'निराला'जीकोस्मरणकरतेहुएएकाएकशांतिप्रियद्विवेदीकीयादआजाए, इसकीपूरीव्यंजनातोवहीसमझसकेंगेजिन्होंनेइनदोनोंमहानविभूतियोंकोप्रत्यक्षदेखाथा।योंऔरोंनेशांतिप्रियजीकानामप्राय: सुमित्रानंदनपंतकेसंदर्भमेंलियाहैक्योंकिवास्तवमेंतोवहपंतजीकेहीभक्तथे, लेकिनमैंनिरालाजीकेपहलेदर्शनकेलिएइलाहाबादमेंपंडितवाचस्पतिपाठककेघरजारहाथातोदेहरीपरहीएकसींकियापहलवानकेदर्शनहोगएजिसनेमेरारास्तारोकतेहुएएकटेढ़ीउँगलीमेरीओरउठाकरपूछा, ''आपनेनिरालाजीकेबारेमें'विश्वभारती'पत्रिकामेंबड़ीअनर्गलबातेंलिखदीहैं।''यहसींकियापहलवान, जोयोंअपनेकोकृष्ण-कन्हैयासेकमनहींसमझताथाऔरइसलिएहिंदीकेसारेरसिकसमाजकेविनोदकालक्ष्यबनारहताथा, शांतिप्रियकीअभिधाकाभूषणथा।
जिसस्वरमेंसवालमुझसेपूछागयाथाउससेशांतिप्रियताटपकरहीहोऐसानहींथा।आवाजतोरसिक-शिरोमणिकीजैसीथीवैसीथीही, उसमेंभीकुछआक्रामकचिड़चिड़ापनभरकरसवालमेरीओरफेंकागयाथा।मैंनेकहा, ''लेखआपनेपढ़ाहै?''
''नहीं, मैंनेनहींपढ़ा।लेकिनमेरेपासरिपोर्टेंआईहैं! ''
''तबलेखआपपढ़लीजिएगातभीबातहोगी,''कहकरमैंआगेबढ़गया।शांतिप्रियजीकी'युद्धंदेहि'वालीमुद्राएककुंठितमुद्रामेंबदलगईऔरवहबाहरचलेगए।
यों'रिपोर्टें'सहीथीं।'विश्वभारती'पत्रिकामेंमेराएकलंबालेखछपाथा।आजयहमाननेमेंभीमुझेकोईसंकोचनहींहैकिउसमेंनिरालाकेसाथघोरअन्यायकियागयाथा।यहबात1936कीहैजब'विशालभारत'मेंपंडितबनारसीदासचतुर्वेदीनिरालाकेविरुद्धअभियानचलारहेथे।योंचतुर्वेदीकाआक्रोशनिरालाजीकेकुछलेखोंपरहीथा, उनकीकविताओंपरउतनानहीं (कवितासेतोवहबिलकुलअछूतेथे), लेकिनउपहासऔरविडंबनकाजोस्वरचतुर्वेदीजीकीटिप्पणियोंमेंमुखरथाउसकाप्रभावनिरालाजीकेसमग्रकृतित्वकेमूल्यांकनपरपड़ताहीथाऔरमेरीअपरिपक्वबुद्धिपरभीथाही।
अबयहभीएकरोचकव्यंजना-भरासंयोगहीहैकिसींकियापहलवानसेपारपाकरमैंभीतरपहुँचातोवहाँनिरालाजीकेसाथएकदूसरेदिग्गजभीविराजमानथेजिनकेखिलाफभीचतुर्वेदीजीएकअभियानचलाचुकेथे।एकचौकीकेनिकटआमने-सामनेनिरालाऔर'उग्र'बैठेथे।दोनोंकेसामनेचौकीपरअधभरेगिलासरखेथेऔरदोनोंकेहाथोंमेंअधजलेसिगरेटथे।
उग्रजीसेमिलनापहलेभीहोचुकाथा; मेरेनमस्कारकोसिरहिलाकरस्वीकारकरतेहुएउन्होंनेनिरालासेकहा, ''यहअज्ञेयहै।''
निरालाजीनेएकबारसिरसेपैरतकमुझेदेखा।मेरेनमस्कारकेजवाबमेंकेवलकहा, ''बैठो।''
मैंबैठनेहीजारहाथाकिएकबारफिरउन्होंनेकहा, ''जरासीधेखड़ेहोजाओ।''
मुझेकुछआश्चर्यतोहुआ, लेकिनमैंफिरसीधाखड़ाहोगया।निरालाजीभीउठेऔरमेरेसामनेआखड़ेहुए।एकबारफिरउन्होंनेसिरसेपैरतकमुझेदेखा, मानोतौलाऔरफिरबोले, ''ठीकहै।''फिरबैठतेहुएउन्होंनेमुझेभीबैठनेकोकहा।मैंबैठगयातोमानोस्वगत-सेस्वरमेंउन्होंनेकहा, ''डौलतोरामबिलासजैसाहीहै।''
रामविलास (डॉ. रामविलासशर्मा) परउनकेगहरेस्नेहकीबातमैंजानताथा, इसलिएउनकीबातकाअर्थमैंनेयहीलगायाकिऔरकिसीक्षेत्रमेंनसही, एकक्षेत्रमेंतोनिरालाजीकाअनुमोदनमुझेमिलगयाहै।मैंनेयहभीअनुमानकियाकिमेरेलेखकी'रिपोर्टें'अभीउनतकनहींपहुँचीयापहुँचायीगईहैं।
