अंतरंग: विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ
सायास अनगढ़पन का सौंदर्य - विनोद साव विनोदकुमार शुक्ल की एक प्रसिद्ध कविता मैंने भी पढ़ी थी- ‘जंगल के दिन भर के सन्नाटे में’ और उसे डायरी में नोट कर लिया था। उस कविता को बार- बार पढ़ने का मन होता था।...
View Articleअनकहीः आम जनता और वीआईपी संस्कृति
डॉ. रत्ना वर्मा पिछलेदिनों छत्तीसगढ़ में चल रहे भोरमदेव महोत्सव में वीआईपी कल्चर के विरोध में लोगों ने कुर्सियाँ तोड़ डालीं। इस महोत्सव में इतने अधिक वीआईपी पास बाँटे गए कि आम लोगों को बहुत पीछे कर...
View Articleउदंती.com, अप्रैल 2025
वर्ष - 17, अंक - 9हताशा - विनोद कुमार शुक्लहताशा से एक व्यक्ति बैठ गया थाव्यक्ति को मैं नहीं जानता थाहताशा को जानता थाइसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गयामैंने हाथ बढ़ायामेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआमुझे...
View Articleपर्व - संस्कृतिः सामाजिक समरसता का पर्व होली
- प्रमोद भार्गवहोलीशायद दुनिया का एकमात्र ऐसा त्योहार है,जो सामुदायिक बहुलता की समरसता से जुड़ा है। इस पर्व में मेल-मिलाप का जो आत्मीय भाव अंतर्मन से उमड़ता है, वह सांप्रदायिक अतिवाद और जातीय जड़ता को भी...
View Articleकविताः शब्द
- रश्मि विभा त्रिपाठीफुसफुसाहट, शालीन संवाद, बहस या चीख़-पुकारशब्द बुनते हैं एक दुनिया, खोलके अभिव्यक्ति के द्वारएक रेशमी रूमाल या एक नुकीली कटार, या दिल को बेधते या पोंछते हैं आँसू की धारस्याही और...
View Articleजीवन दर्शनः उसैन बोल्ट: परहित सरिस धरम नहीं भाई
-विजय जोशी पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)जो भी पुरुष नि:ष्पाप, निष्कलंक, निडर हैउसे प्रणाम. कलियुग में वही हमारा ईश्वर है जीवनमें आगे बढ़ने के लिए भाग्य से अधिक आवश्यक है लगन,...
View Articleकविताः नमस्कार
- रवींद्रनाथ टैगोर अनुवाद: मुरली चौधरी"अरे ओ नवयुवक,अरे मेरे बच्चे,अरे हरे-भरे, अरे अबोध,कोमल पत्तों की बहारप्रकाश के देश मेंतू ले आया ताज़ा फूलों की मालानए रूप में।तेरी यात्रा शुभ हो।" (यह कविता...
View Articleकिताबेंः विचित्रता से घिरे मन और बुद्धि
- रश्मि विभा त्रिपाठी मन विचित्र बुद्धि चरित्र (कहानी-संग्रह): डॉ. सुषमा गुप्ता, पृष्ठ: 208, मूल्य: 209 , संस्करण: 2025, प्रकाशक: हिंद युग्म, सी- 31, सेक्टर- 20, नोएडा (उ.प्र.)- 201301, आवरण- चित्र:...
View Articleग़ज़लः तुम्हें राधा बुलाती है
- अशोक शर्मा कभी तू मान जाती है, कभी तू रूठ जाती है,अज़ब हैं ख़ेल क़िस्मत का, हँसाती है, रुलाती है।अदा उसकी यही प्यारी मुझे हरदम लुभाती है,लिखे वो नाम मेरा और लिख-लिखकर मिटाती है।वही तो गाँव है, गलियाँ,...
View Articleकविताः अम्मा का गुटका
- भावना सक्सैनाचाची और अब छोटी भाभी नेबड़ी सँभाल से रखा हैमटमैली जिल्द औरपीले पन्नों वालारामायण का एक गुटकाअम्मा का गुटकादेख उसे अनायास हीभीग गईं अँखियाँ।अम्मा के इस गुटके मेंसाँस ले रही हैंकितनी...
