मम्मीजीकीचितामेंउनकेएकमात्रलड़केनेआगदी।चिताधू-धूकरजलउठी।चंबलकेकिनारेकीतेज़हवानेआगमेंघीकाकामकियाथा।चिताकीप्रचण्डअग्निनेसर्दीकेउसमौसममेंभीपासखड़ेलोगोंकोकाफीगरमाहटकाअनुभवकरादियाथा।
करीब 70-80 लोगोंकीभीड़मेंरमनभीशामिलथा।रमननेबड़ेहीकौतूहलसेमम्मीजीकेअस्पतालजानेसेलेकरउनकेइलाजऔरउनकेमरनेतककीघटनाओंकेअलावाउन्हेंश्मशानघाटतकलेजानेमेंबरतीगईतमामपुरातनवादीरूढ़ियोंकोदेखाथा, उन्हेंसमझनेकाप्रयासकियाथा, परउसकीसमझमेंयहनहींआयाकिनियमोंकापालनक्योंआवश्यकथायाइनकेनमाननेसेक्यानुकसानहोजानेवालाथा।
मम्मीजीकेतीनदामादोंमेंरमनसबसेछोटादामादथा।मम्मीजीकीशवयात्रामेंशामिलहोनारमनकेलिएइसतरहकापहलाअनुभवथा।दसदिसंबरकीसुबहनहातेसमयमम्मीजीबाथरूममेंगिरगईंथीं।काफीखूननिकलाथा।उन्हेंतुरंतहीअस्पताललेजायागयाथा।डॉक्टरकाकहनाथाकिदिमागकीनसफटगईहै।
रमनसेजोकरतेबना, उसनेकिया।रमनकीपत्नीनेहातोअपनीमाँकीसेवाकेलिएरात-दिनअस्पतालमेंहीरही।रमनकीदोबड़ीसालियाँवमम्मीजीकीएकमात्रबहूअपनेपूरेदलबल सहितदोपहरकोअस्पतालपहुँचींथीं।शामतकपूरीटीममम्मीजीकेपासबैठनेकेबजायबाहरमटरगश्तीज्यादाकरतीथी।रमनजबभीवहाँपहुँचता - अपनीसालियोंकोकभीचायतोकभीकॉफीपीतेहुए, तोकभीबाहरसड़कपरटहलतेहुएपाताथा।एकबारउसनेपूछातोकहनेलगीं-''यहाँसर्दीकाफीहै।बच्चोंकोठण्डनलगजाए, इसलिएधूपकासेवनअत्यन्तजरूरीहै। (मानोयहाँवेमाँकीसेवाकेलिएनहीं,धूपकासेवनकरनेआतींथीं।) फिरमम्मीकोनेहातोदेखहीरहीहै।’
रमननेसवालकिया-''फिरआपलोगबच्चोंकोयहाँ क्योंलारहेहैं? कुछलोगघरठहरजायाकरें ........ कुछरातमेंआजायाकरें।’
छूटतेहीवहबोलीथीं-''मेरेबच्चेमेरेसाथहीआएँगे।मैंउन्हेंकिसीकेभरोसेछोड़करक्योंआऊँ? रातमेंबच्चोंकोयहाँ सुलानाठीकनहीं;क्योंकिबच्चोंकोइन्फेक्शनहोजाताहै।घरहीसबसेसुरक्षितजगहहै।मैंस्वयंइन्फेक्शनकेडरसेनहींआनाचाहती।परक्याकरूँ, माँ है, आनापड़ताहै।नहींआऊँगींतोलोगक्याकहेंगें? ( जैसेवहमोहल्लेवालोंकेतानोंकेडरसेयहाँ आरहींथीं।) दूसरेमम्मीभीतोनेहाकोहीमानतींहैं, अबनेहाहीउन्हेंदेखे।’
रमनइसजवाबसेनिरूत्तरहोगयाथा।दोनोंबहनेंवउसकीसलहजइसजवाबसेप्रसन्ननजऱआरहींथीं।वेसोचनेलगा-''शायदमैंहीबेवकूफहूँजोमयपरिवारकेयहाँ पड़ाहूँ।’

