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बुनकर पक्षी

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बया का खूबसूरत घोंसला
बयापक्षी बुनकर पक्षी समुदाय का सदस्य है इसका वैज्ञानिक नाम Ploceus philippinus  है  यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह खासकर जंगलो और खेतों में निवास करता है। इसकी प्रजातियों का रंग अलग अलग होता है। नर पक्षी पीले और काले रंग के होते है। मादा बया का रंग भूरा होता है। कुछ ऑरेंज रंग के भी होते है। इनका आकार 5से 10इंच के बीच में होता है। वैसे बया पक्षी गोरैया के आकार की होती है और कुछ कुछ दिखाई भी गौरैया की तरह ही देते हैं। इनकी चोंच गौरेया से मोटी होती है।

बया एक ऐसा पक्षी है जो पेड़ की शाखाओं पर नहीं बल्कि उस की डाल पर लटकते हुए खूबसूरत घोंसले बनाता है। ये घोंसले आकार में लौकी की तरह लगते हैं। बया का घोंसला एक बेहतरीन कारीगरी होता है। घोंसला नर पक्षी बनाता है और वह मादा को इससे रिझाता है। कभी कभी मादा पक्षी नर के बनाये घोसले का निरक्षण भी करती है। मादा बया घोसले को देखकर ही नर के पास आती है।  बया के घोसले की बनावट जटिल होती है। सभी पक्षियों के घोंसले में बया पक्षी का घोसला सबसे अनोखा होता है, इसे बुनकर पक्षी भी कहा जाता है।
बया का घोंसला पत्तियों, छोटी टहनियों, घास से मिलकर बना होता है। बया अपने इस घोसले में रोशनी की व्यवस्था भी करती है। बया हर बार एक नया घोंसला बुनती है। लेकिन यह एक ही पेड़ पर बार बार घोसला बना लेती है। नर बया घोंसला बनाने के लिए करीब 500बार उड़कर लंबी घास और पत्तियाँ लाता है, इसके बाद यह अपनी चोंच से तिनकों और लम्बीघास को आपस में बुन देता है। ये ऊपर की तरफ से पतले और बीच मे मोटे गोल होते है। इसके घोसले का निकासी भाग सकरा टयूब की तरह होता है। घोंसला पूरी तरह बनने में 28दिन का समय लगता है।  बया अक्सर अपना घोंसला पेड़ के पूर्वी दिशा में बनाना पसंद करता है। घोंसला बनाने के बाद ही नर पक्षी मादाओं को आकर्षित करने के लिए पंखों को हिला कर मधुर आवानिकालता है, नर और मादा बया पक्षी घोंसला बनने के बाद मिट्टी के गिले टुकड़े लाकर इस घोसले को और मजबूत बनाते हैं।
एक ही पेड़ पर अधिक संख्या में घोसले होने के कारण, यह पेड़ बया की कॉलोनी की तरह दिखता है। बाया एक सामाजिक पक्षी है इसलिए एक पेड़ पर 60पक्षियों के घोंसले तक देखने को मिल जाते हैंबया पक्षी की एक कॉलोनी में 200से अधिक घोसले पाए जाते हैं।
बया पक्षी-समूह में रहना पसंद करती है और काफी शोरगुल करती है। यह अपने घोसले पानी के निकट बनाती है या फिर उन टहनियों में बनाती है,जो पानी के ऊपर हों। अमूमन काँटेदार या ताड़ के वृक्षों में यह अपना घोसला बनाना पसन्द करती है;क्योंकि इसकी वजह से इसके बच्चों को परभक्षियों से सुरक्षा प्रदान होती है।
बारिश का मौसम आने से पहले यह पक्षी घोंसला बनाता है। बया को बारिश का सटीक पूर्वानुमान होता है। ये ज़्यादातार खेतोंके आसपास रहते है;क्योंकि खेतोंमें इन्हें अनाज आसानी से मिल जाता है। ये खेतो के आसपास के पेड़ों की डालियों पर घोंसला बनाते हैं। इनके घोसले उन डालियोंपर भी होते है ,जो नदियों या तालाबोंके ऊपर से गुजरती हैं।  जिन पेड़ों पर यह पक्षी घोसला बनाता है,वे ज्यादातर काँटेदार होते हैं,जिससे शिकारी जानवरों से इनके बच्चों का बचाव होता है। अक्सर इस पक्षी को बबूल के पेड़ पर घोंसला बनाते देखा गया है। बया पक्षी के घोसले इतने मजबूत होते हैंकिते आँधी में भी ये डाली से नीचे नहींगिरते है। ये घोसले अपनी पकड़ डाली से बनारहते है।
मादा बया दो से चार सफेद अंडे देती है, इन अंडों को 14से 17दिनों तक सेया जाता है, नर और मादा दोनों बया पक्षी बच्चों को खाना खिलाते हैंकेवल 17दिन के बाद ही बच्चे घोसला छोड़ देते हैं।
बया का मुख्य भोजन अनाज होता है। बया को किसान का दुश्मन भी कहते है ;क्योंकि यह खेतोंकी फसलों से बीज खाती है। इससे पकी-पकाई फसल खराब हो जाती है। यह कीड़े-मकौड़े भी खाते हैं। कई प्रकार के बीज भी खाते है। बया पक्षी की आवाज चीं- चींकी होती है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने से इन पक्षियों का आशियाना खत्म हो रहा है और बया पक्षी विलुप्ति के कगार पर है।

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