दो लघुकथाएँ
- अशोक भाटिया1. युग मार्गमौसमकरवटें बदल रहा था। इन दिनों ठंडक पर तपिश ने दबिश दे रखी थी। हवा थी, पर चल नहीं रही थी। वृक्षों के पत्ते विवश होकर हलचल बंद कर चुके थे। यह सुबह का समय था। किराये की इस...
View Articleकविताः बसंत की आहट
- नन्दा पाण्डेयवसंत की आहट हो चुकी हैसोच रही हूँ स्मृतियों पर पड़े जाले कोझाड़- पोंछकर हटा दूँ उतार कर फेंक दूँ आजस्वार्थ के छोर पर चिपके विश्वासऔर अविश्वास के बीच झूलतेहर छोटे-बड़े बेवजह लम्हों को...
View Articleकहानीः मैं कठपुतली नहीं
- अर्चना राय हाइवेके स्मूथ रास्ते पर चलती गाड़ी अचानक से कच्चे उबड़- खाबड़, पथरीले रास्ते पर आ जाने से गाड़ी ही नहीं उसके अंदर बैठा इंसान भी पूरी तरह से हिल जाता है। आज शेफाली वैसे ही फील कर रही...
View Articleबाल कविताः प्यारे मामा
- प्रियंका गुप्ताप्यारे मामा आओ न,खेल-खिलौने लाओ न,छुट्टी हुई है खेलेंगे अब,पढ़ने को समझाओ न।नई कहानियाँ सुनाओ न,हँसी-मजाक में उलझाओ न,तितली, फूल, और तारों की,दुनिया हमें दिखाओ न।चॉकलेट और मिठाई...
View Articleव्यंग्यः बड़ा सोचने पर कोई जीएसटी नहीं लगता
- जवाहर चौधरी“बाउजी अपना तो मानना है कि आदमी को अपनी लड़ाई खुद लड़ना पड़ती है । और लड़ाई वही जीतता है जिसके हौसले बुलंद होते हैं। वो कहते हैं ना ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’। कल अपन ने बंगला देखा...
View Articleदोहेः नेकी कर...
- डॉ. उपमा शर्मा1.शब्दों के भी हैं यहाँ, तीखे-मीठे स्वाद।कभी दिलाते मान ये, जन्मे कभी विवाद।2.जल लेता वो सिंधु से, करता धरा निहाल।मेघों से धरती हरी, हारा तभी अकाल।3.पीने को पानी नहीं, रख मानव यह...
View Articleस्वास्थ्यः कितना सेहतमंद है बोतलबंद पानी
- सुदर्शन सोलंकीभारतमें पानी की गुणवत्ता का हमारे स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है। यदि पेय जल प्रदूषित हो तो यह ज़हर के समान हो जाता है। वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि ज़्यादातर...
View Articleलघुकथाः श्रम बनाम शर्म
- ट्विंकल तोमर सिंहउन्हें हँसने की आवाज़ फिर से सुनाई दी। कई दिनों से ऐसा हो रहा था। थुलथुल काया के स्वामी बड़े साहब जैसे ही ट्रेडमिल पर पाँव धरते, किसी की खिल्ली उड़ाती हँसी की आवाज़ आती, जबकि कमरे में...
View Articleप्रकृतिः वनों की बहाली केवल वृक्षारोपण से संभव नहीं
पेड़ोंका अस्तित्व धरती पर लगभग 40 करोड़ वर्षों से है। तब से पेड़ कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर चुके हैं। चाहे वह उल्का की टक्कर हो या शीत युग, पेड़ धरती पर टिके रहे। लेकिन अब उन्हें खतरा इंसानों से है।...
View Articleकविताः लिखती भी क्या
- डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री'लिखती भी क्या; पीड़ा, अपमान या प्रतिमानभाग्य, कर्म, संयोग - वियोग, सपनों का बलिदान।वही लिखा, जो जीवन ने कहने नहीं दियाऐसा अनकहा, जो नैनों ने बहने नहीं दिया। कभी संस्कारों...