रमननेउसदिनकहहीदियाथा-''भाभीजी, आपकायहशृंगारयहाँशोभानहींदेता’
वहतपाकसेबोली-''आपक्याजानेननदोईजी? बहुतसारेडॉक्टरयहाँ आतेहैं।कुछेकउनकेमित्रभीहैं।उनकेमित्रभीमम्मीजीकोदेखनेआतेहीहैं।मुझेसादेकपड़ोंमेंदेखेंगेंतोक्याकहेंगें? कितनीबेइज्ज़तीहोगीइनकी? एकबड़ेव्यापारीकीपत्नीकेनातेमुझेयहसबपहननापड़ताहै।घरकीइज्ज़तकासवालजोहै।’
मम्मीजीकेएकमात्रसुपुत्रसलिलऔररमनकेएकहीअददसालेसाहबकोतोबिजनेससेहीफुरसतनहींमिलतीथी।हाँ, रोज़रातएकबारजरूरइधरसेहोकरजातेथे।रातमेंठहरनेकेनामपरदुकानकेनौकरकोबैठाजातेथे, जोआधासोतातोआधाऊँघतारहताथा।रातमेंग्लूकोज़आदिचढ़ातेसमयमम्मीजीकेहाथकोपकड़ेरहनापड़ताथा, क्योंकिअक्सरवहहाथकोझटकदेतींथीं।;इसलिएरातमेंरमनवनेहाबार- बारीसोतेवजागतेथे।
करीबसातवेंरोज़घरमेंमहामृत्युंजयकापाठप्रारम्भहोगयाथा, मम्मीजीकोमोक्षदिलानेकेलिए।साथहीएकव्यतिकीनियुक्तिअस्पतालमेंमम्मीजीकोभागवतपढ़करसुनानेकेलिएकरदीगईथी।मम्मीकेस्वस्थरहतेकोईउन्हेंएकछोटाकिस्साभीनहींसुनाताथा, परअबभागवतसुनाईजारहीथी।जबतकमम्मीठीकथीं, किसीकोउनकीचिन्तातकनथी, कोईखानेकोनहींपूछताथा, लावारिस-सीघरकेकोनेमेंपड़ीरहतींथीं।
जबरमनऐसीबातेंसुनताथा,तोउसकामनउन्हेंअपनेपासबुलानेकाहोजाता, परमम्मीनहींआतीं, कहदेतीं-''भैया, कुछहीदिनरहगएहैं, यहींगुजारलेनेदो।’
करीबआठवेंदिनसुबहहीमम्मीजीकाअस्पतालमेंदेहान्तहोगयाथा।तुरंतघरसेशेषदोबहनें, बहूवउनकेलड़केआगएथे।उसदिनबच्चोंकोघरपरहीरहनेदियागया।आतेहीसबमम्मीजीकेशरीरसेलिपटगए। (ऐसेवेसबपहलेनहींलिपटेथे।) थोड़ीहीदेरमेंपूरावार्डदहाड़मारकररोनेकीआवाज़ोंसेगूँजउठा।योंलगा, जैसेएकसाथकईलोगकत्लकरदिएगएहों।पाँचमिनटमेंहीसबशांतभीहोगयाथा।किसीकेचेहरेकोदेखकरनहींलगरहाथाकिउनकीआँखोंसेआँसूकाएककतराभीबहाहो।पूरासीनरमनकीआँखोंकेसामनेनाटककेरिहर्सलकीतरहसेनिकलगया।
