प्रेरकः आम्रपाली और भिक्षुक
- निशांतबुद्ध अपने एक प्रवास में वैशाली आये। कहते हैं कि उनके साथ दस हज़ार शिष्य भी हमेशा साथ रहते थे। सभी शिष्य प्रतिदिन वैशाली की गलियों में भिक्षा माँगने जाते थे।वैशाली में ही आम्रपाली का महल भी...
View Articleलोक कथाः तराजू और चील
- डॉ. उपमा शर्माएकगाँव में एक ईमानदार व्यापारी सुखदेव रहा करता था। उसकी ईमानदारी और अच्छे व्यवहार के कारण उसकी दुकान ख़ूब चलती थी। उसने दुकान के कार्यों में सहायता के लिए रामदीन नाम का एक नौकर रखा...
View Articleकविताः मेरा छोटा- सा गाँव
- निर्देश निधिनिर्मला प्रकृति के रंगीन दुशाले में लिपटामेरा छोटा सा गाँवजेठ की दुपहरी में भुनी हुई रेत परजलते हुए मेरे पाँवपके बेरों की ललक में काँटों को धता बताकरकठखनी झड़बेरियों के रोज़ उमेठना कानआज...
View Articleसंस्मरणः ईनाम पाने की चाह
अपने लेखन के शुरुआती दिनों से जुड़ा एक प्रसंग अमृता प्रीतमने एक पत्रिका के स्तम्भ में बताया-“वो दिन आज भी मेरी आँखों के सामने आ जाता है… और मुझे दिखती है मेरे पिता के माथे पर चढ़ी हुई त्यौरी। मैं तो बस...
View Articleकालजयी कहानीः उधड़ी हुई कहानियाँ
- अमृता प्रीतममैंऔर केतकी अभी एक दूसरी की वाकिफ नहीं हुई थीं कि मेरी मुस्कराहट ने उसकी मुस्कराहट से दोस्ती गाँठ ली।मेरे घर के सामने नीम के और कीकर के पेड़ों में घिरा हुआ एक बाँध है।बाँध की दूसरी ओर...
View Articleकविताः मैं नेह -लता हूँ
- प्रणति ठाकुरनहीं तुम्हारी पग -बाधा मैं नेह - लता हूँ... स्नेह - छाँव बनकर मैं तेरे साथ चली हूँ बन निर्झरणी प्रति- पल स्नेह अगाध झरी हूँजीवन के झंझावातों से क्लांत पड़ा जब अंतस् तेरा भर पाई अनुराग...
View Articleव्यंग्यः फाइल महिमा
- अश्विनी कुमार दुबेएकमामूली आदमी का मामूली दफ्तर में मामूली काम था। वह उत्साहित-सा दफ्तर गया। उत्साहित इसलिए कि आदमी ने सुन रखा था कि अब देश आजाद है। देश में लोकतंत्र है। अमीर-गरीब सब बराबर हैं यहाँ।...
View Articleदो लघु व्यंग्यः 1. दवा, 2. यस सर
- हरिशंकर परसाई 1. दवाकवि ‘अनंग’ जी का अन्तिम क्षण आ पहुँचा था।डाक्टरों ने कह दिया कि यह अधिक से अधिक घंटे भर के मेहमान हैं। अनंग जी पत्नी ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें, जिससे पाँच छह घण्टे जीवित रह...
View Articleकहानीः गवाही - राजनारायण बोहरे
- राजनारायण बोहरे सरकारीवकील का रवैया देख मै हतप्रभ हो गया । वे जिस तू तड़ाक वाली भाषा में मुझसे सवाल जवाब कर रहे थे, उससे लग रहा था कि वे पहले जरूर किसी पुलिस थाने के दारोगा थे। जाने कैसे मेरी...
View Articleकविताः घट -स्थापना
- डॉ. कविता भट्टहे पिता मेरे !करते हुए आजघट- स्थापनास्नेह -जल भरनाघट-भीतरऔर अक्षत कुछमेरे नाम केउसमें डाल देनाकुछ जौ बोनाहरियाली के लिएतरलायितस्नेह में भिगोकर,फलेगी पूजाबिन जप-पूजनमेरे नाम...
View Articleकृषिः खीरा कुम्हड़ा, खरबूजा, तरबूज और लौकी, तुरैया - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन,...
- डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन, सुशील चंदानीदुनियाके सभी भागों के लोग एक वनस्पति कुल, कुकरबिटेसी, से बहुत करीब से जुड़े हैं। इस विविधता पूर्ण कुल में तरबूज़, खरबूजा, खीरा और कुम्हड़ा-कद्दू शामिल हैं। जिन...
View Articleसेहतःआरोग्य की कुंजी है भरपूर हास्य
'इंस्टिच्यूटफॉर दि स्टडी ऑफ ह्युमन नॉलेज'इस संस्थान के निष्णात डॉक्टरों ने आदमी के स्वास्थ्य का अनुसंधान किया है और इस अनुसंधान के निष्कर्ष प्रकाशित किए। इन निष्कर्षों को पढ़कर ऐसा लगेगा कि ओशो ही...
View Articleजीव- जंतुः जी लेने दो
- दीपाली ठाकुरहवामें मँडराती रंग -बिरंगी तितलियाँ किसे नहीं लुभाती, जमीन पर मखमल की गोली से लुढ़कते सुर्ख लाल रानी कीड़े ढूँढने के लिए भटकते फिरना, बरसाती अँधेरी रातों में टिमटिमाते जुगनुओं को इकट्ठा...
View Articleयात्राः घुमक्कड़ी आखिर खुशहाल मिठाई का स्वाद ही तो है
- साधना मदान यात्री, यात्रा, घूमना व घुमक्कड़ी ये सब ऐसे ख्यालों या स्फूर्ति का एहसास है, जो हमें रोज़मर्रा से दूर प्रकृति और सौंदर्य के नज़दीक लेकर आता है। घूमना या फिर एक जगह से दूसरी जगह जाना,...
View Articleपर्व - संस्कृतिः प्रकृति की ऊर्जा का प्रतीक -देवी दुर्गा
- प्रमोद भार्गव मनुष्यका जीवन भीतरी और बाहरी द्वंद्वों से भरा हुआ है। जब व्यक्तित्व ही अंतर्विरोधों से भरा है, तब किसी भी व्यक्ति या समाज का विरोधाभासी होना स्वाभाविक है। यही अंतर्विरोध आदर्श और...
View Articleअनकहीः नारी शक्ति का वंदन...
- डॉ. रत्ना वर्मा देश में पिछले कुछ महीने में कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण आयोजन और कार्य हुए, जो भारत के इतिहास में मील का पत्थर सबित हुए हैं। देश को गर्वित और प्रत्येक देशवासी के मस्तक को ऊँचा कर देने...
View Articleउदंती.com, अक्टूबर- 2023
वर्ष- 16, अंक- 3नारियाँ इसलिए अधिकार चाहती हैं कि उनका सदुपयोगकरें और पुरुषों को उनका दुरुपयोग करने से रोकें। - प्रेमचंदइस अंक मेंअनकहीः नारी शक्ति का वंदन... - डॉ. रत्ना वर्मापर्व - संस्कृतिः प्रकृति...
View Articleजीवन दर्शनः 9/11 और ट्वीन टॉवर : एक युद्ध आतंकवाद के विरुद्ध
- विजय जोशी - किसी भी देश में शहीदों का सम्मान सर्वोपरि होता है, फिर भले ही वह बलिदान देश प्रेम के अंतर्गत किसी युद्ध में हुआ हो या फिर मानवता को कलंकित करती किसी आतंकवादी घटना में। शहादत को प्राप्त...
View Articleखान- पानः भारी आहार तो बढ़े विकार
– साधना मदानबाजारऔर मॉल की रौनक, रामलीला की रमणीकता, मेले की चमक-दमक, बाज़ार और सड़कों पर आज एक ही लहर का बहाव है और वह है चटखारे और स्वाद की। विद्यालय काल की कक्षा में कभी एक विषय पर भाषण हुआ था-...
View Articleप्रकृतिः तितलियाँ क्यों हैं जरूरी
- अपर्णा विश्वनाथहमारीदुनिया अद्भुत जैव विविधताओं से भरी पड़ी है, हम अपने चारों ओर विभिन्न प्रकार के पक्षी, जानवर और पेड़ पौधों से घिरे हुए हैं। जैव विविधता के संतुलन के लिए हाथी जितने महत्त्वपूर्ण...
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