निबंध - वसंत आ गया है
- हजारी प्रसाद द्विवेदी(यह निबन्ध उस समय लिखा गया है जब द्विवेदी जी ‘शांति निकेतन’ में निवास करते थे।)जिसस्थान पर बैठकर लिख रहा हूँ, उसके आस-पास कुछ थोड़े-से पेड़ हैं। एक शिरीष हैं, जिस पर लंबी-लंबी...
View Articleकविता - धूप, हवा, सूरज, और कोहरा
- डॉ. सुधा गुप्ता1-धूप1सुबह बसज़रा-सा झाँक जातीदोपहर आछत के पीढ़े बैठ,गायब होती धूप ।2जाड़े की धूपपुरानी सहेली-सीगले मिलतीनेह-भरी ऊष्मा देअँकवार भरती ।3झलक दिखारूपजाल में फँसानेह बो गईमायाविनी थी...
View Articleप्रकृति - अफ्रीका के सबसे मशहूर पेड़ की उम्र
मुख्य रूप से अफ्रीका में पाए जाने वाले अफ्रीकी बाओबाब या गोरखचिंच वृक्ष पृथ्वी पर पाए जाने वाले विचित्र वृक्षों में से हैं। इनका तना बोतल या किसी मर्तबान की तरह होता है – अंदर से खोखला। अब वैज्ञानिकों...
View Articleकविता- देश
मूल ओड़िआ रचना- श्री रक्षक नायक अनुवाद -अनिमा दासक्या है देश..???क्या इसका कोईहै अस्तित्व.. कोई परिचय???अंकित सीमारेखा?जैसे कारागार- सा भाव लियेजैसे धूल का है महाबंध...।क्या है ज्ञात तुम्हें...?किसने...
View Articleआधुनिक बोध कथाएँ - 2 चोर चोर चोर
- सूरज प्रकाशबहुतपहले की बात है। नई-नई नौकरी थी। वेतन मिला था। खुश होना लाजमी था। सब दोस्त फिल्म देखने निकले।रास्ते में भीड़ में कोई जेबकतरा मेहरबान हुआ और जेब साफ। जब तक पता चलता, मेरा पर्स निकाला जा...
View Articleकविता- सरस्वती वंदना
- श्याम सुन्दर श्रीवास्तव ‘कोमल’वीणापाणि नमन चरणों में, माँ स्वीकार करो ।ज्ञान ज्योति के नव प्रकाश का, माँ विस्तार करो ।आओ माँ इस हृदय- कमल पर, आसन लो मन पावन कर दो ।झुलसा तन अज्ञान ऊष्णता, कृपा...
View Articleआलेख - हिन्दू पाठ्यक्रम की सुखद शुरूआत
- प्रमोद भार्गवमहामनापंडित मदनमोहन मालवीय ने जिस परिकल्पना के साथ बनारस के विश्व-विद्यालय से ‘हिंदू’ शब्द जोड़ा था, उस कल्पना ने अब साकार रूप ले लिया है। काशी हिंदू विश्व-विद्यालय (बीएचयू) के अस्तित्व...
View Articleप्रकाश प्रदूषण - ज़रूरी है अँधेरा भी जीवन के लिए
- निर्देश निधि मनुष्यने प्रकाश के लिए कभी चाँद और सूरज की तरफ़ देखा होगा। कभी अँधेरी रात्रियों में वह जुगनू के नगण्य से प्रकाश के चमकने पर कौतूहल से भर उठा होगा। मनुष्य का मस्तिष्क दूसरे जानवरों की तरह...
View Articleअनकही - शोर मत करो देवता तपस्या में लीन हैं
डॉ. रत्ना वर्माआस्था मानव जीवन को सम्बल देती है। दुनिया में अलग अलग- अलग धर्म के लोगों की अपनी अलग- अलग आस्थाएँ होती हैं। पिछले दिनों मनु की नगरी मनाली के नौ गाँव के लोगों की अनोखी आस्था ने सबका ध्यान...
View Articleउदंती. com, फरवरी 2022
वर्ष-14, अंक – 6नव वसंत खिला जब भाग्य सा,भुवन में तब जीवन आ गया,गगन ने उस को अपनाव से,अतुल गौरव से, अपना किया । - त्रिलोचनइस अंक मेंअनकहीः शोर मत करो देवता तपस्या में...
