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Channel: उदंती.com
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महोत्सवः

   भारतीय संस्कृति में देवरूप नागदेवता - गोवर्धन यादवअनन्तंवासुकिशेषंपद्मनाभं च कम्बलम्           शंखपालंधार्तराष्ट्रंतक्षकंकालियं तथा               एतानि नव नामानिनागानां च महात्मनाम्...

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बारिश में:

 मन करता है...- डॉ. रत्ना वर्मा1. बारिश ने दे दी दस्तकमन करता हैमैं भी उड़कर परियों के देस चलूँ।खुले आसमान में अठखेलियाँ करतेकाले घने बादलों के बीचछुपा- छिपी खेलतेपुकारूँ वर्षा की बूंदों को।और वो देखो...

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कविताः

इन्द्रधनुष - प्रियंका गुप्तासुनो,हवाओं में यूँ ही बेफिक्र टहलते कुछ शब्दकुछ धीमे से बोल,कभी तो किसी सुगंध की तरहबस छू के निकल जाते हैंसराबोर से करते,तो कभीकिसी तितली की मानिंदहथेली पर आ सुस्ताते...

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कविता:

अम्बर भरता आह! - शशि पाधाना बादल ना वर्षा बूँदेंमौसम भी बेहाल खड़ाअम्बर में अकाल पड़ा।झुर्रियों वाली हुई बावड़ीताल-तलैया भूखे सेमाथे शिकन पड़ी नदिया केझाड़-तरु सब रूखे सेअमरु के घर चढ़ी ना हाँडीस्वाद...

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गीत/ कुण्डलिया छंदः

 कब आओगे घन- डॉ. ज्योत्स्ना शर्माबढ़ते -बढ़ते आज हो गई उसकी पीर सघनबाट जोहती रही धरा तुम कब आओगे घन!सोचा था महकेंगे जल्दीगुंचे आशा केसमझाया फिर लाख तू मत गागीत निराशा केबस में नहीं मनाना इसकोबिखरा जाए...

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व्यंग्य:

आह वर्षा, वाह वर्षा, हाय वर्षा - यशवंत कोठारीवर्षाका आना एक खबर हैं। वर्षा का नहीं आना उससे भी बड़ी खबर है। वर्षा नहीं तो अकाल की खबर हो जाती है। कल तक जो अकाल को लेकर चिल्ला रहे थे वे ही आज वर्षा के...

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तीन कविताएँः

बारिश... – सुशीला शिवराण1.सुनो वीरबहूटी!इन बारिशों मेंमन की सीली सुनहली रेत परसिंदूरी-मखमली अहसास-सीमेरा बचपन लियेलौट आओ ना !किजेठ की जलती धूप मेंकाली-पीली आँधियों मेंपत्थर-सी तपी हूँरेत-सी जली हूँअब...

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लघुकथा:

 सावन की महक - डॉ. श्याम सुन्दर दीप्तिसावनके महीने की पहली घटा थी। एकदम अँधेरा हो गया। कमरे की रोशनी कम लगने लगी और साथ ही लाइट चली गई।कूलर -पंखे की बात तो नहीं थी पर अँधेरा, जैसे रात हो गई हो। काम तो...

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गीत:

 बूँद- बूँद - आरती स्मित               बूँद- बूँद सागर सिमटाबूँद नयन भर पानीबूँद बिना जीवन सूनाबूँद की असीम कहानी।कहीं बूँद नयन छलकाएकहीं बूँद नयन मर जाएकहीं प्रीत गहन कर जाएबूँद तू हर रूप सुहाए।बूँद-...

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हास्य व्यंग्य:

 भीगा आँगन, एक खिड़की और दो उदास चेहरे - जवाहर चौधरीप्रेमजैसे मामलों में स्मृतियों के द्वार तभी खुलते हैं ,जब संभावनाओं के दरवाजे बंद हो जाते हैं । एक उम्र के बाद बारिश के साथ पुरानी प्रेमिकाओं को याद...

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सावन गीतः

1. हुए विवश बादल के आगे– रमेशराजगुस्से में निकला है बादलअब छुपने को जगह टटोलोखोलो झट से छाता खोलो।दइया-दइया इतना पानीबादल करे खूब मनमानीसाँय-साँय चलती पुरवाईआई कैसी आफत आई।ऐसे गिरता मोटा ओलाजैसे किसी...

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ललित निबंध:

सावन का आना लगेजैसे इक वरदान- गिरीश पंकजझूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोरराग अमर, अम्बर में भर निज रोर।बारिश आते ही सहसा निराला की ये पंक्तियाँ कौंध जाती हैं। उनकी लम्बी कविता ‘बादल राग’पढ़ो ,तो लगता है जैसे...

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अनकही:

 बात खुशियों की... - डॉ. रत्ना वर्माबारिशका मौसम है और हमारे आसपास हरियाली दिखाई देने लगी है। पेड़-पौधों के पत्तों से धूल की परतों को बारिश ने धो दिया है और वे चमक रही हैं। रंग- बिरंगे फूलों में...

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इस अंक में

उदंती.com  जुलाई 2017पृथ्वी और आकाश, जंगल और मैदान, झीलें और नदियाँ, पहाड़ और समुद्र, ये सभी बेहतरीन शिक्षक हैं और हमें इतना कुछ सिखाते हैं,जितना हम किताबों सेनहीं सीख सकते। - जॉन लुब्बोकपावस...

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कविता

तुझे जाना बहुत दूर है - अबुज़ैद अंसारीहार कर तू हार कोक्यों अपनी हार मानता है। बीच राह में क्यों ठिठक करलक्ष्यहीन हो तू खड़ा है।लक्ष्य को आयाम देपंखों को उड़ान देतेरा लक्ष्य बहुत दूरतुझे जाना बहुत दूर...

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न काहू से दोस्ती न...

क्यूँ... मन माँगे मोर- साधना मदान बार- बारखाने की मेज़ पर रुचि अपने हाथों बनाई खीर सबको खिलाना चाह रही थी। नीले परदे के पास वाली कुर्सी से वाह! वाह! की आवाज़ सुनकर रुचि की आँखें जगमगा गईं पर यह आवाज़...

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प्राकृतिक आपदाः

 बचाव की पूर्व तैयारी - भारत डोगरामानसून का समय बाढ़, भूस्खलन व भूमि कटाव की दृष्टि से अधिक सावधानियाँ अपनाने का समय होता है। अधिक बाढ़ की संभावना को कम करने के लिए तटबंधों पर पैनी नजर रखना ज़रूरी है।...

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जीवन दर्शन

दिल बड़ा करिये- विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)जिन्दगीभव्य और विशाल है, जिसके विस्तृत मंच पर आप अपने कार्य रूप आयोजन को अंजाम देते हैं। दिल बड़ा करके साथियों के साथ संबंध निर्वाह वह...

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ग़ज़ल

 बस इन्सान बनना है- डॉ. पूर्णिमा रायन हिन्दू सिक्ख ईसाई न ही शैतान बनना है। गिरा कर वैर की दीवार बस इन्सान बनना है।।दिखे रोता अगर कोई तो-उसके पोंछ कर आँसूखुदा के नूर के जैसी हमें मुस्कान बनना है।।ख़ुशी...

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पर्यावरण

कैसे हो रहा है जल प्रदूषण                  -राजेश कुमार काम्बोजआजके इस दौर में जल प्रदूषण हमारे लिए एक विकट समस्या के रूप में सामने आ रहा है। इस समस्या का यदि समय रहते समाधान नहीं किया गया तो आने वाली...

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