छह कविताएँ
-आनन्द नेमा 1- प्रतिरूपजब आखिरी चिड़िया भीधरती को अलविदा कहचली जाएगी किसी नई दुनिया में,तब उसी के साथचले जाएँगेमहकते फूलडाल पर पके फल।ठीक उसी समयसिसकते हुए नदिया भी तोड़ देगी दम।पर हम,मना रहे होंगे...
View Articleलघुकथाः चार हाथ
- जानकी वाही‘ये क्या समझते हैं? अब इनका हमसे मतलब नहीं पड़ेगा?’ श्याम ने निराशा से क्षितिज को निहारा जहाँ अँधेरा अपनी धमक देने लगा था।‘देखो जी! पड़ोसी से तो नून और राख का भी लेन-देन होता है। रशीद भाई...
View Articleजीवन शैलीः 99.9 प्रतिशत मार दिए, चिंता तो 0.1 प्रतिशत की है
-डॉ. सुशील जोशीआजकल साबुन, हैंड सेनिटाइज़र्स, कपड़े धोने के डिटर्जेंट, बाथरूम-टॉयलेट साफ करने के एसिड्स, फर्श साफ करने, बर्तन साफ करने, सब्ज़ियाँ धोने के उत्पादों वगैरह सबके विज्ञापनों में एक महत्त्वपूर्ण...
View Articleधरोहरः भगवान विष्णु का नारायणपाल मंदिर
जगदलपुर के उत्तर-पश्चिमी तरफ, चित्रकोट झरने से जुड़ा हुआ, नारायणपाल नाम का एक गाँव है,जो इंद्रवती और नारंगी नदियों के संगम के निकट स्थित है। इस गाँव में एक प्राचीन विष्णु मंदिर है जो 1000साल पहले बनाया...
View Articleधरोहरः छत्तीसगढ़ के बस्तर में बिखरे हैं ऐतिहासिक पुरावशेष
छत्तीसगढ़एक ऐसा प्रदेश है जो हरियाली और धरोहरों से भरा है। छत्तीसगढ़ अंचल ने अनगिनत पीढ़ियों से क्षेत्र की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक धरोहरों को सहेज कर रखा है। ये धरोहर इस क्षेत्र की पहचान...
View Article18 अप्रैलः विश्व धरोहर दिवस- प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ने का एक अवसर
किसी भी देश के लिए उसकी धरोहर उसकी अमूल्य संस्कृति होती है। किसी भी देश की पहचान, वहाँ की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है। आज देश का गौरव बढ़ाने का काम यह धरोहरें ही कर रही हैं। जिन्हें...
View Articleअनकहीः संवेदनाएँ अभी मरी नहीं हैं....
– डॉ. रत्ना वर्मा‘साझासंस्कृति,साझा विरासत और साझा जिम्मेदारी’जी हाँ यही विषय था 18 अप्रैल विश्व विरासत दिवस 2020 का। पर कोविड जैसी वैश्विक महामारी के समय में संगठन ने इस साझा संस्कृति को साझा करने का...
View Articleउदंती.com, अप्रैल- 2021
वर्ष- 13, अंक- 7दूसरों के जीवन में शामिल होना और दूसरों को अपने जीवन में शामिल करना ही संस्कृति है। - दादा धर्माधिकारी इस अंक मेंअनकहीः संवेदनाएँ अभी मरी नहीं हैं....– डॉ. रत्ना वर्माविश्व धरोहर...
View Articleपहलः आप भी जुड़ सकते हैं इस अभिनव प्रयास में
छत्तीसगढ़के आदिवासी क्षेत्र बस्तर के कोण्डागाँव जिले के कुम्हारपारा गाँव में ‘साथी समाज सेवी संस्था’नाम से स्थापित संस्था लगभग 40वर्षों से आदिवासियों के जीवन के संवर्धन- संरक्षण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा...
View Articleप्रेरकः मैं हर दिन कैसे प्रेरित रह सकता हूँ?
-निशांतएक दिन सैर करते वक्त मैंने बिजली के तार पर दो चिड़ियाँबैठी देखीं।वे सुस्ता रही थीं। बातें कर रही थीं।थोड़ा चहचहाने के बाद वे फुदककर एक-दूसरे से दूर हो गईं। उन्होंने एक-दूसरे को कुछेक बार...
