पृथ्वी हर मनुष्य की जरूरत पूरी करने के लिए साधन प्रदान करती है, लेकिन वह बस उनकी मदद नहीं करती जो किसी भी चीज को पाने के लिए लालच करते हैं। - महात्मा गाँधी
इस अंक में
अनकही- सामाजिक अवमूल्यन के चक्रव्यूह में बुज़ुर्ग-डॉ. रत्ना वर्मा
पर्यटन- छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर 'राम वनगमन पर्यटन परिपथ'-उदंती फीचर्स
पर्यावरण- गाँधी के विचारों को नए सिरे से टटोलना-भारत डोगरा
आलेख- अँगुलिमाल और अशोक की संततियाँ -प्रेमकुमार मणि
सेहत- क्या वाकई 20 सेकंड हाथ धोना ज़रूरी है?-स्रोत
प्रेरकः गाँधी जयंतीः सादगी और मितव्ययता के पाँच पाठ -हिन्दी ज़ेन
स्मृति शेष- जीवन का बोझ -रामधारी सिंह ‘दिनकर’
संस्मरण- आहत मासूमियत-प्रगति गुप्ता
कोविड 19- बच्चों में ‘लॉकडाउन मायोपिया’ -स्रोत
ताँका- लेके तेरा संदेशा -कमला निखुर्पा
माहिया- अब हुआ सबेरा है-डॉ. आशा पांडेय
नवगीत- बौराहिन लछमिनिया -शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
लघुकथा- जेनरेशन गैप -डॉ. जेन्नी शबनम
कहानी-टूटे सपने -विनय कुमार पाठक
व्यंग्य- घटनाओं की सनसनी-बी. एल. आच्छा
किताबें- विविध भावों से युक्त हाइकु -रमेशकुमार सोनी
कलाकार- पंथी का देदीप्यमान सितारा- राधेश्याम बारले-संजीव तिवारी