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जीवन दर्शनः भूलने का विज्ञान- छिपा हुआ वरदान

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  - विजय जोशी 

- पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)

   उपरोक्तशीर्षक कुछ अटपटा सा लगता है। पर इसका भी निहितार्थ है। सतही तौर पर इस कथन से सहमत नहीं हुआ जा सकता, किंतु उचित परिप्रेक्ष्य में देखें तो सब समझ में आ जाएगा। तो आइए देखें इसका सकारात्मक पहलू।
    दिल और दिमाग मनुष्य को ईश्वर की अद्भुत देन है। दिल जहाँ हमारे संवेदना समायुक्त पहलू को संवारता है, वहीं मस्तिष्क तौल मोल कर उचित निर्णय में सहायक होता है। मस्तिष्क में सारी जानकारी सीमा रहित संग्रहित होती है। यह तो हुआ सुखद पक्ष, लेकिन अति मात्रा में संग्रहित डेटा उसे बोझिल करने का सबब भी बनता है। इसके निराकरण हेतु हमें भूलने की सुविधा उपलब्ध है।
कई बार हम उस व्यक्ति का नाम भूल जाते हैं जिससे हम कुछ दिन पहले मिले थे। स्मृति अनुभूति की आधारशिला है, जो हमें स्मृति को संग्रहीत कर पुनः प्राप्त करने की अनुमति देती है। फिर भी स्मृति के पार्श्व में एक बेहद आकर्षक अवयव भी छुपा है : भूल जाना।
  जिस तरह बेतरतीब कार्य प्रणाली से सफलता संदिग्ध हो जाती है, उसी तर्ज पर आँकड़ों से बोझिल अप्रासंगिक जानकारी मस्तिष्क की गति को कुंद कर देता है। इनके हटने पर ही सब कुछ सुव्यवस्थित होकर नई जानकारी की जगह बनाई जा सकती है।
 वास्तविक प्रसंग : न भूल पाने का दर्द कैसा होता है यह मुझे ज्ञात  हुआ  एक पूर्व वरिष्ठतम पद से सेवानिवृत्त हुए उच्च अधिकारी से जिनकी याददाश्त अद्भुत थी। सब कुछ संग्रहित, लेकिन दुर्भाग्य यह कि जैसे ही कोई व्यक्ति उनके समक्ष किसी कार्य से उपस्थित होता था उनके मानस पटल पर उस व्यक्ति का विगत का पूरा इतिहास स्वयमेव उपस्थित हो उचित निर्णय लेने के मार्ग में अवरोध बनकर आ खड़ा होता था। नीतिगत सापेक्ष (Objective) निर्णय पर  व्यक्तिगत जानकारी के परिप्रेक्ष्य में विषय परक (Subjective) दुविधा का असमंजस। सोचिए कितनी दुविधा और सोच का संकट। 
   सभी आयु समूहों में भूलने का एक मुख्य कारण ध्यान न देना भी है। जानकारी को विश्लेषित कर बनाए रखने की हमारी क्षमता हमारी मानसिकता पर भी निर्भर करती है। जब हम किसी विशेष उत्तेजना या कार्य पर अपना ध्यान केंद्रित करने में विफल होते हैं, तो उससे जुड़ी जानकारी स्मृति में ठीक से उभर नहीं पाती है, जिससे भूलने की स्थिति पैदा हो जाती है। उदाहरण के लिये यदि आप किसी परिचित मार्ग पर चले हैं और आपको स्थलों को पार करने या कुछ निश्चित मोड़ों को याद नहीं कर पा रहे हैं, तो यह संभवतः इसलिए है क्योंकि आपका ध्यान कहीं और था। नकारात्मक विचार या दर्दनाक घटनाएँ अपनी भावनात्मक प्रबलता के कारण स्मृति से मिटने का विरोध कर सकती हैं, जिससे आगे बढ़ने के प्रयासों के बावजूद भूलना चुनौतीपूर्ण हो जाता है
 भूलना अक्सर स्मृति की विफलता के रूप में भी देखा जाता है, जो कतई सही नहीं है। वास्तव में जिस तरह मृत शाखाओं को काटने से एक पेड़ को पनपने में मदद मिलती है, उसी तरह भूलने से हमारी स्मृति प्रणाली अवांछित जानकारी को त्यागने और बदलती  मांगों के अनुरूप ढलने में सक्षम होती है। अगली बार जब आप खुद को किसी जानकारी को याद करने में असमर्थ पाएँ तो उपरोक्त तथ्यों को याद रखें। 
    निष्कर्ष : इसे ही कहा जाता है भूलने का विज्ञान : छिपा हुआ वरदान, जो आपको मानसिक रूप से सक्रिय, सचेत और स्वस्थ रखता है। 


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