View Articleनिबंधः वृद्धावस्था
- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीकाल की बड़ी क्षिप्र गति है। वह इतनी शीघ्रता से चला जाता है कि सहसा उस पर हमारी दृष्टि नहीं जाती। हम लोग मोहावस्था में पड़े ही रहते हैं और एक-एक पल, एक-एक दिन और एक-एक वर्ष...
View Articleविज्ञानः कीट है या फूल?
ऑर्किडमेंटिस (Hymenopus coronatus) नामक कीट अपने फूल सरीखे दिखने वाले शरीर के कारण तो विशिष्ट है ही। लेकिन अब शोधकर्ताओं को इसकी एक और विशिष्टता पता चली है - और वह है इसकी उड़ान। ऑर्किड मेंटिस कीट की...
View Articleकविताः आया वसंत आया वसंत
- सोहनलाल द्विवेदीआया वसंत आया वसंतछाई जग में शोभा अनंत।सरसों खेतों में उठी फूलबौरें आमों में उठीं झूलबेलों में फूले नये फूलपल में पतझड़ का हुआ अंतआया वसंत आया वसंत।लेकर सुगंध बह रहा पवनहरियाली छाई है...
View Articleआलेखः राष्ट्रीयता की अलख जगाने वाले राष्ट्रकवि पं. सोहनलाल द्विवेदी
जन्म- 22 फरवरी 1906 - निर्वाण- 1 मार्च 1988 - आकांक्षा द्विवेदीएक बालक ने एंग्लो संस्कृत विद्यालय फतेहपुर में 17 नवंबर 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन पर स्कूल में बँटने वाली मिठाई को यह कहते हुए...
View Articleप्रेरकः तीन कौवों की परीक्षा
जबछोटे कौवे उड़ने लायक हो जाते हैं तो बड़े कौवे यह जानने के लिए उनकी परीक्षा लेते हैं कि वे झुंड का हिस्सा बनने योग्य हैं या नहीं।ऐसे ही तीन छोटे कौवों कि परीक्षा का दिन आ गया. झुंड के सरदार ने पहले...
View Articleयात्रा वृत्तांत: सत्य के मार्ग पर
विनोद साव जबहम किसी इलाके में पहली बार जा रहे होते हैं< तो बड़ी उत्सुकता होती है उसे देखने की जानने की। हम पीछे सरकते जा रहे दृश्य को गौर से देखते हैं। जो खेत सरपट भागे जा रहे हैं उनमें क्या बोया है।...
View Articleखान-पानः चाय का शौकीन भारत
- डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन चायके पौधे लगभग तीन शताब्दी पूर्व चीन और दक्षिण-पूर्वी एशिया से भारत आए थे, और इन्हें भारत लाने वाले थे ब्रिटिश। दरअसल भारत में चाय उगाने के प्रयोग के दौरान उन्होंने देखा था...
View Articleआलेखः छत्तीसगढ़ को कब मिलेगी नक्सलवाद से मुक्ति
- प्रमोद भार्गव छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर अंबेली गाँव के पास नक्सलियों द्वारा बिछाए गए अति तीव्र विस्फोटक की चपेट में आकर एक आरक्षित गार्ड समेत आठ जवान शहीद हो गए। विस्फोटक...
View Articleअनकहीः संगम में आस्था का जनसैलाब...
- डॉ. रत्ना वर्मा जोनहीं होना था वह हो गया । आस्था के महाकुंभ में शुभ मुहूर्त में स्नान के चक्कर में भीड़ प्रयाग संगम में डटी रही और हादसा हो गया। प्रशासन को जानकारी थी कि लगभग 5 से 10 करोड़ लोग मौनी...
View Articleउदंती.com, फरवरी- 2025
वर्ष- 17, अंक- 7प्रेम कभी पराजित नहीं होता। आज अथवा कल अथवा युगों बाद सत्य और प्रेम की विजय होगी। प्रेम और सत्य सदा ही विजयी हुए हैं। घृणा या अत्याचार प्रेम को कभी भी समाप्त नहीं कर सकते। जिस प्रेम को...
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