निरालाजीसामान्यशिष्टाचारकीबातेंकरतेरहे-क्याकरताहूँ, कैसेआनाहुआआदि।बीचमेंउग्रजीनेएकाएकगिलासकीओरइशाराकरतेहुएपूछा, ''लोगे?''मैंनेसिरहिलादियातोफिरकुछचिढ़ातेहुएस्वरमेंबोले, ''पानीनहींहै, शराबहै, शराब।''
मैंनेकहा, ''समझगया, लेकिनमैंनहींलेता।''
निरालाजीकेसाथफिरइधर-उधरकीबातेंहोतीरहीं।कविताकीबातनउठानामैंनेभीश्रेयस्करसमझा।
थोड़ीदेरबादउग्रजीनेफिरकहा, ''जानतेहो, यहक्याहै? शराबहै, शराब।''
अपनीअनुभवहीनताकेबावजूदतबभीइतनातोमैंसमझहीसकताथाकिउग्रजीकेइसआक्रामकरवैयेकाकारणवहआलोचनाऔरभर्त्सनाहीहै,जोउन्हेंवर्षोंसेमिलतीरहीहै।लेकिनउसकेकारणवहमुझेचुनौतीदेंऔरमैंउसेमानकरअखाड़ेमेंउतरूँ, इसकामुझेकोईकारणनहींदीखा।यहभीनहींकिमेरेजानतेशराबपीनेकासमयशामकाहोता, दिनकेग्यारहबजेकानहीं! मैंनेशांतस्वरमेंकहा, ''तोक्याहुआ, उग्रजी, आपसोचतेहैंकिशराबकेनामसेमैंडरजाऊँगा? देशमेंबहुतसेलोगशराबपीतेहैं।''
निरालाजीकेवलमुस्कुरादिए, कुछबोलेनहीं।थोड़ीदेरबादमैंविदालेनेकोउठातोउन्होंनेकहा, ''अबकीबारमिलोगेतोतुम्हारीरचनासुनेंगे।''
मैंनेखैरमनायीकिउन्होंनेतत्कालकुछसुनानेकोनहींकहा, ''निरालाजी, मैंतोयहीआशाकरताहूँकिअबकीबारआपसेकुछसुननेकोमिलेगा।''
आशामेरीहीपूरीहुई : इसकेबाददो-तीनबारनिरालाजीकेदर्शनऐसेहीअवसरोंपरहुएजबउनकीकवितासुननेकोमिली।ऐसीस्थितिनहींबनीकिउन्हेंमुझसेकुछसुननेकीसूझेऔरमैंनेइसमेंअपनीकुशलहीसमझी।
इसकेबादकीजिसभेंटकाउल्लेखकरनाचाहताहूँउससेपहलेनिरालाजीकेकाव्यकेविषयमेंमेरामनपूरीतरहबदलचुकाथा।वहपरिवर्तनकुछनाटकीयढंगसेहीहुआ।शायदकुछपाठकोंकेलिएयहभीआश्चर्यकीबातहोगीकिवहउनकी'जुहीकीकली'अथवा'रामकीशक्तिपूजा'पढ़करनहींहुआ, उनका'तुलसीदास'पढ़करहुआ।अबभीउसअनुभवकोयादकरताहूँतोमानोएकगहराईमेंखोजाताहूँ।अबभी'रामकीशक्तिपूजा'अथवानिरालाकेअनेकगीतबार-बारपढ़ताहूँ, लेकिन'तुलसीदास'जब-जबपढ़नेबैठताहूँतोइतनाहीनहींकिएकनयासंसारमेरेसामनेखुलताहै, उससेभीविलक्षणबातयहहैकिवहसंसारमानोएकऐतिहासिकअनुक्रममेंघटितहोताहुआदीखताहै।मैंमानोसंसारकाएकस्थिरचित्रनहींबल्किएकजीवंतचलचित्रदेखरहाहूँ।ऐसीरचनाएँतोकईहोतीहैंजिनमेंएकरसिकहृदयबोलताहै।विरलीहीरचनाऐसीहोतीहैजिसमेंएकसांस्कृतिकचेतनासर्जनात्मकरूपसेअवतरितहुईहो।'तुलसीदास'मेरीसमझमेंऐसीहीएकरचनाहै।उसेपहलीहीबारपढ़ातोकईबारपढ़ा।मेरीबातमेंजोविरोधाभासहैवहबातकोस्पष्टहीकरताहै।'तुलसीदास'केइसआविष्कारकेबादसंभवनहींथाकिमैंनिरालाकीअन्यसभीरचनाएँफिरसेनपढूँ, 'तुलसीदास'केबारेमेंअपनीधारणाकोअन्यरचनाओंकीकसौटीपरकसकरनदेखूँ।
अगलीजिसभेंटकाउल्लेखकरनाचाहताहूँउसकीपृष्ठभूमिमेंकविनिरालाकेप्रतियहप्रगाढ़सम्मानहीथा।कालकीदृष्टिसेयहखासाव्यतिक्रमहैक्योंकिजिसभेंटकीबातमैंकरचुकाहूँ, वहसन्36मेंहुईथीऔरयहदूसरीभेंटसन्51केग्रीष्ममें।बीचकेअंतरालमेंअनेकबारअनेकस्थलोंपरउनसेमिलनाहुआथाऔरवहएक-एक, दो-दोदिनमेरेयहाँरहभीचुकेथे, लेकिनउसअंतरालकीबातबादमेंकरूँगा।
