कहानीः अकेली
श्रद्धांजलि- मन्नू भंडारीहिन्दी की प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का सोमवार 15 नवम्बर 2021 को गुड़गाँव (हरियाणा) के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 90 वर्ष की थीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में...
View Articleपर्यावरणः हाइवे के बोझ तले गाँव की पगडंडी
-भारत डोगराकई हिमालय क्षेत्र में समय-समय पर ऐसे समाचार मिलते हैं कि किसी बीमार महिला या वृद्ध को कुर्सी या चारपाई या पीठ पर ही बिठाकर 5 से 15 कि.मी. की दूरी तय करते हुए इलाज के लिए ले जाना पड़ा। जहाँ एक...
View Articleलघुकथाः लाठी
- अर्चना राय"सुनिए जी, आज हमारा बेटा, बहू से कह रहा था कि, शहर में बनने वाला मकान कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा और वे लोग वहाँ चले जाएँगे।""चलो अच्छा है।"- वृद्ध ने ठंडी साँस भरते हुए कहा।" क्या अच्छा...
View Articleलघुकथाः रेलगाड़ी की खिड़की
-अंजू खरबंदा आजराकेश बहुत खुश था, होशियारपुर से शादी का बुलावा जो आया था । जिन्दगी की आपा-धापी के बीच अरसे बाद सभी से मिलना होगा । शान-ए-पंजाब से जाना तय हुआ । सर्दी हल्की हल्की दस्तक देने लगी थी,...
View Articleयात्रा संस्मरणः कला की अमूल्य निधियाँ : एलोरा अजन्ता
दक्षिण-प्रवास के कुछ अनुभव-यशपाल जैनदक्षिणमें पग-पग पर कला की अमूल्य निधियाँ बिखरी पड़ी हैं। लेकिन जिनकी ख्याति भारत मेंही नहीं, सारे संसार के इतिहास में है वे हैं एलोरा और अजन्ता की गुफाएँ। निस्संदेह,...
View Articleकविताः मुस्कुराती हुई स्त्री
-रश्मि विभा त्रिपाठीमैं मुस्कराना चाहती हूँधरती के उस पाँचवें छोर परजहाँ मेरे बिखरे स्मित कीचमकचहक कर चाँद चुनेरात अथवा दिनकोई धारणा बनाए बिनमेरा मन्तव्यगौर से सूरज सुनेमेरी हँसी का दूसरा अर्थनिकाले न...
View Articleसमाजः स्कूल में भूत का नज़ारा
-संतोष शर्मास्कूल के शौचालय में जाने के बाद 10वीं कक्षा की छात्रा शम्पा कुंडू दौड़ती हुई क्लास रूम में लौटी और भूत-भूत कहती हुई बेहोश होकर फर्श पर गिर गई। शम्पा की ऐसी डरी हुई हरकत देख क्लास की अन्य...
View Articleअनकहीः प्रदूषण फैलाती गाड़ियाँ...
- डॉ. रत्ना वर्माजाड़ेका मौसम आते ही वायु- प्रदूषण को लेकर हो हल्ला शुरू हो जाता है। उद्योगों और गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ ठंड में प्रदूषण को दोगुना कर देता है। धरती पर बढ़ते प्रदूषण को लेकर पूरी...
View Articleइस अंक में
चित्र ः डॉ. सुनीता वर्माउदंती.com, दिसम्बर 2021वर्ष- 14, अंक- 4बीते समय के लिए मत रोइए, वो चला गया, और भविष्य की चिंता करना छोड़ो, क्योंकि वो अभी आया ही नहीं है, वर्तमान में जियो, इसे सुन्दर बनाओ ! -...
View Articleजीवन दर्शनः दयालु बनें
-विजय जोशी ( पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)दयामानव को ईश्वर प्रदत्त श्रेष्ठ गुण है। दया ही वह गुण है जो हमारे सारे रिश्तों को परिभाषित करता है। उन्हें ठोस आधार प्रदान करते हुए स्थायित्व...