View Articleजीवन दर्शनः एक तुलना तटस्थ और तत्पर की
- विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल , भोपाल)निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा ईश्वर ने इंसान को पूरी शक्ति, सामर्थ्य एवं बुद्धि के साथ धरती पर भेजा। इसी के साथ विवेक की...
View Articleचक्रधर शुक्ल की चार बाल कविताएँ
1. तुम कहते हो बच्चा हैतुम कहते हो बच्चा है,हमसे तुमसे अच्छा है। किलकारी में गाता है,गोद सभी कीजाता है,मन्द-मन्द मुस्काता हैसबका जी बहलाता हैमन का कितना सच्चा है,तुम कहते हो बच्चा है,हमसे तुमसे अच्छा...
View Articleकविताः हथेलियों की रेखाएँ
-डॉ. संजय अवस्थीकभी मेरी हथेलियों को थाम,एक अधूरी रात में साँसों को थाम,उसने कहा था, देखो, मैंने अपने अनुराग से,तुम्हारे हाथों में, प्रेम की लकीरें उकेर दीं।रात के धुंधलके में, अधूरे मिलन सेआँखों में...
View Articleकिताबेंः बहुआयामों वाली कथाओं से सुसज्जित
- नमिता सुंदर सूरज डूबने से पहले (लघुकथा-संग्रह ): प्रेरणा गुप्ता,प्रकाशक : बोधि प्रकाशन – जयपुर, : सुंदर अय्यर ,पृष्ठ : 220, मूल्य : ₹ 250/-'सूरज डूबने से पहले', सुश्री प्रेरणा गुप्ता का प्रथम लघुकथा...
View Articleलघुकथाः उम्मीद की डोर
- माधुरी महलवाला, लखनऊजब से लॉकडाउन शुरू हुआ, मैं सुबह से शाम तक एक अलग तरह की ठक्क-ठक्क सुना करती थी।पहले भी आती होगी, पर अब बाहरी शोरगुल थम जाने के बाद वो आवाज़ और भी साफ़ हो गयी थी।जैसे पास ही कोई...
View Articleकहानीः सुबह की चाय
-गोविन्द उपाध्यायविष्णु इस समय रसोई घर में थे। चूल्हे पर चाय खौल रही थी। पास में ही मोबाइल के यू -ट्यूब पर गाना बज रहा था – रात कली इक ख्वाब में आई और गले का हार बनी...। चाय बनाने का उनका सीधा सा...
View Articleश्याम सुन्दर अग्रवाल की दो लघुकथाएँ
1. गुलाब वाला कपसुबह-सवेरे चाय बनाने हेतु बुज़ुर्ग हीरालाल रसोईघर में पहुँचे,तो गुलाबी कप अपने स्थान पर नहीं था। उन्होंने हर तरफ निगाह घुमाई; लेकिन कप कहीं भी दिखाई नहीं दिया। नएकप तो दिखाई दे रहे थे,...
View Articleकोरोनाः लॉकडाउन की कीमत
-सोमेश केलकरलगभग एक वर्ष पूर्व भारत में लॉकडाउन को अपनाया गया था। उसके बाद से अर्थव्यवस्था को लगातार ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है। इस लॉकडाउन के सामाजिक व आर्थिक असर आज भी दिख रहे हैं। इस लॉकडाउन ने भारत...
View Articleसंस्मरणः चलती ट्रक पर किया गया नाटिका का मंचन
अपने स्कूली दिनों में अन्नू कपूर के साथ - संदीप राशिनकर अभीहाल ही में हुए विश्व रंगमंच दिवस पर रंगमंच, रंगकर्म, मंचन को लेकर बहुत सारी जानकारियाँ मीडिया में छाई रही। मेरे जीवन में मेरी अल्प रंगकर्म...
View Articleग़ज़लः वक़्त है बेरहम
-प्रीति ‘उम्मीद’राह को क्यों न मंज़िल, बना लेंअभीदर्द ही पर तबस्सुम, सजा लेंअभी।। रोज़ लाएकहर ज़िन्दगी, क्या करेहौसले आप अपने, बढ़ा लेंअभी।। वक़्त है बेरहम सूझता कुछ नहींकहकहों का यहीं घर, बसा लेंअभी।।...
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