मैंइलाहाबादछोड़करदिल्लीचलाआयाथा, लेकिनदिल्लीमेंअभीऐसाकोईकामनहींथाकिउससेबँधारहूँ; अकसरपाँच-सातदिनकेलिएइलाहाबादचलाजाताथा।निरालाजीतबदारागंजमेंरहतेथे।मानसिकविक्षेपकुछबढ़नेलगाथाऔरकभी-कभीवहबिलकुलहीबहकीहुईबातेंकरतेथे, लेकिनमेरानिजीअनुभवयहीथाकिकाफ़ीदेरतकवहबिलकुलसंयतऔरसंतुलितविचार-विनिमयकरलेतेथे; बीच-बीचमेंकभीबहकतेभीतोदो-चारमिनटमेंहीफिरलौटआतेथे।मैंशायदउनकीविक्षिप्तस्थितिकीबातोंकोभीसहजभावसेलेलेताथा, याबहुतगहरेमेंसमझताथाकिजीनियसऔरपागलपनकेबीचकापर्दाकाफ़ीझीनाहोताहै- किनिरालाकापागलपन'जीनियसकापागलपन'है, इसीलिएवहभीसहजहीप्रकृतावस्थामेंलौटआतेथे।इतनाहीथाकिदो-चारव्यक्तियोंऔरदो-तीनसंस्थाओंकेनाममैंउनकेसामनेनहींलेताथाऔरअँग्रेज़ीकाकोईशब्दयापदअपनीबातमेंनहींआनेदेताथा;क्योंकियहमैंलक्ष्यकरचुकाथाकिइन्हींसेउनकेवास्तविकताबोधकीगाड़ीपटरीसेउतरजातीथी।उसबार'सुमन' (शिवमंगलसिंह) भीआएहुएथेऔरमेरेसाथहीठहरेथे।मैंनिरालाजीसेमिलनेजानेवालाथाऔर'सुमन'भीसाथचलनेकोउत्सुकथे।निश्चयहुआकिसवेरे-सवेरेहीनिरालाजीसेमिलनेजायाजाएगा- वहीसमयठीकरहेगा।लेकिनसुमनजीकोसवेरेतैयारहोनेमेंबड़ीकठिनाईहोतीहै।पलंग-चाय, पूजा-पाठऔरसिंगार-पट्टीमेंनौबजहीजातेहैंऔरउसदिनभीबजगए।हमदारागंजपहुँचेतोप्राय: दसबजेकासमयथा।
निरालाजीअपनेबैठकेमेंनहींथे।हमलोगवहाँबैठगएऔरउनकेपाससूचनाचलीगईकिमेहमानआएहैं।निरालाजीउनदिनोंअपनाभोजनस्वयंबनातेथेऔरउससमयरसोईमेंहीथे।कोईदोमिनटबादउन्होंनेआकरबैठकेमेंझाँकाऔरबोले, ''अरेतुम !''औरतत्कालओटहोगए।
सुमनजीतोरसोईमेंखबरभिजवानेकेलिएमेरापूरानामबतानेचलेगएथे, लेकिनअपनेनामकीकठिनाईमैंजानताहूँइसीलिएमैंनेसंक्षिप्तसूचनाभिजवायीथीकि'कोईमिलनेआएहैं'।क्षणभरकीझाँकीमेंहमनेदेखलियाकिनिरालाजीकेवलकौपीनपहनेहुएथे।थोड़ीदेरबादआएतोउन्होंनेतहमदलगालीथीऔरकंधेपरअँगोछाडाललियाथा।
बातेंहोनेलगीं।मैंतोबहुतकमबोला।योंभीकमबोलताऔरइससमययहदेखकरकिनिरालाजीबड़ीसंतुलितबातेंकररहेहैंमैंनेचुपचापसुननाहीठीकसमझा।लेकिनसुमनजीऔरचुपरहना? फिरवहतोनिरालाकोप्रसन्नदेखकरउन्हेंऔरभीप्रसन्नकरनाचाहरहेथे, इसलिएपूछबैठे, ''निरालाजी, आजकलआपक्यालिखरहेहैं?''
योंतोकिसीभीलेखककोयहप्रश्नएकमूर्खतापूर्णप्रश्नजानपड़ताहै।शायदसुमनसेकोईपूछे,तोउन्हेंभीऐसाहीलगे।फिरभीनजानेक्योंलोगयहप्रश्नपूछबैठतेहैं।
निरालानेएकाएककहा, ''निराला, कौननिराला? निरालातोमरगया।निरालाइज़डेड।''
अँग्रेज़ीकावाक्यसुनकरमैंडराकिअबनिरालाबिलकुलबहकजाएँगेऔरअँग्रेज़ीमेंनजानेक्या-क्याकहेंगे, लेकिनसौभाग्यसेऐसाहुआनहीं।हमनेअनुभवकियाकिनिरालाजोबातकहरहेहैंवहमानोसच्चेअनुभवकीहीबातहै : जिसनिरालाकेबारेमेंसुमननेप्रश्नपूछाथावहसचमुचउनसेपीछेकहींछूटगयाहै।निरालानेमुझसेपूछा, ''तुमकुछलिखरहेहो?''
