अर्पण
एक हाथ से दिया दानहज़ारों हाथों से लौट आता है...- डॉ. नीलम महेन्द्र एकहाथ से दिया गया दान हज़ारों हाथों से लौट कर आता है, जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं।दान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान,...
View Articleपरिवार
भूत और भविष्य के सेतु हमारे बुजुर्ग - शशि पाधाघनीशाखाओं वाले विशाल बरगद की ठण्डी छाँव हर थके हारे प्राणी की थकान तथा चिन्ताएँ हर लेती है। जो वृक्ष वसन्त की उन्मुक्त, शीतल पवन तथा...
View Articleजीवन मूल्य
कभी हार न मानें -चन्द्र प्रभा सूदबारम्बारदुखों और कष्टों के आने पर भी जो मनुष्य गिरगिट की तरह अपना रंग नहीं बदलता अर्थात अपने अपने जीवन मूल्यों का त्याग नहीं करता, ऐसे ही खरे...
View Articleदोहे
हो सबका अभिमान- डॉ. ज्योत्स्ना शर्माकहीं रहूँ सुखकर बहुत, सारा ही परिवेश।मधुरिम हिन्दी गीत जब, बजते देश-विदेश।।1तुच्छ बहुत वह जन ‘बड़ा’, निन्दित उसका ज्ञान।अपनी हिन्दी का नहीं, जिसके मन सम्मान।।2 करना...
View Articleअच्छे दिन:
ताकि बहुर सकें हिन्दी के दिन- जगदीप सिंह दाँगीहिंदीविश्व के सबसे बढ़े लोकतंत्र भारत की राजभाषा है। यह देश में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली...
View Articleप्रकृति
एक पेड़ की दुनिया -दीपाली शुक्लाएकपेड़, शीशम का पेड़। इस पेड़ के इर्द-गिर्द तरह-तरह के पेड़ हैं। सब हरे-भरे हैं बस शीशम के पेड़ को छोड़कर। यह सूखा है, भूरे खुरदरे तने और उसके चारों तरफ लटकी सूखी लताओं...
View Articleग़ज़ल
इस जहान में-देवमणि पांडेयपरवाज़ की तलब है अगर आसमान में ख़्वाबों को साथ लीजिए अपनी उड़ान में मोबाइलों से खेलते बच्चों को क्या पता बैठे हैं क्यूँ उदास खिलौने दुकान में ये धूप चाहती है कि कुछ गुफ़्तगू...
View Articleमनोविज्ञान
लिफाफा देखकर मजमून भाँपना- डॉ. डी बालसुब्रमण्यनअक्सरलोग पहली बार मिलने पर ही व्यक्ति के बारे में उसकी शक्ल-सूरत के आधार पर राय कायम कर लेते हैं। यह वैसे ही है जैसे किसी किताब के कवर को देखकर राय कायम...
View Articleनववर्ष
नएपन का संकल्प- डॉ. श्याम सुन्दर दीप्तिधामिर्ककर्मकाण्डों के प्रति शुरू से ही सवाल उठाता रहा हूँ। वह चाहे व्रत की बात थी या जन्म, ब्याह, मौत को लेकर उनसे जुड़ी रस्मों की बात। इसी सिलिसले में यही याद...
View Articleवैश्विक परिदृश्य 2017 में पर्यावरणः
अब मनुष्य के विलुप्त होने की सम्भावना - डॉ. ओ.पी.जोशीवर्ष 2017 में पर्यावरण से सम्बंधित कई घटनाएँ घटीं (विशेषकर विनाशकारी) एवं बिगड़ते पर्यावरण पर चेतावनी स्वरूप कई रिपोर्ट्स भी जारी की गई। प्रस्तुत है...
View Articleचिंतन
रंगीन होती 31 दिसम्बर की रात- डॉ. महेश परिमलक्याकोई मान सकता है कि न कोई मूर्ति, न कोई आरती, न कोई गीत, न कोई तस्वीर, न कोई सरकारी छुट्टी, इसके बाद भी 31 दिसम्बर की रात लोग झूम पड़ते हैं। डांस करते...
View Articleचौपाई
सरस्वती वंदना-ज्योत्स्ना प्रदीपअखिल जगत की अधिष्ठात्री हो,जननी जग की औ धात्री हो।तेजोमय हो अमिट जोत हो,स्नेह राग से ओतप्रोत हो।मंजुल ,सुंदर ,ललित ,कलित हो,तर देती जब मनुज भ्रमित हो।धवल वसन में...
View Articleउत्सव
प्रकृति का उल्लास पर्व वसन्त- कृष्ण कुमार यादवमैं ऋतुओं में न्यारा वसंत,मैं अग-जग का प्यारा वसंत।मेरी पगध्वनि सुन जग जागा,कण-कण ने छवि मधुरस माँगा।।नव जीवन का संगीत बहा,पुलकों से भरा दिंगत।मेरी...
View Articleअनकही
घटते जीवन मूल्य...- डॉ. रत्ना वर्मा साल दर साल बीतते चले जा रहे हैं .... और ज़िन्दगी है कि बहुत ही मुश्किल होती चली जा रही है- लोग जैसे भागे चले जा रहे हैं। किसके पीछे भाग रहे हैं,पूछो तो कहते...
View Articleइस अंक में
उदन्ती.com-जनवरी- 2018 सत्य से कीर्ति प्राप्त की जाती है और सहयोग से मित्र बनाए जाते हैं। - कौटिल्यअनकही: घटते जीवन मूल्य... - डॉ. रत्ना वर्माउत्सव:प्रकृति का उल्लास पर्व वसन्त -कृष्ण कुमार...
View Articleसम्मान
गिरीश पंकज को मिला 'व्यंग्यश्री’व्यंग्य- विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार, वाचिक परम्परा के उन्नायक और हिन्दी भवन के संस्थापक पंडित गोपालप्रसाद व्यास के जन्मदिवस पर कल 13फरवरी को हिन्दी भवन के सभागार में...
View Articleजीवन दर्शन
बटन बंद करने की योग्यता- विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)एट्सो (एबिलिटी टू स्विच आफ) यानी बटन बंद करने की योग्यता, इस दर्शन से मुझे हाइडलबर्ग सीमेंट्स, जर्मनी की भारत इकाई के निदेशक श्री...
View Articleलोक कथा
फलों का पेड़बनने की कला- डॉ. अर्पिता अग्रवालकिसी गाँव में एक गरीब ब्राह्मणी अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी। ब्राह्मणी लोगों के घर खाना पकाती थी और जो कुछ मिलता था उससे ही घर का गुजारा चलता था। दोनों...
View Articleपुस्तक
कुछ अलग-थलग सीसफेद कागज-सुमित प्रताप सिंहलोकप्रियलोकसेवक एवं युवा कवि शैलेन्द्र कुमार भाटिया जी का हाल ही में प्रकाशित कविता संग्रह 'सफेद कागज’ को आज मैंने पढ़कर समाप्त किया है। इसमें संकलित 152...
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