प्रदूषण
भारत की नदियों को बचाने की कोशिशभारतकी युवा वैज्ञानिक शिली डेविड 2009से जर्मनी के सेंटर फॉर मरीन ट्रॉपिकल इकोलॉजी में रिसर्च कर रही हैं। शिली केरल की पम्बा नदी पर शोध कर रही हैं। वो भारत में दम तोड़...
View Articleधरोहर
पत्थरों से निर्मित अद्भूत मंदिर भोरमदेव - गोवर्धन यादवमध्यप्रदेशके उत्तरीय भाग में पन्ना एवं छतरपुर के मध्य स्थित खजुराहो, 10वीं...
View Articleधर्म -सम्मेलन
मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूँ...स्वामीविवेकानंद ने 11सितंबर 1893को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जि़क्र आता है उनके इस भाषण की...
View Articleमुद्दा
35ए जैसे दमनकारी कानूनों का बोझ देश क्यों उठाएकश्मीर हमारा है पर हम कश्मीर के नहीं हैं... - डॉ. नीलम महेन्द्रभारतका हर नागरिक गर्व से कहता कि कश्मीर हमारा है...
View Articleपर्यावरण
गुम हो गई काँव-काँव की आवाज़ उदंतीके इस अंक के आवरण पृष्ठ पर प्रकाशित कौए का चित्र और इस पृष्ठ पर प्रकाशित कौओँ के झुंड के ये अलग-अलग चित्र आपको ज़रूर आश्चर्य से भर देंगे, कि इतने सारे कौए कहाँ...
View Articleजीव -जगत
अब मुँडेर पर नहीं आते कागाऊँची-ऊँचीइमारतों की छत पर लगे टीवी एंटीना के कोने पर अब कौए नहीं बैठते। उनकी काँव-काँव का शोर अब कानों को नहीं बेधता। एक समय था जब कौए सभी जगह आसानी से दिखाई दे...
View Articleशोध
हमारी सोच से ज्यादा चालाक है कौआ - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यमकौआश्रीनिवास रामानुजन चाहे न हो, फिर भी वह कुछ अंकगणित जानता है, रचनात्मक होता है और चिम्पैंज़ी की तरह औज़ार भी बना सकता...
View Articleसंकट में
चतुर कौआ छिपा कर रखता है अपना भोजनकर्णकर्कश आवाज में काँव-काँव करने वाला काले रंग का पक्षी कौआ बहुत उद्दंड, धूर्त तथा चालाक पक्षी माना जाता है। कौवे के अंदर इतनी विविधता पाई जाती है कि इस पर एक...
View Articleप्रेरक
जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण क्या है? संतुलनइसेहम तीन युवकों के उदाहरण से समझने की कोशिश करेंगे। मान लें कि तीनों की उम्र 25साल है।पहला युवक एक साल में 24लाख कमाता है (2लाख...
View Articleपितृ पक्ष
पितरों का तर्पण विष्णु की नगरी गया मेंहिन्दूधार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष का 15दिन पितरों के लिए समर्पित होता है। इस समय में पितरों को पिंडदान देना उनको मोक्ष प्राप्ति सहज बनाता है। वैसे तो...
View Articleसामयिक
आस्था का खौफनाक चेहरा - डॉ. महेश परिमलकहा गया है कि धर्म का नशा अफीम से भी खतरनाक होता है। हमारे देश में धर्म के नाम पर बहुत कुछ ऐसा होता रहा है, जो नहीं होना चाहिए। धर्म की राजनीति क्या होती है, यह...
View Articleहिन्दी की स्वर्णकाल
संस्कृत हमारीमहारानी है हिन्दी बहूरानी- सत्या शर्मा'कीर्ति'गुजरे हुए सालों को हम देखें ,तो आजका दौर हिन्दी के स्वर्णकाल का दौर कहा जा सकता है।हमारी हिन्दी आज सिर्फ देश की हीभाषा नहीं रही;बल्कि पूरी...
View Articleहिन्दी का विकास
हिन्दी का व्यवहारऔर विस्तार-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’सितम्बरका महीना आता है , तो हिन्दी के लिए हिन्दी का ज्वार उमड़ आता है। इसके बाद फिर गहन शीत निद्रा में चले जाते हैं। इस तरह हिन्दी का विस्तार...
View Articleअनकही
सवालबच्चों कीसुरक्षाका...-रत्ना वर्मामनुष्यनेअपनीबुद्धिबलसेनई-नईतकनीककेचलतेहमारेलिएआगेबढऩे, ज्ञानप्राप्तकरनेऔरदुनियाजहाँनकोजननेकेलिएअनेकरास्तेखोलदिएहैंलेकिनसाथ- साथविनाशकीओरढकेलनेकेबढ़े-...
View Articleइस अंक में
उदंती.com,सितम्बर- 2017कागासबतनखाइयो, चुन-चुनखइयोमांसदोनैनामतखाइयो,पियामिलनकीआस - बाबाफऱीदअनकही: सवालबच्चों कीसुरक्षाका... - रत्नावर्माहिन्दीकाविकास: हिन्दीकाव्यवहारऔरविस्तार -...
View Articleजीवन दर्शन:
कुछ अलग करें... - विजय जोशीजीवन में कोई भी काम करते करते हम उसके इतने अभ्यस्त हो जाते हैं और वह हमें इतना आसान लगने लगता है कि हमारे आगे के सोच को अवरुद्ध कर देता है। जैसे ही उस काम में कुछ नवीनता या...
View Articleमौसम:
...धरा ने ओढ़ ली सफेद चादर - रश्मि शर्माकलनिकल गई थी शहर से दूर.....अचानक नजर पड़ गई कास के सफेद फूलों पर। झट से याद आ गई स्कूल पाठ्यक्रम में पढ़ी तुलसीदास रचित शरदलालित्य का वर्णन..... ‘वर्षा विगत...
View Articleदो कविताएँ:
1. तुम्हारी नाराजगी- पीहू तुम अकसर नाराज रहते हो मुझसेकारण इसका लगता है जरा बचकाना-साकरती नहीं क्यों रोज फोन तुम्हें?जैसा मैं हमेशा से करती आई थी।मैं जवाब में उलहानों के तीर छोड़ देती हूँऔर पूछ बैठती...
View Articleलोक कथा:
बगुला पत्नी - डॉ. अर्पिता अग्रवालएकगड़रिया था। सीधा-सीधा, भोला-भाला। प्रतिदिन वह अपनी भेड़-बकरियाँ चराने पहाड़ी पर जाता था। गड़रिया अत्यंत मुश्किल से दो वक्त की रोटी का...
View Articleकविता:
पिता की अस्थियाँ... - सुशील यादवपिता,बस दो दिन पहलेआपकी चिता काअग्नि-संस्कार करलौटा था घर....माँ की नज़र मेंखुद अपराधी होने का दंशसालता रहा...पैने रस्म-रिवाजों काआघातजगह- जगह, बार-...
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