मैंनेटालतेहुएकहा, ''कुछ-न-कुछतोलिखताहीहूँ, लेकिनउससेसंतोषनहींहै- वहउल्लेखकरनेलायकभीनहींहै।''
इसकेबादनिरालाजीनेजोचार-छहवाक्यकहेउनसेमैंआश्चर्यचकितरहगया।उन्हेंयादकरताहूँतोआजभीमुझेआश्चर्यहोताहैकिहिंदीकाव्य-रचनामेंजोपरिवर्तनहोरहाथा, उसकीइतनीखरीपहचाननिरालाकोथी-उससमयकेतमामहिंदीआचार्योंसेकहींअधिकसहीऔरअचूक- औरवहतबजबकियेसारेआचार्यउन्हेंकम-से-कमआधाविक्षिप्ततोमानहीरहेथे।
निरालानेकहा, ''तुमजोलिखतेहोवहमैंनेपढ़ाहै।'' (इसपरसुमननेकुछउमँगकरपूछनाचाहाथा, ''अरेनिरालाजी, आपअज्ञेयकालिखाहुआभीपढ़तेहैं?''मैंनेपीठमेंचिकोटीकाटकरसुमनकोचुपकराया, औरअचरजयहकिवहचुपभीहोगए- शायदनिरालाकीबातसुननेकाकुतूहलजयीहुआ) निरालाकाकहनाजारीरहा, ''तुमक्याकरनाचाहतेहोवहहमसमझतेहैं।''थोड़ीदेररुककरऔरहमदोनोंकोचुपचापसुनतेपाकरउन्होंनेबातजारीरखी।''स्वरकीबाततोहमभीसोचतेथे।लेकिनअसलमेंहमारेसामनेसंगीतकास्वररहताथाऔरतुम्हारेसामनेबोलचालकीभाषाकास्वररहताहै।''वहफिरथोड़ारुकगए; सुमनफिरकुछकहनेकोकुलबुलाएऔरमैंनेउन्हेंफिरटोकदिया।''ऐसानहींहैकिहमबातकोसमझतेनहींहैं।हमनेसबपढ़ाहैऔरहमसबसमझतेहैं।लेकिनहमनेशब्दकेस्वरकोवैसामहत्त्वनहींदिया, हमारेलिएसंगीतकास्वरहीप्रमाणथा।''मैंफिरभीचुपरहा, सुनतारहा।मेरेलिएयहसुखदआश्चर्यकीबातथीकिनिरालाइसअंतरकोइतनास्पष्टपहचानतेहैं।बड़ीतेजीसेमेरेमनकेसामनेउनकी'गीतिका'कीभूमिकाऔरफिरसुमित्रानंदनपंतके'पल्लव'कीभूमिकादौड़गईथी।दोनोंहीकवियोंनेअपनेप्रारंभिककालकीकविताकीपृष्ठभूमिमेंस्वरकाविचारकियाथा, यद्यपिबिलकुलअलग-अलगढंगसे।उनभूमिकाओंमेंभीयहस्पष्टथाकिनिरालाकेसामनेसंगीतकास्वरहै, कविताकेस्वरऔरतालकाविचारवहसंगीतकीभूमिपरखड़ेहोकरहीकरतेहैं; जबकिस्वरऔरस्वर-मात्राकेविचारमेंपंतकेसामनेसंगीतकानहीं, भाषाकाहीस्वरथाऔरसांगीतिकताकेविचारमेंभीवहव्यंजन-संगीतसेहटकरस्वर-संगीतकोवरीयतादेरहेथे।इसदृष्टिसेकहाजासकताहैकि'पल्लव'केपंत, 'गीतिका'केनिरालासेआगेयाअधिक'आधुनिक'थे।लेकिनजिसभेंटकाउल्लेखमैंकररहाहूँउसमेंनिरालाकास्वर-संवेदनकहींआगेथाजबकिउससमयतकपंतअपनीप्रारंभिकस्थापनाओंसेनकेवलआगेनहींबढ़ेथेबल्किकुछपीछेहीहटेथे (औरफिरपीछेहीहटतेगए)।उससमयकानएसेनयाकविभीमाननेकोबाध्यहोताकिअगरकोईपाठकउसकेस्वरसेस्वरमिलाकरउसेपढ़सकताहै,तोवहआदर्शसहृदयपाठकनिरालाहीहै।एकपीढ़ीकामहाकविपरवर्तीपीढ़ीकेकाव्यकोइसतरहसमझसके, परवर्तीकविकेलिएइससेअधिकआप्यायितकरनेवालीबातक्याहोसकतीहै।
सुमननेकहा, ''निरालाजी, अबइसीबातपरअपनाएकनयागीतसुनादीजिए।''
मैंनेआशंका-भरीआशाकेसाथनिरालाकीओरदेखा।निरालानेअपनीपुरानीबातदोहरादी, ''निरालाइज़डेड।आईएमनॉटनिराला!''
सुमनकुछहारमानतेहुएबोले, ''मैंनेसुनाहै, आपकीनईपुस्तकआईहै'अर्चना'।वहआपकेपासहै-हमेंदिखाएँगे?''
निरालानेएकवैसेहीखोयेहुएस्वरमेंकहा, ''हाँ, आईतोहै, देखताहूँ।''वहउठकरभीतरगएऔरथोड़ीदेरमेंपुस्तककीदोप्रतियाँलेआए।बैठतेहुएउन्होंनेएकप्रतिसुमनकीओरबढ़ायीजोसुमननेलेली।दूसरीप्रतिनिरालानेदूसरेहाथसेउठायी, लेकिनमेरीओरबढ़ायीनहीं, उसेफिरअपनेसामनेरखतेहुएबोले, ''यहतुमकोदूँगा।''सुमननेललककरकहा, ''तोयहप्रतिमेरेलिएहै? तोइसमेंकुछलिखदेंगे?''