मम्मीकेशवकोस्ट्रेचरपरडालनेकेवक्तचूँकिसलिलभाईसाहबअकेलेथे, रमननेसोचामम्मीकोउठानेमेंमददकरदूँ।अभीहाथबढ़ायाहीथाकिबड़ीसालीबोलउठी-''रमन, तुमहाथनलगाना।दामादहो, तुम्हाराहाथलगगया,तोमम्मीकोनरकजानाहोगा।’ मम्मीकेमरनेतकतोरमनसेवाकरतारहा।उससमयकिसीकोयादनहींआयाकिवहदामादहै।परचूँकिमम्मीकोमोक्षमिलनेकीबातथी, अतएवरमनअपनाहाथलगाकरउनकेमोक्षकेरास्तेकाद्वारबंदनहींकरनाचाहताथा।
मम्मीकोउठानासलिलभाईसाहबकेअकेलेकेबसकीबातनहींथी।फिरभीसलिलभाईसाहब, नेहाभाभीजीमम्मीकोउठाकरस्ट्रेचरपरलानेलगे।स्ट्रेचररमनकीदोनोंबड़ीसालियोंनेपकड़रखाथा।इससेपहलेकिशवस्ट्रेचरपरआपाता, वहफर्शपरजागिराथा।
रमनअछूतसादूरखड़ातमाशादेखतारहाथा।ज़मीनपरसेकिसीतरहफिरशवउठाकरस्ट्रेचरपरडाललियाथा।लाशघरपरलेजाईगईथी।आननफाननमेंलकड़ीकीटिकठीआदिकाप्रबंधहोगयाथा।करीब 20 किलोगुलाबकेफूल, इतनेहीमखानेमँगवालियेगएथे।एकआदमीको 100 रू0 कीरेजगारीभीलानेकोभेजदियागयाथा।उसेहिदायतदेदीगईथीकिएकऔरदोकेकलदारज्यादालानारुपयेफेंकतेसमयलगेगाजैसेकाफीतादादमेंरुपयेलुटाएजारहेहैं।कोईमामूलीबाततोथीनहीं।शहरकेएकप्रतिष्ठितव्यवसायीकीमाँ कीशवयात्राथी।उनकीसारीप्रतिष्ठादाँवपरलगीथी।कहींकोईयहनकहदे, लड़केनेमाँ केलिएकुछखर्चनहींकिया।
चूंकिदामादकाकोईरोलनहींथाइसलिएरमनऐसीजगहबैठगया, जहाँ सेसमस्तक्रियाकलापदेखाजासके।औरतेंजत्थोंमेंचलींआरहीथीं।जैसेहीवेलाशकेकरीबआतीं, सबकीसबएकसुरमेंदहाड़मारकररोपड़तीथी।क्यागज़बकासामंजस्यथा।कुछहीक्षणोंमेंफिरशांतिछाजातीथी।पहलेआईऔरतेंपीछेखिसककरमम्मीजीकेबारेमेंचर्चाकरनेलगतीं।भलेहीमम्मीजीकेजीतेजीकभीकानीआँखभीवेइधरनहींझाँकीहोंगीं, परअबमोहल्लेकीऔरतोंकाहुजूमइसीतरफथा।थोड़ीदेरबादआवाज़ेंआईं-''नातीकहाँ है?बुलवाओ, पैरतोछूलें।मम्मीकोमोक्षमिलजाएगा।’
रमनकिंकर्तव्यविमूढ़था।उसकेछूनेमात्रसेमम्मीकोनरकमिलसकताथा, परउसकेलड़केकेछूनेसेउन्हेंमोक्षकीप्राप्तिहोरहीथी।रमनकीदोनोंसालियांवसलहजअपने-अपनेलड़कोंकोलाशकीओरहाँकनेलगीं।एकाधकोतोइससिलसिलेमेंपीटभीदियागयाथा।अंतत: सभीमम्मीजीकेमृतशरीरकाचरणस्पर्शकरचुकेथे।
रमननेसोचाअच्छाहुआउसकेदोनोंसाढ़ूभाईनहींआए।वरनाउसकीतरहतमाशबीनबनेबैठेहोते।फोटोग्राफरभीबुलवालियागयाथा।मानोनईबहूकागौनाहोनेवालाहो।बैंडबाजेबनजेलगेथे।बाहरएकराहगीरनेपूछलियाथा-''क्यालड़काहुआहै?’ रमनक्याबोलता?
