कविता
१. पिता का कुरता -आरती स्मित घड़ी की टिक -टिक अतीत के पन्नों की फड़फड़ाहट यादों की सुलगन और पलों का भीगना अच्छा लगा उसेयाद आई उसे वह साँवली किशोरी ख़ुशी से छलछलाता उसका चेहरा किउसने पाई थी आज पिता की...
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षोडश शृंगार- शशि पाधा नील गगन पर बिखरी धूप,किरणें बाँधें वन्दनवारकुसुमित, शोभित आँगन बगियाचन्दन सुरभित चले बयारनवल वर्ष के अभिनन्दन मेंनीड़-नीड़ गुंजित गुंजार।दूर देश से पाहुन आयाचकित-मुदित-सी आन...
View Articleसोशल मी़डिया
मिथक में कैद मोबाइल- डॉ. महेश परिमलभारतीय समाज तेजी से बदल रहा है। कई अभिव्यंजनाएँ बदल रही हैं। जैसे- आज के युवा तब सोते हैं, जब मोबाइल की बैटरी 5% रह जाती है। युवा इसलिए सोते हैं, ताकि मोबाइल को आराम...
View Articleव्यंग्य
नए साल का संकल्प!! गिरीश पंकज उसने इस बार भी मुझसे कहा था कि नए साल पर कुछ करके दिखाऊँगा। मैंने उसे गंभीरता से नहीं लिया;क्योकि पिछले साल भी उसने वादा किया था कि अगले साल कुछ करके दिखाऊँगा;लेकिन कुछ...
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर की क्षणिकाएँ(अंग्रेजी से हिन्दी में काव्य-रूपान्तर: डॉ. कुँवर दिनेश सिंह)1तुम्हारी कौन सी भाषा है, ओ सागर?’‘सतत प्रश्न की भाषा।’‘तुम्हारे उत्तर की कौन सी भाषा है, ओ गगन?’‘सतत मौन की...
View Articleलघुकथा
राष्ट्र का सेवक-प्रेमचंदराष्ट्र के सेवक ने कहा - देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊँच...
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रसखान के दोहेप्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ।जो जन जानै प्रेम तो, मरै जगत क्यों रोइ॥कमल तंतु सो छीन अरु, कठिन खड़ग की धार।अति सूधो टढ़ौ बहुरि, प्रेमपंथ अनिवार॥बिन गुन जोबन रूप धन, बिन स्वारथ हित...
View Articleपरंपरा
व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दानजो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं -डॉ नीलम महेंद्रदान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान, अर्थात् देने का भाव, अर्पण करने की निष्काम भावना। भारत वो देश है...
View Articleबाल मनोविज्ञान
उत्कृष्टता की परम्परा फूलदेई ! -डॉ.कविता भट्टरंग-बिरंगी तितलियों के पीछे भागता, फूलों के साथ मुस्कुराता, पहाड़ी झरनों-सा थिरकता, वादियों में गूँजती लय के साथ सुर में गाता-गुनगुनाता, पहाड़ी नदी के...
View Articleसमाज
जैविक खेती की ओर मुड़े बिरहोर-बाबा मायाराम मंझगंवां का आनंदराम मिश्रित खेती करते हुएछत्तीसगढ़के कोरबा जिले का एक गाँव है समेलीभाठा। मानगुरू पहाड़ और जंगल के बीच स्थित है। यहाँ के बाशिन्दे हैं बिरहोर...
View Articleपर्यावरण
नए वर्ष में धरती की रक्षा से जुड़ें-भारत डोगरानएवर्ष का समय मित्रों व प्रियजनों को शुभकामनाएँ देने का समय है। इसके साथ यह जीवन में अधिक सार्थकता के लिए सोचते-समझने का भी समय है;क्योंकि एक नया वर्ष अपनी...
View Articleअनकही
युवा शक्ति - दशा और दिशा... - डॉ. रत्ना वर्मा आजकलशिक्षा प्राप्त करने वाली संस्थाओं में पढऩे वाले युवा शिक्षा और रचनात्मकता के लिए अपनी आवाज उठाने के बजाय देश के अन्य मामलों को लेकर विरोध प्रदर्शन,...
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उदंती.com,वर्ष-12,अंक- 6 नई किरन- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’नई भोर की नई किरन का स्वागत कर लो!आँखों में सबआशाओं कासागर भर लो!भूलो, बिसरी बातें दर्द-भारी अँधियारी रातेंशुभकामना कीदेहरी परसूरज धर...
View Articleजीवन दर्शन
प्यार का कोई प्रतिदान नहीं - विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)स्नेह जीवन का सबसे सरल सम्बल या सहारा है। बशर्ते वह निर्मल हो स्वार्थ से परे। पर कई बार यह नसीब होता से भाग्य से। जिसे मिल जाए...
View Articleप्रेरक
41साल-10सबक-निशांतमैंआज ही 41 साल का हो गया हूँ, आज मेरा जन्म दिन है। अपने ब्लॉग पर मैंने कुछ साल पहले अपने जन्मदिन के दिन एक पोस्ट लिखी थी, और यह संकल्प लिया था कि हर साल वैसी ही पोस्ट लिखा करूँगा,...
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एवरेस्ट की ऊँचाई पर उड़ते पक्षीवर्ष1953में, एक पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट के शिखर पर सिर पर पट्टों वाले हंस (करेयी हंस, एंसर इंडिकस) को उड़ान भरते देखा था। लगभग 9किलोमीटर की ऊंचाई पर किसी पक्षी का उड़ना...
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विश्व भ्रमण करते घुमक्कड़ परिंदे-गोवर्धन यादव बच्चो! क्या कभी आपने किसी पक्षी को उड़ते हुए देखा है ? प्रश्न सुनते ही शायद आपके मन में क्रोध उत्पन्न होने लगेगा और आप झट से कह उठेंगे कि यह भी...
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कबूतर -शबनम शर्मा‘धांय’ की आवाज़, मौत का खौफ़,तूफान की तरह सैंकड़ों कबूतर उस सामने वाली इमारत की आखिरी मंजिल से उड़े, कि आज वो बूढ़ा कबूतर टस से मस न हुआ, मैंने उसे इशारा कर बुलाया, वो सधी हुई उड़ान में उड़कर...
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चित्र -शंकर पुणतांबेकरवहचित्र बना रहा था। सामने स्टैंड पर फलक, हाथ में कूँची, नीचे रंग फैले हुए।वह चित्र बना तो रहा था, पर क्या चित्र बना रहा था उसे नहीं मालूम! आँखों के सामने धुँधलका। धुँधलके में...
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