निरालानेप्रतिसुमनसेलेलीऔरआवरणखोलकरमुखपृष्ठकीओरथोड़ीदेरदेखतेरहे।फिरपुस्तकसुमनकोलौटातेहुएबोले, ''नहीं, मैंनहींलिखूँगा।वहनिरालातोमरगया।''
सुमननेपुस्तकलेली, थोड़े-सेहतप्रभतोहुए, लेकिनयहतोसमझरहेथेकिइससमयनिरालाकोउनकीबातसेडिगानासंभवनहींहोगा।
निरालाफिरउठकरभीतरगएऔरकलमलेकरआए।दूसरीप्रतिउन्होंनेउठाई, खोलकरउसकेपुश्तेपरकुछलिखनेलगे।मैंसाँसरोककरप्रतीक्षाकरनेलगा।मनतोहुआकिजराझुककरदेखूँकिक्यालिखनेजारहेहैं, लेकिनअपनेकोरोकलिया।कलमकीचालसेमैंनेअनुमानकियाकिकुछअँग्रेज़ीमेंलिखरहेहैं।
दो-तीनपंक्तियाँलिखकरउनकाहाथथमा।आँखउठाकरएकबारउन्होंनेमेरीओरदेखाऔरफिरकुछलिखनेलगे।इसीबीचसुमननेकुछइतरातेहुए-सेस्वरमेंकहा, ''निरालाजी, इतनापक्षपात? मेरेलिएतोआपनेकुछलिखानहींऔर...''
निरालाजीनेएक-दोअक्षरलिखेथे; लेकिनसुमनकीबातपरचौंककररुकगए।उन्होंनेफिरकहा, ''नहीं, नहीं, निरालातोमरगया।देयरइजनोनिराला।निरालाइज़डेड।''
अबमैंनेदेखाकिपुस्तकमेंउन्होंनेअँग्रेज़ीमेंनामकेपहलेदोअक्षरलिखेथे-एन, आई, लेकिनअबउसकेआगेदोबिंदियाँलगाकरनामअधूराछोड़दिया, नीचेएकलकीरखींचीऔरउसकेनीचेतारीखडाली18-5-51औरपुस्तकमेरीओरबढ़ादी।
पुस्तकमैंनेलेली।तत्कालखोलकरपढ़ानहींकिउन्होंनेक्यालिखाहै।निरालानेइसकाअवसरभीतत्कालनहींदिया।खड़ेहोतेहुएबोले : ''तुमलोगोंकेलिएकुछलाताहूँ।''
मैंनेबातकीव्यर्थताजानतेहुएकहा, ''निरालाजी, हमलोगअभीनाश्ताकरकेचलेथे, रहनेदीजिए।''औरइसीप्रकारसुमननेभीजोड़दिया, ''बस, एकगिलासपानीदेदीजिए।''
''पानीभीमिलेगा,''कहतेहुएनिरालाभीतरचलेगए।हमदोनोंनेअर्थभरीदृष्टिसेएक-दूसरेकोदेखा।मैंनेदबेस्वरमेंकहा, ''इसीलिएकहताथाकिसवेरेजल्दीचलो।''
फिरमैंनेजल्दीसेपुस्तकखोलकरदेखाकिनिरालाजीनेक्यालिखाथा।कृतकृत्यहोकरमैंनेपुस्तकफुर्तीसेबंदकीतोसुमननेउतावलीसेकहा, ''देखें, देखें...''
मैंनेनिर्णयात्मकढंगसेपुस्तकघुटनेकेनीचेदबाली, दिखाईनहीं।घरपहुँचकरभीदेखनेकाकाफ़ीसमयरहेगा।
इसबीचनिरालाएकबड़ीबाटीमेंकुछलेआएऔरहमदोनोंकेबीचबाटीरखतेहुएबोले, ''लो, खाओ, मैंपानीलेकरआताहूँ,''औरफिरभीतरलौटगए।
बाटीमेंकटहलकीभुजियाथी।बाटीमेंहीसफाईसेउसकेदोहिस्सेकरदिएगएथे।
निरालाकेलौटनेतकहमदोनोंरुकेरहे।यहक्लेशहमदोनोंकेमनमेंथाकिनिरालाजीअपनेलिएजोभोजनबनारहेथेवहसारा-का-साराउन्होंनेहमारेसामनेपरोसदियाऔरअबदिन-भरभूखेरहेंगे।लेकिनमैंयहभीजानताथाकिहमाराकुछभीकहनाव्यर्थहोगा-निरालाकाआतिथ्यऐसाहीजालिमआतिथ्यहै।सुमननेकहा, ''निरालाजी, आप...''
''हमक्या?''
''निरालाजी, आपनहींखाएँगे,तोहमभीनहींखाएँगे।''
निरालाजीनेएकहाथसुमनकीगर्दनकीओरबढ़ातेहुएकहा, ''खाओगेकैसेनहीं? हमगुद्दीपकड़करखिलाएँगे।''
सुमननेफिरहठकरतेहुएकहा, ''लेकिन, निरालाजी, यहतोआपकाभोजनथा।अबआपक्याउपवासकरेंगे?''