View Articleकविता- छेड़ो कोई तान
- शशि पुरवारemail : shashipurwar@gmail।com, छेड़ो कोई तान सखी रीफागुन का अरमान सखी रीकुसुमित डाली लचकी जाएकूके कोयल आम्बा बौराएगुंचों से मधुपान, सखी रीफागुन का अरमान सखी री गोप-गोपियाँ छैल छबीलेहोठों...
View Articleकविता- होली की यादें
- डॉ. निशा महाराणाबसंती बयार का नहीं छूटा है मोहबचपन का वो फागुनरंगों भरा स्नेह कई रंगों से रँग जाता थासफेद झक बनियानचहूँ ओर हो जाती थीरंगों की बौछार फगुआ की गूँजमालपुओं का स्वादहमजोली की टोली कोयल...
View Articleकविता- देहरी से आँगन तक की यात्रा
- नंदा पाण्डेयदेहरी से आँगन तक की यात्रा मेंउसका मन,घोंघे के खोल से बाहर निकलविचरने लगा थाइतिहास की गलियों मेंसदियों बाद पुराने चेहरे याद आते गए...। दादी, नानी, चाची, बुआ और माँ ...।भुलाए गए चेहरे,...
View Articleकविता- एक चुटकी अबीर
-सीमा सिंघल ‘सदा’ sadalikhna।blogspot।in/, email- sssinghals@gmail।comमाँ तुम कहती थीकि ये एक चुटकी अबीरकिसी भी रंग का क्यों न होपर होता पूरा पक्का हैप्रेम के कणों से भरा हुआउत्सव के क्षणों मेंअपना...
View Articleकविता- मौसम है रंगीन सुहाना
- प्रो. (डॉ.) रवीन्द्र नाथ ओझामौसम है रंगीन सुहानापुलकित मन है पुलकित गातआज प्रकृति संवरी कुछ ऐसीसृष्टि बनी मधुऋतु की रात।सपने सारे उमड़ पड़े हैं ,इच्छाएं सब जाग पड़ी हैं ,भाव उमड़ते उर -अंतर...
View Articleकविता- माह फागुनी
- आशा पाण्डेय(कैंप अमरावती, महाराष्ट्र)रंग जामुनी, माह फागुनी,पूनम की सौगात ।धूसर, धूमिल, लाल, हरे रंग,भीग रहा है गात ।वन-पलाश के मोह-पाश में,लिप्त हुआ ऋतुराज ।बौर आम का गंध बिखेरे,मन मोहे...
View Articleकविता- उस दिन कहना...
- शशि बंसल गोयलजिस दिन कह सकोमन नहीं रसोई पकाने कासब सहमति दे देंउस दिन कहना -महिला दिवसजिस दिन सोच सकोअकेले घूमने जाने कासब सहमति दे दें ..उस दिन कहना-महिला दिवसजिस दिन पहन सकोसिर्फ़ अपनी पसन्द कासब...
View Articleदोहे- फिर खिल उठा पलाश
- डॉ. सुरंगमा यादव1. अमराई यौवन भरी, कोयल भरे मिठास।हवा वसंती कह रही, आजा छोड़ प्रवास।।2. फागुन आया मद भरा, मौसम हुआ हसीन।इठलाता यौवन हुआ, रंग बिना रंगीन। ।3. नेह रंग बरसा सखी, कोरे मन पर आज।सारे रंग...
View Articleकविता- मौन उद्गार
सोनेट- अनिमा दास (कटक, ओड़िशा)मेरी आत्मा पर भी...मेरा अग्र अधिकार नहींमेरा स्त्री होना क्या मात्र चिरंतन अभिशाप है?मेरा शिखर पर्यंत आना भी तुम्हें स्वीकार नहींमेरे अस्तित्व का चीखना क्या मात्र परिताप...
View Articleकहानी- लुका- छुपी
-भारती बब्बरलेखक के बारे मेंः पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम ए, हिन्दी नाटक एवं रंगमंच में एम फिल,एक कहानी संग्रह "अनागत"हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित एवं "पुस्तक पुरस्कार"से...
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