View Articleदोहे: साल नया गुलजार हो
- डॉ. उपमा शर्मा1.नए वर्ष में लें सभी, मिलकर यह संकल्प।लगन और परिश्रम का, दूजा नहीं विकल्प।2.मिटे कष्ट का कोहरा, खुशियाँ मिले सहर्षसौगातों की धूप से , भाये फिर नववर्ष।3.साल नया गुलजार हो, मिले सभी को...
View Articleसेहत: हल्दी के औषधीय गुण
- डॉ. डी. बालसुब्रमण्यनभारतके हर रसोईघर में पकने वाले भोजन में हल्दी किसी न किसी रूप में इस्तेमाल होती है। हमारे दैनिक भोजन में या तो कच्ची हल्दी या हल्दी पाउडर के रूप में डाली जाने वाली हल्दी में...
View Articleकिताबें : भाव जगत को झंकृत करता; लम्हों का सफर
-डॉ. शिवजी श्रीवास्तवसमीक्ष्य कृति- लम्हों का सफर, कवयित्री- डॉ. जेन्नी शबनम. पृष्ठ संख्या- 112, संस्करण-प्रथम 2020, मूल्य- ₹120/- प्रकाशक-हिन्द युग्म ब्लू,सी-31, सेक्टर 20, नोयडा (उ.प्र.)- 201301...
View Articleलघुकथाः भविष्य में
- पवन शर्मावोएक छोटा-सा टपरीनुमा होटल है। साफ-सुथरा। भट्टी पर चाय उबल रही है। दो तरह का नमकीन और बिस्कुट के पैकेट काँच की बरनियों में बड़े करीने से रखे हुए हैं।‘अभी कहाँ पोस्टिंग है तुम्हारे बेटे की?’...
View Articleक्षणिकाएँ : सर्द रातों में
- भुवनेश्वर चौरसिया ‘भुनेश’1. सपनाजो लोग सोते हुए अमीर बनने केसपने देखते हैं।वही लोग जागते हुए हाथ पर हाथ धरेअपने घरों के दालान में बैठेघर की शोभा बढ़ाते हैं।2. दादलोहा मनवाना तोकोई उन से सीखेजो लोग...
View Articleलघुकथाः माँ
- भावना सक्सैनाहेलो, हाँजी, हाँजी...हाँ, लेकिन वो तो साइकिल चलाता ही नहीं आजकल।क्या कह रहे हैं... कहाँ, कैसे... ओहमैं कहीं रास्ते मे हूँ उसके पापा पहुँचते हैं। मैं उन्हें बताती हूँ।उसको लगी तो...
View Articleकहानी: सोहावन भैया
-सारिका भूषणसोहावन भैया या सुहावन भैया ठीक से याद नहीं कि असली नाम क्या था । मगर गहरा रंग , गठीला बदन, गोल - गोल आँखें और सबसे ज़्यादा याद है उनकी लम्बी मूँछें । गाँव में तो सारे भैया जी लोग जो नाना जी...
View Articleबालकथाः चालाक लोमड़ी और मूर्ख भालू
स्पेनी लोककथा पर आधारित-प्रियंका गुप्ताकिसी जंगल में अपने दो छोटे बच्चों के साथ टिक्की नाम की एक लोमड़ी रहती थी । उसी जंगल में उसका एक मित्र भी था-मिक्की भालू । टिक्की जितनी अधिक चालाक थी, मिक्की उतना...
View Articleकविताः भोर की लालिमा में
- डॉ. कविता भट्टजब वो हँसता है ना;तो लगता है जैसे -असंख्य गुलाबी फूलभोर की लालिमा मेंस्नान कर; हो गए हों-और भी सुकुमार !जैसे रजनीगंधा नेबिखेरी हो सुगन्धआँचल की अपने!जैसे मोती- भरे सीपभर लाई षोडशी...
View Articleहाइकुः मन के पूरब में सूरज उगा
कमला निखुर्पा1रात ओढ़ाएमोतियों की चादरठिठुरी धरा।2किससे कहेकसक गलन कीजमें हैं सब।3ढूँढती रहीबर्फीली नगरी मेंनेह की आँच।4सोया है जगकोहरे से लिपटरोया है कोई।5लम्बी है रातकोई तो सुलगा देयादों की आग।6धरा के...
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