स्वास्थ्यः सिकल सेल - सस्ते इलाज की उम्मीद
सिकल सेलरोग से दुनिया भर के लाखों लोग प्रभावित हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रति वर्ष लगभग पौने चार लाख लोग इसकी वजह से जान गँवाते हैं और लाखों लोग दर्दनाक तकलीफें झेलते हैं। यू.एस. खाद्य एवं औषधि...
View Articleखानपानः फ्रिज में गाजर को रसीला कैसे रखें
आपबाज़ार से ताज़ातरीन गाजर लाते हैं और फ्रिज में इस उम्मीद से रखते हैं कि वे थोड़ा लंबे समय तक ताज़ा, रसीली और खस्ता बनी रहेंगी। लेकिन आप देखते हैं कि फ्रिज में भी गाजर कुछ ही दिनों में मुरझा-सी जाती...
View Articleचिंतनः उचित नहीं बच्चों के जीवन में अत्यधिक हस्तक्षेप
- सीताराम गुप्ताबच्चे हों अथवा बड़े परिवर्तित समय में आज सभी की आकांक्षाएँ व अपेक्षाएँ बदल चुकी हैं। यह अस्वाभाविक भी नहीं। बच्चों के संदर्भ में बड़ों को इस तथ्य को न केवल स्वीकार करना चाहिए अपितु उनके...
View Articleकविताः शहीद
- डॉ. सुषमा गुप्ताहमारे देश के सच्चे जाँबाजों के परिवारों के नाम ...दो दिन हल्ला मचाके सब भूल जाएँगे.. दर्द क्या है उस बेवा से पूछो जिसकीआँखों से अब सावन न जाएँगे ।चार दिन शहीद शहीदी के सब नारे...
View Articleसाहित्यः सूरसागर में डूबते हुए
- विनोद सावभक्तिकालीनकवियों में कबीरदास और तुलसीदास को पढ़ने के अवसर पर्याप्त मिले पर दो प्रमुख कवि सूरदास और मीराबाई रह गए थे। इनमें मीरा को छुटपुट पढ़ पाया था; पर सूरदास के मामले में तो अध्ययन लगभग...
View Articleआलेखः आज़ादी की जंग में कूदी नारी-शक्ति
झलकारी बाई -रमेशराजअंग्रेजीशासन से मुक्त होने के लिए, दासता की बेडि़यों को तोड़ने में केवल राष्ट्रभक्त क्रान्तिवीरों ने ही अपने प्राणों की आहुति नहीं दी, बल्कि गुलाम भारत में ऐसी अनेक वीरांगनाएँ भी...
View Articleकविताः विजयी के सदृश जियो रे
- रामधारी सिंह 'दिनकर'वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालोचट्टानों की छाती से दूध निकालोहै रुकी जहाँ भी धार शिलाएँ तोड़ोपीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ोचढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रेयोगियों नहीं,...
View Articleदो कविताएँः
- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"1. भारती वन्दना भारति, जय, विजय करेकनक-शस्य-कमल धरे!लंका पदतल-शतदलगर्जितोर्मि सागर-जलधोता शुचि चरण-युगलस्तव कर बहु अर्थ भरे!तरु-तण वन-लता-वसनअंचल में खचित सुमनगंगा...
View Articleआलेखः स्वतंत्रता के बाद आत्मनिर्भर होता भारत
-प्रमोद भार्गव 15 अगस्त 1947 की आधी रात को खंडित स्वतंत्रता स्वीकारने के बाद बड़ा सवाल आर्थिक विकास और स्वावलंबन का था। स्वावलंबन ही वह आधार है, जो नागरिक और उसके पारिवारिक सदस्यों की आजीविका और...
View Articleअनकहीः अरे ओ आसमाँ वाले...
- डॉ. रत्ना वर्मासमझनहीं आ रहा है कि इस बार देश को दो-दो मेडल देने वाली पहली एथलीट मनु भाकर के बारे में बात की शुरूआत करते हुए जश्न मनाया जाए या दिल्ली के कोचिंग सेंटर हादसे में काल के गाल में समा...
