हिन्दी की यादगार कहानियाँ
डॉ.परदेशी राम वर्मा की कहानीहिन्दी और छत्तीसगढ़ी में समान रूप से लिखकर देश भर में पहचान बनाने वाले चुनिंदा साहित्यकारों में से एक डॉ.परदेशी राम वर्मा ने कहानी, उपन्यास, संस्मरण, जीवनी, निबंध, शोध...
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कहानी कला के उस्ताद कमलेश्वर कथाकार कमलेश्वर की कहानी जार्ज पंचम की नाक हिन्दी कहानी संसार की अद्भुत प्रस्तुति मानी जाती है। जार्ज पंचम की मूर्ति की टूटी हुई नाक के बहाने कहानीकार ने स्वतंत्र देश के...
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यशस्वी रचनाकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'हिन्दी की यादगार कहानियां शृंखला में इस बार प्रस्तुत है ‘अज्ञेय’की विशिष्ट कहानी....। कहानी, कविता, उपन्यास एवं निबंध विधाओं को समृद्ध करने वाले...
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भुवनेश्वर की एक गुमनाम कहानी भुवनेश्वर का जन्म 1910 उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। एक प्रतिष्ठित वकील का पुत्र होने के बावजूद उनका जीवन अर्थाभाव में बीता। भुवनेश्वर की माँ बचपन में ही गुजर गई...
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युगप्रवर्तक साहित्यकार गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर विलक्षण व्यक्तित्व के धनी, बहुआयामी कलाकार और युगप्रवर्तक साहित्यकार हैं गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर। देश और विदेश में उनके मूल्यवान साहित्य पर...
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पं.माधवराव सप्रे की कालजयी कहानी19 जून 1871 को मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित गांव पथरिया में जन्में पं. माधवराव सप्रे ने छत्तीसगढ़ में साहित्य, पत्रकारिता एवं शिक्षा के क्षेत्रों में वंदनीय कार्य...
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जैनेन्द्र कुमार कीकहानी कला जैनेन्द्र कुमार प्रेमचंद युग के महत्त्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। उनकी प्रतिभा को प्रेमचंद ने भरपूर मान दिया। वे समकालीन दौर में प्रेमचंद के निकटतम सहयात्रियों में से एक थे...
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कलाकार मन को टटोलतीफणीश्वरनाथ रेणु की कहानीफणीश्वरनाथ रेणु एक ऐसे कथाकार थे जिन्होंने आजादी के बाद स्वप्न-भंग पर सर्वाधिक चर्चित कृतियों का सृजन किया है। मैला आंचल जैसे प्रख्यात और दुर्लभ उपन्यास के...
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बख्शी जी की अद्वितीय कहानीपदुमलाल पुन्नालाल बख्शी छत्तीसगढ़ के पहले हिन्दी साधक हैं जिन्हें राष्ट्रीय ख्याति मिली। सरस्वती जैसी महत्वपूर्ण पत्रिका का उन्होंने संपादन किया। भारत में कला एवं संगीत के...
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मुक्तिबोध कीअविस्मणीय कहानी गजाननमाधव मुक्तिबोध की अत्यंत चर्चित और अविस्मणीय कहानी ‘ब्रह्मराक्षस का शिष्य’ 1957 में नया खून में प्रकाशित हुई थी। तब से लेकर अब तक इस कहानी पर लगातार चर्चा हुई है। इस...
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उपन्यास सम्राट प्रेमचंद31जुलाई 1880में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे मुंशी प्रेमचंद ने प्रारंभ में उर्दू में लेखन किया। कुछ एक वर्षों के बाद वे हिन्दी में आए और अपनी विलक्षण प्रतिभा के दम पर...
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समाज का दर्पण... - डॉ. रत्ना वर्मा मासिकपत्रिका उदंती का प्रकाशन 2008 अगस्त में जब प्रारंभ किया गया था तब इसकी विषयवस्तु की रूपरेखा बनाते समय उदंती को सामाजिक सरोकारों की एक विचारवान्पत्रिका के रूप...
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उदंती- दिसम्बर 2015जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त...
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गुरु की तलाश - प्राण शर्मा जबमैं ग्यारह - बारह साल का था तब मेरी रुचि स्कूल की पढ़ाई - लिखाई में कम और फ़िल्मी गीतों को सुनने और गाने में अधिक थी। नगीना, लाहौर, प्यार की जीत, सबक , बाज़ार, नास्तिक,...
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ए टी एम कार्ड -शशि पाधापंजाब नैशनल बैंक में ‘ए टी एम’ कार्ड बनवाने के लिए गई थी मैं उस दिन। उस बैंक में किसी को जानती नहीं थी अत: अन्य लोगों की तरह फ़ार्म भरवाने वाले कलर्क के पास लगी कुर्सियों पर बैठ...
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एक स्वाभिमानी व्यक्तिः जवाहर चौधरी- रूप सिंह चन्देलमेरापरिचय उनके बड़े पुत्र से था। बड़े पुत्र यानी आलोक चौधरी से। आलोक से परिचय पुस्तकों के संदर्भ में हुआ था। शब्दकार प्रकाशन, जिसे उन्होंने 1967 में...
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शेक्सपियर को खेलते और पढ़ते हुए- विनोद साववर्ष1966से 1972के बीच हम शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, पाटन के छात्र थे और हमारे पिता अर्जुन सिंह साव वहाँ के प्राचार्य थे। पिता ने हमें शेक्सपियर के नाटकों को...
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डॉ. शैलेन्द्र कुमार त्रिपाठीतब नहीं पता था उनसे वह अंतिम भेंट होगी-सुधेशशान्ति निकेतन के विश्वभारती विश्व विद्यालय के हिन्दी भवन में हिन्दी के प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्षडा शैलेन्द्र त्रिपाठी का निधन 27...
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धोबी-धोबिन का संसार-सुधा भार्गवजब मैं छोटी थी धोबी गंदे कपड़े लेने आता था और धोबिन उन्हें देने आती। वे दादी-बाबा के समय से कपड़े धोते थे। दोनों ताड़ की तरह लंबे और काले थे। पर कालू होने पर भी मुझे बहुत...
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भुलाए नहीं भूलतीअबूझमाड़ की वह पद यात्रा-गिरीश पंकजज़िंदगी भर न भूल पाने वाली सौ किलोमीटर की पद यात्रा है वो. 26 जनवरी से शुरू हुई और 30जनवरी को ख़त्म हुई. सन 2014 की बात है। बस्तर का अबूझमाड़, जहाँ आम...
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