निरालानेस्थिरदृष्टिसेसुमनकीओरदेखतेहुएकहा, ''तोभलेआदमी, किसीसेमिलनेजाओतोसमय-असमयकाविचारभीतोकरनाहोताहै।''औरफिरथोड़ाघुड़ककरबोले : ''अबआएहोतोभुगतो।''
हमदोनोंनेकटहलकीवहभुजियाकिसीतरहगलेसेनीचेउतारी।बहुतस्वादिष्टबनीथी, लेकिनउससमयस्वादकाविचारकरनेकीहालतहमारीनहींथी।जबहमलोगबाहरनिकलेतोसुमननेखिन्नस्वरमेंकहा, ''भाई, यहतोबड़ाअन्यायहोगया।''
मैंनेकहा, ''इसीलिएमैंकलसेकहरहाथाकिसवेरेजल्दीचलनाहै, लेकिनआपकोतोसिंगार-पट्टीसेऔरकोल्ड-क्रीमसेफ़ुरसतमिलेतबतो! नाम'सुमन'रखलेनेसेक्याहोताहैअगरसवेरे-सवेरेसहजखिलभीनसकें!''
योंहमलोगलौटआए।घरआकरफिरअर्चनाकीमेरीप्रतिखोलकरहमदोनोंनेपढ़ा।निरालानेलिखाथा :
To Ajneya,
the Poet, Writer and Novelist
in the foremost rank.
Ni...
18.5.51
सन्'36औरसन्'51केबीच, जैसामैंपहलेकहचुकाहूँ, निरालाजीसेअनेकबारमिलनहुआ।उनके'तुलसीदास'कापहलाप्रकाशन1938मेंहुआथाऔरमैंनेउनकीरचनाओंकेबारेमेंअपनीधारणाकेआमूलपरिवर्तनकीघोषणारेडियोसेजिससमीक्षामेंकीथीउसकाप्रसारणशायद1940केआरंभमेंहुआथा।मेरठमें'हिंदीसाहित्यपरिषद्'केसमारोहकेलिएमैंनेउन्हेंआमंत्रितकियातोआमंत्रणउन्होंनेसहर्षस्वीकारकियाऔरमेरठकेप्रवासमेंवहकुछसमयश्रीमतीहोमवतीदेवीकेयहाँऔरकुछसमयमेरेयहाँठहरे।होमवतीजीउससमयपरिषद्कीअध्यक्षाभीथींऔरनिरालाजीकोअपनेयहाँठहरानेकीउनकीहार्दिकइच्छाथी।जिसबँगलेमेंवहरहतीथीं,उसकेअलावाएकऔरबँगलाउनकेपासथाजोउनदिनोंआधाखालीथाऔरनिरालाजीकेवहींठहरनेकीव्यवस्थाकीगई।वहबँगलाहोमवतीजीकेआवाससेसटाहुआहोकरभीअलगथा, इसलिएसभीआश्वस्तथेकिअतिथिअथवाआतिथेयकोकोईअसुविधानहींहोगी- योंथोड़ीचिंताभीथीकिहोमवतीजीकेपरमवैष्णवसंस्कारनिरालाजीकीआदतोंकोकैसेसँभालपाएँगे।मेराघरवहाँसेतीन-एकफर्लांगदूरथाऔरछोटाभीथा; सुमन, प्रभाकरमाचवेऔरभारतभूषणअग्रवालकोमेरेयहाँठहरानेकानिश्चयहुआथा। होमवतीजीनेश्रद्धापूर्वकनिरालाजीकोठहरातोलिया, लेकिनदोपहरकाभोजनउन्हेंकरानेकेबादवहदौड़ीहुईमेरेयहाँआईं।''भाईजी, शामकाभोजनक्याहोगा? लोगतोकहरहेहैंकिनिरालाजीतोशामकोशराबकेबिनाभोजननहींकरतेऔरभोजनभीमाँसकेबिनानहींकरते।हमारेयहाँतोयहसबनहींचलसकता।औरफिरअगरहमउधरअलगइंतजामकरेंभीतोलाएगाकौनऔरसँभालेगाकौन?''
यहकठिनाईहोनेवालीहैइसकाहमेंअनुमानतोथा, लेकिनहोमवतीजीकेउत्साहऔरउनकीस्नेहभरीआदेशनाकेसामनेकोईबोलानहींथा।
उन्हेंतोकिसीतरहसमझा-बुझाकरलौटादियागयाकिहमलोगकुछव्यवस्थाकरलेंगे, उन्हेंइसमेंनहींपड़नाहोगा।संयोजकोंमेंशराबसेपरिचितकोईनहोऐसातोनहींथा।शामकोएकअद्धानिरालाजीकीसेवामेंपहुँचादियागयाऔरनिश्चयहुआकिभोजनकरानेभीउन्हेंसदरकेहोटलमेंलेजायाजाएगा।
इधरहमलोगशामकाभोजनकरनेबैठेहीथेकिहोटलसेलौटतेहुएनिरालाजीमेरेयहाँआगए। (मैंदूसरीमंजिलपररहताथा।) पतालगाकिउन्होंनेहीसीधेबँगलेपरनलौटकरमेरेयहाँआनेकीइच्छाप्रकटकीथी।सुरूरकीजिसहालतमेंवहथे,उससेमैंनेयहअनुमानकियाकिऐसानिरालाजीनेइसीलिएकियाहोगाकिवहउसहालतमेंहोमवतीजीकेसामनेनहींपड़नाचाहतेथे। (मैंनेदूसरेअवसरोंपरभीलक्ष्यकियाकिऐसेमामलोंमेंउनकाशिष्टआचरणकासंस्कारबड़ाप्रबलरहताथा।) लेकिनयहाँपरभीमेरीबहिनअतिथियोंकोभोजनकरारहीथीं, इससेनिरालाजीकोथोड़ाअसमंजसहुआ।वहचुपचापएकतरफएकखाटपरबैठगए।हमलोगोंनेभोजनजल्दीसमाप्तकरकेउनकामनबहलानेकीकोशिशकी, लेकिनवहचुपहीरहे।एक-आधबार'हूँ'सेअधिककुछबोलेनहीं।उनसेजोबातकरताउसकीओरएकटकदेखतेरहतेमानोकहनाचाहतेहों, ''हमजानतेहैंकिहमेंबहलानेकीकोशिशकीजारहीहै, लेकिनहमबहलेंगेनहीं।''
एकाएकनिरालाजीनेकहा, ''सुमन, इधरआओ।''सुमनजीउनकेसमीपगएतोनिरालानेउनकीकलाईपकड़लीऔरकहा, ''चलो।''
''कहाँ, निरालाजी?''
