेल संग्रहालय...
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पास बुलाते चीड़ और देवदार के पेड़– डॉ. आरती स्मित ईमेलके साथ चीड़- देवदार की फैली बाँहों का सँदेसा मिला। आमंत्रण था -- महादेवी सृजन पीठ एवं कुमाऊँ विश्वविद्यालय ,अल्मोड़ा द्वारा आयोजित द्विदिवसीय...
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काँच की चूड़ियाँ- डॉ० कविता भट्टघोर रात में भी खनखनाती रहीपीर में भी मधुर गीत गाती रही ।लाल-पीली-हरी काँच की चूड़ियाँआँसुओं से भरी काँच की चूड़ियाँ।उनके दाँव - पेंच में, टूटती रहीये बिखरी नहीं, भले...
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कंगन-शशि पाधा यह अनुभव केवल मेरा नहीं हो सकता। जानती हूँ विश्व की अधिकतर माताएँ यही करतीं जो उस दिन मेरी माँ ने मेरे लिए किया। तभी तो कहा भी हैं न-ईश्वर स्वयं पृथिवी पर नहीं आ सकता , इसीलिए उसने माँ...
View Articleयात्रा-वृतांत
हेपटेसिया...तैं हा बिक्कट टेसिया- विनोद सावखडवली... हाँ यही लिखा था सामने एक खम्भे पर। पतली सी टीन की पट्टी पर जो चार अंगुल चौड़ी रही होगी और आठ दस इंच लम्बी। कांक्रीट के खम्भे के मध्य से थोड़े नीचे वह...
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उम्मीद की एक किरण... -डॉ. रत्ना वर्मातरक्की करता हमारा देश, अपने को सभ्य और शिक्षित कहलाने वाले हमारे देश के नागरिक... सितारों के पार पहुँचते हमारे वैज्ञानिक, दुनिया भर में हमारे देश की प्रतिभाओं का...
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उदंती.com मई 2018राह बनाने वाले तो, राह बनाकर ही रहते।सच्चे मन से दुनिया को, सदा जगाकर ही रहते।चाहे उनको बंजर दो,जंगल या वीराना दो।जिनमें दम वे सभी जगह, फूल खिलाकर ही रहते।रामेश्वर काम्बोज...
View Articleजीवन दर्शन
जो बोएंगे सो काटेंगे- विजय जोशी(पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)हम सब प्रतिध्वनि के चमत्कार से वाकिफ हैं. पहाड़ों के बीच खड़े होकर जब हम प्रकृति से बात करते है तो वह भी वैसा प्रत्युत्तर प्रदान करती...
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हरी जबानों की व्यथा-बी. एल .आच्छाबूढ़ा तो नहीं हुआ हूँपर तुम मेरे बौने कद सेनाप रहे होमेरे जीवन का वैलेंटाइन ।सड़क किनारे आते हीमैं भी बन गया महानगर का पेड़छाँग दी गईं थी डालेंकाट दिया गयाबिजली के तारों...
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सूखी नदियाँ- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’सूखी नदियाँनीर नहीं पाएँगेनीर न मिलागाछ कहाँ हों हरे !गाछ न हरेनीड न बनाएँगेनीड के बिनापाखी बेचारे प्यारेबोलो तो ज़राकिस देश जाएँगे ?निर्झर सूखेकल -कल उदासपाखी न...
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