View Articleलघुकथाः बड़कऊ
- रचना श्रीवास्तव पूराघर दहाड़े मार -मारकर रो रहा था। अम्मा बार बार बेहोश हुए जा रहीं थीं। मीरा और सुन्दर पिता के पैर पकड़ पकड़ रो रहे थे। पड़ोसी फुसफुसाकर बातें कर रहे थे आखिर बड़कऊ ने ऐसा क्यों...
View Articleकविताः गुमशुदा
- सुरजीत [ कैनेडा ]बहुत सरल लगता था कभीचुम्बकीय मुस्कराहट सेमौसमों में रंग भर लेनासहज हीपलटकरइठलाती हवा काहाथ थाम लेनागुनगुने शब्दों काजादू बिखेरउठते तूफानों कोरोक लेनाऔर बड़ा सरल लगता थाज़िन्दगी के पास...
View Articleव्यंग्यः दास्तान-ए-सांड
- डॉ. मुकेश असीमितजन्मदिवस मेरा अभी दूर है। परिवार में एक महीने पहले ही चर्चा शुरू हो गई है कि इस दिवस को कैसे अनूठा बनाया जाए। इस बार गायों को चारा और गुड़ खिलाकर मनाने का फैसला हुआ है। शहर में भी...
View Articleकहानीः ग़ैर-ज़रूरी सामान
- नमिता सिंह 'आराधना'पत्नीके निधन के पश्चात हरीश बाबू बेटे के पास मुंबई रहने आ गए थे। उन्होंने सोचा था कि बेटे-बहू के पास रहने से समय अच्छा कट जाएगा और अकेलापन भी नहीं सताएगा ; लेकिन अब यहाँ आकर...
View Articleहाइबनः प्रवासी पक्षियों का आश्रय चिल्का झील
- अंजू निगम उड़ीसाके चंद्रभागा तट से टकराती समुद्र की उत्कट लहरें। कतार में लगे, हवा के साथ दौड़ लगाते नारियल के विशालकाय वृक्ष। इन वृक्षों के समानांतर चलती सीधी-सपाट सड़क, चिल्का झील तक पहुँचती है।...
View Articleदो लघुकथाः
- डॉ. सुषमा गुप्ता1. संवेदनाओं का डिजिटल संस्करण2 मार्च 2021पिताजी बहुत बीमार हैं। आप सभी की दुआओं की बहुत ज़रूरत है।(अस्पताल में लेटे बीमार पिता जी की फोटो के साथ उसने फेसबुक पर स्टेटस अपडेट किया।)3...
View Articleप्रसंगः एक भावुक दृश्य
- लिली मित्रा ऐसे बिना अनुमति के किसी तस्वीर नही खींचनी चाहिए; पर मैं रोक नही पाई और मेट्रो रेल मे बैठे एक यात्री परिवार की फोटो सबसे नज़र बचाकर खींच ली। पिता की वात्सल्यमयी गोद में बहुत सुकून से...
View Articleनिबंधः मेरी पहली रचना
- प्रेमचंद उसवक्त मेरी उम्र कोई 13 साल की रही होगी। हिन्दी बिल्कुल न जानता था। उर्दू के उपन्यास पढऩे- लिखने का उन्माद था। मौलाना शहर, पं. रतननाथ सरशार, मिर्जा रुसवा, मौलवी मोहम्मद अली हरदोई निवासी, उस...
View Articleकविताः पिता, तुम सच में चले गए?
- डॉ. पूनम चौधरी जब मैं विदा हुई थी, छलक गई थी तुम्हारी आँखें, पर छुपा कर सारा दर्द, ओढ़कर मुस्कान, थमाया था धीरज-‘‘जा, यह नया संसार तेरी प्रतीक्षा कर रहा है। पर तेरा छूटा हुआ सब तेरा ही है।’’...
View Articleस्वास्थ्यः कटहल के लाभ
- डॉ. डी. बालसुब्रमण्यनयदिआम को फलों का राजा कहा जाता है, तो कटहल को सभी फलों में डॉक्टर कहा जा सकता है। भारत और मध्य-पूर्व के लोग कटहल (Artocarpus heterophyllus) से बहुत पहले से परिचित हैं। कटहल का...
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