सेहत- क्या वाकई 20 सेकंड हाथ धोना ज़रूरी है?
टीवीपर हैंडवाश का एक विज्ञापन आता है जिसमें एक बच्चा अच्छी तरह मलकर हाथ धोते दिखता है, तो उसके दोस्त उससे पूछते हैं तेरा साबुन स्लो है क्या और फटाफट अपने हाथ उस हैंडवाश से धोकर निकल जाते हैं जो दावा...
View Articleआलेख- अँगुलिमाल और अशोक की संततियाँ
-प्रेमकुमार मणि अँगुलिमालकी कथा बचपन में पढ़ी -सुनी थी। बुद्ध के समय का एक दुर्दांत बाहुबली, जिससे श्रावस्ती की जनता तो तबाह थी ही,वहाँ का शासक प्रसेनजित भी चिंतित था। उन दिनों बाहुबलियों को डाकू कहा...
View Articleलोककथा- सबसे खुश पक्षी कौन?
जंगलमें रहनेवाले कौवे को कोई कष्ट नहीं था और वह सुख-चैन से जी रहा था। फिर एक दिन उसने एक हंस को देखा। उजले धवल हंस को देखकर उसने सोचा, “यह हंस कितना सफेद है! और मैं कैसा काला हूँ यह हंस अवश्य ही दुनिया...
View Articleलघुकथा- जीवन का बोझ
स्मृति शेष- रामधारी सिंह ‘दिनकर’एककमजोर और बूढ़ा आदमी लकड़ियों का एक बड़ा बोझ उठाएजेठ की धूप में हाँफता हुआ जा रहा था। चल तो वह काफी देर से रहा था, मगर घर पहुँचने में, फिर भी, काफी देर थी। निदान, वह...
View Articleपर्यावरण- गाँधी के विचारों को नए सिरे से टटोलना होगा
-भारत डोगराजलवायुबदलाव के संकट पर चर्चा चरम पर है। इस समस्या की गंभीरता के बारे में आँकड़े और अध्ययन तो निरंतर बढ़ रहे हैं, किंतु दुख व चिंता की बात है कि समाधान की राह स्पष्ट नहीं हो रही है।इस अनिश्चय...
View Articleपर्यटन- छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर 'राम वन गमन पर्यटन परिपथ'
-उदंती फीर्चस14 सालके वनवास के दौरान श्री राम के छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवेश यात्रा को लेकर ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ तैयार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवरात्रि के पावन पर्व पर इस परियोजना के...
View Articleअनकही –सामाजिक अवमूल्यन के चक्रव्यूह में बुज़ुर्ग
-डॉ. रत्ना वर्मा पिछले महीने राजधानी से एक खबर आई,जिसमें नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रीड के अनुसार वरिष्ठ नगारिकों के 25.02 लाख केस लम्बित हैं। आप सोच सकते हैं वरिष्ठ नागरिकों के इतने सारे मामले क्यों...
View Articleउदंती.com, अक्तूबर 2021
वर्ष- 14, अंक – 2पृथ्वी हर मनुष्य की जरूरत पूरी करने के लिए साधन प्रदान करती है, लेकिन वह बस उनकी मदद नहीं करती जो किसी भी चीज को पाने के लिए लालच करते हैं। - महात्मा गाँधी इस अंक मेंअनकही- सामाजिक...
View Articleहरिवंशराय बच्चन की दो कविताएँ
1. आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओहै कहाँ वह आग जो मुझको जलाए,है कहाँ वह ज्वाल मेरे पास आए,रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,नव विभा में स्नान तुम भी...
View Articleकोविडः मास्क कैसा हो?
यहतो हम जानते हैं कि मास्क लगाना हमें कोविड-19 से सुरक्षा देता है। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों की तरफ से इस बारे में बहुत कम जानकारी मिली है कि किस तरह के मास्क हमें सबसे अच्छी सुरक्षा देते हैं।महामारी...
