बुनकर पक्षी
बया का खूबसूरत घोंसलाबयापक्षी बुनकर पक्षी समुदाय का सदस्य है इसका वैज्ञानिक नाम Ploceus philippinus है यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह खासकर जंगलो और खेतों में...
View Articleलघुकथा
भाई-भाई - ख़लील जिब्रान , अनुवाद - सुकेश साहनीऊँचे पर्वत पर चकवा और गरुड़ की भेंट हुई। चकवा बोला, ‘‘शुभ प्रभात, श्रीमान्!’’गरुड़ ने उसकी ओर देखा और रुखाई से कहा, ‘‘ठीक है-ठीक है।’’ चकवे ने फिर बात शुरू...
View Article20 मार्च -गौरैया दिवस
आँगन की गौरैया -कालू राम शर्मागौरैयाके साथ मेरा रिश्ता बचपन से ही रहा है। गौरैया छत में लकड़ी व बाँस की बल्लियों के बीच की जगह और दीवारों पर टंगे फोटो के पीछे दुबकी रहती और सुबह होते ही यहाँ-वहाँ चहकती...
View Articleबालकथा
दो गौरैया-भीष्म साहनीघर में हम तीन ही व्यक्ति रहते हैं- माँ, पिताजी और मैं। पर पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है। हम तो जैसे यहाँ मेहमान हैं, घर के मालिक तो कोई दूसरे ही हैं।आँगन में आम का पेड़...
View Articleकविता
1. हार नहीं मानती है चिड़िया -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’तिनका तिनका चुनकरनीड़ बनाती है चिड़ियाघोर एकांत मेंअपनी चहचाहट सेकिसी के होने काआभास कराती द्वार खुलने के इंतज़ार मेंसुबह सेखिड़की के पास...
View Articleकहानी
प्रेमचंद का अप्राप्य साहित्य(प्रेमचंद के जीवन-काल में उनकी अनेक कहानियों का अनुवाद जापानी, अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं में तो हुआ ही, अनेक भारतीय भाषाओं में भी उनकी कहानियाँ अनूदित होकर प्रकाशित...
View Articleनिबंध
आँगन का पंछी - विद्यानिवास मिश्रगाँवों में कहा जाता है- जिस घर में गौरैया अपना घोंसला नहीं बनाती,वह घर निर्वंश से हो जाता है। एक तरह से घर के आँगन में गौरैयों का ढीठ होकर चहचहाना, दाने चुनकर मुंडेरी पर...
View Articleअनकही
परहित सरिस धरम नहिं भाई। परपीड़ा सम नहिं अधमाई।। - डॉ. रत्ना वर्माहमारी धरती बहुत खूबसूरत है। इस मौसम में तो प्रकृति अपने पूरे शबाब पर होती है। चारो तरफ बिखरी हरियाली, रंग-बिरंगे असंख्य फूल, तितलियाँ,...
View Articleइस अंक में
उदंती.com वर्ष-12, अंक- 7, फरवरी 2020 विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। - रवींद्रनाथ ठाकुरपक्षी विशेष अनकहीः परहित सरिस धरम नहिं भाई।...
View Articleजीवन दर्शन
होली:उल्लास एवं उमंग का उत्सव- विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)शीत विदा होने लगी चली बसंत बयारप्यार बाँटने आ गया होली का त्यौहाररंगबिरंगी सतरंगी आभायुक्त होली पर्व जहाँ एक ओर अपनी अनोखी...
View Articleप्रेरक
मानसिक जंजाल से मुक्ति के उपाय-निशांतहमारी समस्या यह नहीं है कि मौलिक और अभिनव विचार कैसे आएँ बल्कि यह है कि लम्बे समय से भीतर जड़ जमा चुके नकारात्मक विचार कैसे निकलें। हमारा मष्तिष्क ऐसा भवन है जिसमें...
View Articleग़ज़ल
मेरा गाँव -देवमणि पांडेयकाग़ज़ों में है सलामत अब भी नक़्शा गाँव कापर नज़र आता नहीं पीपल पुराना गांव काबूढ़ीं आँखें मुंतज़िर हैं पर वो आख़िर क्या करेंनौजवाँ तो भूल ही बैठे हैं रस्ता गाँव कापहले कितने ही...
View Articleमुद्दा
फाँसी का फाँस- जेन्नी शबनम वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह का बयान कि जैसे सोनिया गाँधी ने राजीव गाँधी के हत्यारे को माफ़ किया है, वैसे ही निर्भया की माँ निर्भया के बलात्कारियों को माफ़ कर दें। एक स्त्री होकर...
View Articleकविता
माँ -आरती स्मित वह गूँध रही खुशियाँ और सपनेकाट रही बाधाएँ झाड़ रही मन के मैल बुहार रही घर के क्लेशऔर अबधुल रही बासी सोचचमका रही मेधाउसने सहेजीं संवेदनाएँठीक कीं सिलवटें विचारों की समेट दिए अविश्वास...
View Articleलघुकथा
मलाल-ओमम्प्रकाश क्षत्रिय‘गाँव वाले लड़ने आ सकते हैं। लड़की को क्यों मारा? क्या, तुम्हें मारने का अधिकार है। पिताजी पुलिस में रिपोर्ट कर सकते हैं। शर्म नहीं आती। एक छोटी लड़की का मारते हुए।’यही सोच कर...
View Articleआत्मकथा से
मैं लेखक कैसे बना-अमृतलाल नागरअपने बचपन और नौजवानी के दिनों का मानसिक वातावरण देखकर यह तो कह सकता हूँ कि अमुक-अमुक परिस्थितियों ने मुझे लेखक बना दिया, परंतु यह अब भी नहीं कह सकता कि मैं लेखक ही क्यों...
View Articleकविता
उठ आसमान छू ले-सुदर्शन रत्नाकरउठ आसमान छू लेवह तेरा भी हैपंख फैला औरउड़ान भरने की हिम्मत रखबंद दरवाज़े के पीछे आहें भरनेऔरआँसू बहाने से कुछ नहीं होगा।किवाड़ खोल और खुली हवा मेंसाँस लेकर देखतुम्हारी...
View Articleव्यंग्य
रचना प्रकाशन के सोलह संस्कार -बी.एल.आच्छा रचनाप्रसव पीड़ा का उपहार है। जीवंत है तो संस्कार होंगे ही। यह मनुस्मृति नहीं, शास्रीय तर्ज पर रचना-प्रसूति के संस्कारों का नामकरण। पुराने हों या सोशल...
View Articleकविता
युद्ध कर -सुधा राजे हो लिया जितना दुखी होना था रोना रो लिया,भाग्य जैसा है सो है तू उठ स्वयं को सिद्ध करजन्म से है मृत्य निश्चित मध्य दूरी रुद्ध कर, कृष्ण भी तू पार्थ भी तू जीत है तय युद्ध कर ,१.अब न...
View Articleहोली- रम्य रचना
निंजू भिया का भाँग-भंडारा -जवाहर चौधरीनामउनका निरंजन पहलवान था, लेकिन लोग उन्हें निंजू भिया कहते थे। निंजू भिया का एक निराला शौक था। वे होली पर सबको निःशुल्क भाँग पिलाया करते थे। जैसे इन दिनों...
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