वर्ष- 17, अंक- 7
प्रेम कभी पराजित नहीं होता। आज अथवा कल अथवा युगों बाद सत्य और प्रेम की विजय होगी। प्रेम और सत्य सदा ही विजयी हुए हैं। घृणा या अत्याचार प्रेम को कभी भी समाप्त नहीं कर सकते। जिस प्रेम को घृणा अथवा दुख दबा दे, वह सच्चा प्रेम नहीं हो सकता। -स्वामी विवेकानन्द
अनकहीःसंगम में आस्था का जनसैलाब... - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेखःनक्सलियों से कब मुक्त होगा छत्तीसगढ़- प्रमोद भार्गव
खान-पानःचाय का शौकीन भारत - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
यात्रा वृत्तांत:सत्य के मार्ग पर- विनोद साव
आलेखःराष्ट्रीयता की अलख जगाने वाले पं. सोहनलाल द्विवेदी- आकांक्षा द्विवेदी
कविताःआया वसंत आया वसंत- सोहनलाल द्विवेदी
निबंधःवृद्धावस्था- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
कविताःलिखती भी क्या - डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
प्रकृतिःवनों की बहाली केवल वृक्षारोपण से संभव नहीं
लघुकथाःश्रम बनाम शर्म - ट्विंकल तोमर सिंह
स्वास्थ्यःकितना सेहतमंद है बोतलबंद पानी- सुदर्शन सोलंकी
दोहेःनेकी कर... - डॉ. उपमा शर्मा
व्यंग्यःबड़ा सोचने पर कोई जीएसटी नहीं लगता- जवाहर चौधरी
बाल कविताःप्यारे मामा- प्रियंका गुप्ता
कहानीःमैं कठपुतली नहीं- अर्चना राय
कविताःबसंत की आहट - नन्दा पाण्डेय
लघुकथाः1. युग मार्ग, 2. जीवन-अजीवन- अशोक भाटिया
किताबेंःमानसिक द्वंद्व को उकेरती कहानियाँ - डॉ मोनिका शर्मा