View Articleमहादेवी वर्मा की कविता
सब बुझे दीपक जला लूँ ! सब बुझे दीपक जला लूँघिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूँ क्षितिज कारा तोडकर अबगा उठी उन्मत आंधी,अब घटाओं में न रुकतीलास तन्मय तडित बांधी,धूल की इस वीणा पर मैं तार हर त्रण का मिला...
View Articleस्वास्थ्यः क्या कारण है कि कुछ लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं
आपकोआश्चर्य होता होगा कि आपके परिजनों या मित्रों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कभी बीमार नहीं पड़ते। जब दूसरे लोग बदलते मौसम की गड़बड़ियों जैसे जुकाम, वायरल, पेट की गड़बड़ या आँखों की बीमारी से परेशान...
View Articleकविताः अपनी दीवाली
-डॉ. उपमा शर्मामन के घृत को नित्य जलाकरदृग से कितना नीर बहाकरसुधियों के थे दीप जलाएजब आओगे तुम घर अँगनादीवाली अपनी तब आए।। अँधियारा अंतस में फैला नखत कहीं बैठे हैं छिपकरचंचल नयना राह तकें अबकब आओ...
View Articleलघुकथाः हिसाब बराबर
- डॉ. आरती स्मितवहदरवाज़े के पास रखे रद्दी काग़ज़ों, किताबों और शीशी-बोतलों की भरी बोरियाँ और पुरानी महँगी चीज़ें दरवाज़े से उठा-उठाकर बाहर करता जा रहा था। घर की मालकिन वहीं खड़ी चुपचाप उसे देखती रही। वह...
View Articleबाल कथाः कंजूस और सोना
- सूर्यकांत त्रिपाठी निरालाएक आदमी था, जिसके पास काफी जमींदारी थी, मगर दुनिया की किसी दूसरी चीज से सोने की उसे अधिक चाह थी। इसलिए पास जितनी जमीन थी, कुल उसने बेच डाली और उसे कई सोने के टुकड़ों में...
View Articleदो बाल कविताएँः
-डॉ. अर्पिता अग्रवाल1.सवेरा सूरज जागा रथ को हाँका, चंदा मामा सोने भागा,मुर्गों ने फिर बाँग लगाई,बस्ती ने भी ली अँगड़ाईझोंका तभी हवा का आया,चिड़ियों ने मिल गाना गाया,भोर उजाला लेकर आईजागो, उठकर दौड़ो...
View Articleबाल कविताः तितली रानी, तितली रानी
- प्रियंका गुप्तातितली रानी, तितली रानीपास हमारे आओ न ,पंख फैलाकर उड़ती कैसेहमको भी सिखलाओ न , नीले, पीले, लाल , हरे कई रंगों में भरमाओ न , जीवन का हर रंग समाया तुमने...
View Articleबाल एकांकीः चक्रव्यूह
-कमला निखुर्पापात्र 1-माँ, 2-शिवम (बेटा, उम्र 16 साल), 3-दिव्या (बेटी उम्र 14 साल), 4-डाक्टर, 5-पुलिसवाला, 6-आशीष (शिवम का दोस्त), 7-हिमांशु (शिवम का दोस्त)दृश्य एक घर के बैठक कक्ष का दृश्य है। माँ...
View Articleलघुकथाः फिर से तैयारी
-डॉ. कविता भट्टअंदरसे ठहाकों की गूँज के साथ चाय-पकोड़े की खुशबू भी आ रही थी; जब एक शालीन, मेहनती और लगभग अधेड़ उम्र की महिला लम्बा इंटरव्यू देकर वातानुकूलित कक्ष से बाहर निकली।वहीं बाहर बैठी एक युवती ने...
View Articleसंस्मरणः टहनी सचमुच माँ को बुला लाई थी !
-निर्देश निधिमाँ -पिता जी अकस्मात् ही, बिना समय मेरे चारों बड़े बहन– भाइयों को अनाथ कर गए। अनाथ तो मैं भी हो ही जाती अगर बड़े भैया में पिता जीअपना प्रतिरूप ना गढ़ गए होते और भाभी हौले से माँ की...
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