View Articleउदंती.com, अगस्त - 2024
वर्ष- 17, अंक- 1स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल सैनिकों का काम नहीं है, बल्कि पूरे देश को मजबूत होना चाहिए। - लाल बहादुर शास्त्री इस अंक मेंअनकहीः अरे ओ आसमाँ वाले... - डॉ. रत्ना...
View Articleआलेखः अनुवाद एक कठिन कार्य है
- महेंद्र राजा जैनअनुवादकरना एक कठिन कार्य है। यह शब्द सुनने-पढ़ने में जितना सरल और सहज जान पड़ता है , वास्तव में उतना सरल-सहज है नहीं। यह अत्यंत कठिन इस कारण भी है कि अनुवाद के लिए अनुवादक को कम-से-कम...
View Articleकिताबेंः मन की वीणा पर सधे संवेदना के गीत-‘गाएगी सदी’
- रश्मि विभा त्रिपाठी‘गाएगी सदी’ (हाइकु- संग्रह) : डॉ. सुरंगमा यादव, पृष्ठ: 112, मूल्य: 320 रुपये, आईएसबीएन: 978-81-968022-9-5, प्रथम संस्करण: 2024, प्रकाशक: अयन प्रकाशन, जे- 19/39, राजापुरी, उत्तम...
View Articleदो कविताएँ
- सुरभि डागर1- पीड़ा मौन रूप धारण कर कहीं दूर से ताकसरक आती है चित के किसी कोने में, हाँ यह पीड़ा ही है.....ध्वनि रहित है ये पीड़ा दीमक बन घुनती रहती हैशरीर को, मस्तिष्क को खोकर करने का प्रयत्न करती...
View Articleकविताः कभी ऐसा भी हो
- स्वाति बरनवालकभी ऐसा भी हो हम दोनों अचानक किसी मॉल में शॉपिंग करतेया बाजार से सब्जियाँ लेकर लौटते हुएया फिर किसी स्टेशन पर टकरा जाते तुम मेरा सामान उठा लेतेऔर मैं तुम्हारे साथ साथ चल पड़तीगाहे-...
View Articleकहानीः प्रार्थनाओं के विरुद्ध
- सत्या शर्मा ‘कीर्ति’आज मैं अस्पताल से घर लौट तो आई थी, पर मेरा लौटना कहाँ लौटना था बस आ जाना था जैसे कोई आ जाता है अनचाहे ही। ऑपरेशन के दौरान अवचेतन में महसूस कर रही थी। यहाँ मौजूद सभी लोग पूरे...
View Articleतीन लघुकथाएँ
- डॉ. सुषमा गुप्ता 1-भेड़ें “चल कम्मो”“कहाँ ?”“बाबा जी के डेरे।”“क्यों?”“माथा टेकना है।”“क्यों ?”“अरे सब टेक रहे हैं।”“क्यों ?”“अरे इतने लोग टेक रहे हैं। बाबा जी बहुत पहुँचे हुए होंगे तभी तो न”,...
View Articleलघुकथाः असली कोयल
- स्वप्नमय चक्रबर्ती, अनुवाद/ बेबी कारफरमाअभीटूरिज़्मजम कम्पनी वालों ने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए एक नया तरीका अपनाया है; क्योंकि वर्ष भर इको ट्यूरिज्म , एजूकेशन ट्यूरिज्म, हेल्थ ट्यूरिज्म, एथनिक...
View Articleकविताः गाँव की अँजुरी ?
-निर्देश निधिजो गाँव की अँजुरी में छलछलाईं फिर से पोखरें और खिलखिलाए फिर किसी दिनउसकी हथेलियों पर नरम, फुलकारी से कपास के श्वेतवर्णी फूल तो टलते रहेंगे संकट जो गाँव के चबूतरों परलौटीं कभी फिर से...
View Articleकविताः मुस्कुराती ज़ेब
- रमेश कुमार सोनीएक मायावी स्वप्नलोक तैर रहा है मेरे मष्तिष्क की बेरोजगार डिग्री वाली फाइल में,रोज़गार का स्वर्णमृग हर बार मुझे ठगकर भाग जाता हैजैसे ठगता है मानसून किसानों को। मेरी भूख रोज बाँचती...
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