''घूमने।''सुमननेबेबसीसेमेरीओरदेखा।वहभीजानतेथेकिछुटकारानहींहैऔरमैंभीसमझगयाकिबहसव्यर्थहोगी।नीचेउतरकरमैंएकबढिय़ा-साताँगाबुलालाया।निरालाजीसुमनकेसाथउतरेऔरउसपरआगेसवारहोनेलगेतोताँगेवालेनेटोकतेहुएकहा, ''सरकार, घोड़ादबजाएगा-आपपीछेबैठेंऔरआपकेसाथीआगेबैठजाएँगे।''
निरालाजीक्षणहीभरठिठके।फिरअगलीतरफ़हीसवारहोतेहुएबोले, ''येपीछेबैठेंगे, ताँगादबाऊहोताहैतोतुमभीपीछेबैठकरचलाओ।नहींतोरासहमेंदो-हमचलाएँगे।''
ताँगेवालेनेएकबारसबकीओरदेखकरहुक्ममाननाहीठीकसमझा।वहभीपीछेबैठगया, रासउसनेनहींछोड़ी।पूछा, ''कहाँचलनाहोगा, सरकार?''
निरालाजीनेउसीआज्ञापनाभरेस्वरमेंकहा, ''देखो, दोघंटेतकयहसवालहमसेमतपूछना।जहाँतुमचाहोलेतेचलो।अच्छीसड़कोंपरसैरकरेंगे।दोघंटेबादइसीजगहपहुँचादेना, पैसेपूरेमिलेंगे।'' ताँगेवालेनेकहा, 'सरकार'औरताँगाचलपड़ा।मैंदोघंटेकेलिएनिश्चिंतहोकरऊपरचलाआया।
रातकेलगभगबारहबजेताँगालौटाऔरसुमनअकेलेऊपरआए।निरालाजीदेरसेलौटनेपरवहींसोसकतेहैं, यहसोचकरउनकेलिएएकबिस्तरऔरलगादियागयाथा, लेकिनसुमननेबतायाकिनिरालाजीसोएँगेतोवहीं,जहाँठहरेहैंक्योंकिहोमवतीजीसेकहकरनहींआएथे।लिहाजामैंनेउसीताँगेमेंउन्हेंबँगलेपरपहुँचादियाऔरटहलताहुआपैदललौटआया।
अगलेदिनसवेरेहीहोमवतीजीकेयहाँदेखनेगयाकिसबकुछठीक-ठाकतोहै, तोहोमवतीजीनेअलगलेजाकरमुझेकहा, ''भैया, तुम्हारेकविजीनेकलशामकोबाहरजोकियाहो, यहाँतोबड़ेशांतभावसे, शिष्टढंगसेरहतेहैं।''
मैंनेकहा, ''चलिए, आपनिश्चिंतहुईंतोहमभीनिश्चिंतहुए।योंडरनेकीकोईबातथीनहीं।''
दूसरेदिनमैंशामसेहीनिरालाजीकोअपनेयहाँलेआया।भोजनउन्होंनेवहींकियाऔरप्रसन्नहोकरकईकविताएँसुनाईं।काशकिउनदिनोंटेपरिकार्डरहोते-'रामकीशक्तिपूजा'अथवा'जागोफिरएकबार'अथवा'बादलराग'केवेवाचनपरवर्तीपीढिय़ोंकेलिएसंचितकरदिएगएहोते।प्राचीनकालमेंकाव्य-वाचकजैसेभीरहेहों, मेरेयुगमेंतोनिरालाजैसाकाव्य-वाचकदूसरानहींहुआ।
रघुवीरसहायनेलिखाहै, ''मेरेमनमेंपानीकेकईसंस्मरणहैं।''निरालाकेकाव्यकोअजस्रनिर्झरमानकरमैंभीकहसकताहूँकि'मेरेमनमेंपानीकेअनेकसंस्मरणहैं- अजस्रबहतेपानीके, फिरवहबहनाचाहेमूसलाधारवृष्टिकाहो, चाहेधुआँधारजल-प्रपातका, चाहेपहाड़ीनदीका, क्योंकिनिरालाजबकवितापढ़तेथेतबवहऐसीहीवेगवतीधारा-सीबहतीथी।किसीरोककीकल्पनाभीतबनहींकीजासकतीथी- सरोवर-साठहरावउनकेवाचनमेंअकल्पनीयथा।'
औरक्योंकिपानीकेअनेकसंस्मरणहैं, इसलिएउन्हेंदोहराऊँगानहीं।
उन्हींदिनोंकेआसपासउनसेऔरभीकईबारमिलनाहुआ; दिल्लीमेंवहमेरेयहाँआएथेऔरदिल्लीमेंएकाधिकबारउन्होंनेमेरेअनुरोधकियेबिनाहीसहजउदारतावशअपनीनईकविताएँसुनाईं।फिरइलाहाबादमेंभीजब-तबमिलनाहोता; परकवितासुननेकाढंगकाअवसरकेवलएकबारहुआक्योंकिइलाहाबादमेंधीरे-धीरेएकअवसादउनपरछातागयाथा,जोउन्हेंअपनेपरिचितोंकेबीचरहतेभीउनसेअलगकरताजारहाथा।पहलेभीउन्होंनेगायाथा :
मैंअकेला
देखताहूँआरही
मेरीदिवसकीसांध्यवेला।
... ...