लाशपरकफनडालाजानेहीवालाथाकिसलिलभाईसाहबकीनिगाहशायदमम्मीकेगलेवहाथकीकलाईपरचलीगईथी।सोनेकीमोटीचेनवचूड़ियाँजोमिलाकर 5-6 तोलेकीथी।भाईसाहबनेलपककरनिकाललीं,जैसेकोईलेकरभागनेवालाथा।
शवट्रकपररखकरसबलोगचंबलकीओररवानाहोगए।आनेकोतोसभीआदमीएकहीट्रकपरआसकतेथे, परयहाँ प्रतिष्ठाकामामलाथा।चारट्रकखालीहीघाटतकगएथे।

लाशकोनहलाकरचितापररखदियागयाऔरमहापात्रकाइंतज़ारहोनेलगामुखाग्निदेनेकेलिए।उधरमहापात्रलाशपरपड़ीचादरमेंसेपैसेबीनरहाथा।पूरेपैसेढूँढलेनेकेबादहीवहलाशकेकरीबआयाथा।मंत्रोच्चारकेसाथहीभाईसाहबद्वाराअग्निदेनेकेबादचिताजलउठीथी।इसअग्निकोघरसेबड़ाहीसहेजकरलायागयाथा।
तभीरमनकीनिगाहदूरढेरपरचलीगईजहाँ लकड़ीकीअर्थियोंकाअंबारलगाथा।शायदसबफिरबाज़ारमेंबेचदीजाएँगीं, चारपाईआदिबनानेकेकामआजाएँगीं।पासहीलाशोंसेउतरीचादरोंकाढेरथा।इनकीभीबिक्रीअच्छेदामोंपरहोजाएगी।
तीसरेदिनघरकेसभीबड़ेचिताकीराखकोहंडियामेंभरनेकेलिएशमशानपहुँचे, ताकिउसेवाराणसी, इलाहाबाद, हरिद्वार, गयावपुरीजैसेस्थानोंपरपवित्रनदियोंमेंविसर्जितकियाजासके।इसकलशकोलेकरभाईसाहबकोहीजानाथा।जीतेजीभाईसाहबमम्मीकोअपनेसाथकहींनहींलेगए।वैसेहनीमूनमनानेअपनीबीवीकेसाथकश्मीरसेकन्याकुमारीतकजाचुकेथे।उनकाकहनाथा-''माँ केलिएइतनानकिया,तोलोगक्याकहेंगें?’ उन्हेंबारबारलोगोंकेकहेजानेकाडरखाएजारहथा।मम्मीकोइतनीजगहलेकरजानेकेपीछेभाईसाहबकाउद्वेश्यथा- अपनेव्यापारकाइनक्षेत्रोंमेंप्रसारकरना।
चंबलकेठण्डेपानीमेंजाड़ेकेदिननहाकरसबकीघिग्घीबँधगई।कईलोगोंकीनाकबहनेलगी, जिनकीनाकसुड़कनेकीआवाज़ेंरहरहकरआरहीथीं।घरपरअभीपंडितोंकेकईचोंचलेहोनेबाकिथे।दसवीं, एकादशी, तेरहीं.....।पंडितोंकोदान, नातेदारों, मोहल्लेवालोंकोभोजन, करीब 40-50 हजारकाखर्चथा।
माँ केइलाजसेलेकरउनकीतेरहींतककरीब 2.50 लाखरूपयेखर्चहुए।भाईसाहबकीहरजगहधाकजमगई।पंडितोंनेएकप्रकारसेमम्मीकेस्वर्गजानेकासर्टिफिकेटदेदियाथा।साथहीअगलेसालश्राद्धभीकरवानेकेलिएबोलगएथे।मम्मीकेअस्पतालमेंखर्चेंसेकहींअधिकखानेपरखर्चहुएथे;क्योंकिघरसेसबखालीपेटचलतेथे, ताकिहोटलमेंचाटडोसाआदिखायाजासके।मोटाखर्चाइसकेबादभाईसाहबकीविसर्जनयात्रापरहुआक्योंकिउनकापूरापरिवारसाथगयाथा।करीबमहीनेभरकेदौरेमेंसबलोगहोटलोंमेंठहरेथे।खाने, आनेजानेवकिराएआदिमेंखूबखर्चहुआ।
इतनेखर्चकेबावजूदभाईसाहबकाचेहराप्रसन्नतासेखिलाहुआथा।माँ केक्रियाकर्ममेंइतनेपैसेनष्टकरउन्होंनेंसमाजमेंअपनेलिएकाफीअच्छीजगहजोबनालीथी।
सम्पर्कः304,रिद्धिसिद्धिनगरप्रथम,बूंदीरोड, कोटाराजस्थान, मो0-9414746668, Email-racchu68@yahoo.com