जानताहूँनदीझरने
जोमुझेथेपारकरने
करचुकाहूँ
हँसरहायहदेख
कोईनहींभेला।
अथवा
स्नेहनिर्झरबहगयाहै
रेत-सातनरहगयाहै
... ...
बहरहीहैहृदयपरकेवलअमा
मैंअलक्षितरहूँ, यह
कविकहगयाहै।
लेकिनइनकविताओंकेअकेलेपनअथवाअवसादकास्वरएकसंचारीभावकाप्रतिबिंबहैजिससेदूसरेभीकविपरिचितहोंगे।इसकेअनेकवर्षबादके,
बाँधोननावइसठाँव, बंधु
पूछेगासारागाँव, बंधु!
काअवसादमानोएकस्थायीमनोभावहै।पहलेकास्वरकेवलएकतात्कालिकअवस्थाकोप्रकटकरताहैजैसेऔरभीपहलेकी'सखिवसंतआया'अथवा'सुमनभरनलिए, सखिवसंतगया'आदिकविताएँप्रतिक्रियाअथवाभावदशाकोदर्शातीहै।लेकिन'अर्चना'औरउसकेबादकीकविताओंमेंहताशअवसादकाजोभावछायाहुआदीखताहैवहतत्कालीनप्रतिक्रियाकानहीं, जीवनकेदीर्घप्रत्यवलोकनकापरिणामहैजिससेनिरालाजब-तबउबरतेदीखतेहैंतोअपनेभक्ति-गीतोंमेंही :
तुमहीहुएरखवाल
तोउसकाकौननहोगा।
अथवावेदुखकेदिन
काटेहैंजिसने
गिन-गिनकर
पल-छिन, तिन-तिन
आँसूकीलड़केमोतीके
हारपिरोये
गलेडालकरप्रियतमके
लखनेकोशशिमुख
दु:खनिशामें
उज्ज्वल, अमलिन।
कहनहींसकता, इसस्थायीभावकेविकासमेंकहाँतकमहादेवीजीद्वारास्थापितसाहित्यकारसंसदकेउनकेप्रवासनेयोगदियाजिसमेंनिरालाकेसम्मानमेंदावतेंभीहुईं,तोमानोऐसीहीजोउन्हेंहिंदीकवि-समाजकेनिकटनलाकरउससेथोड़ाऔरअलगहीकरगईं।संसदकेगंगातटवर्तीबँगलेकोछोड़करहीनिरालाजीफिरदारागंजकीअपनीपुरानीकोठरीमेंचलेगए; वहींअवसादऔरभक्तिकायहमिश्रस्वरमुखरतरहोतागया।औरवहींगहरेधुँधलकेऔरतीखेप्रकाशकेबीचभँवरातेहुएनिरालाउसस्थितिकीओरबढ़तेगएजहाँएकओरवहकहसकतेथे, ''कौननिराला? निरालाइज़डेड!''औरदूसरीओरदृढ़विश्वासपूर्वक'हिंदीकेसुमनोंकेप्रति'सम्बोधितहोकरएकआहत; किंतुअखंडआत्मविश्वासकेसाथयहभीकहसकतेथे, ''मैंहीवसंतकाअग्रदूत''।सचमुचवसंतपंचमीकेदिनजन्मलेनेवालेनिरालाहिंदीकाव्यकेवसंतकेअग्रदूतथे।लेकिनअबजबवहनहींहैंतोउनकीकविताएँबार-बारपढ़तेहुएमेरामनउनकीइसआत्मविश्वासभरीउक्तिपरनअटककरउनके'तुलसीदास'कीकुछपंक्तियोंपरहीअटकताहैजहाँमानोउनकाकविभवितव्यदर्शीहोउठताहै- उसभवितव्यकोदेखलेताहैजोखंडकाव्यकेनायकतुलसीदासकानहीं, उसकेरचयितानिरालाकाहीहै :
यहजागाकविअशेषछविधर
इसकास्वरभरभारतीमुक्तहोएँगी
... ...
तमकेअमाज्यरेतार-तार
जो, उनपरपड़ीप्रकाशधार
जगवीणाकेस्वरकेबहाररेजागो;
इसपरअपनेकारुणिकप्राण
करलोसमक्षदेदीप्यमान-
देगीतविश्वकोरुको, दानफिरमाँगो।
इसअशेषछविधरकविनेदानकभीनहींमाँगा, परविश्वकोदिया- गीतदिया, परउसकेलिएभीरुकानहीं, बाँटते-बाँटतेहीतिरोधानहोगया : मैंअलक्षितरहूँ, यहकविकहगयाहै।