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जीवन दर्शन

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अनुक्रिया एवं प्रतिक्रिया
- विजय जोशी
(पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)
जीवनमें हमारे साथ कोई घटना घटित होने पर केवल दो ही स्थिति उभरती हैं, प्रथम यह कि या तो हम सामने वाले के प्रति को अनुकूल क्रिया व्यक्त करते हैं या फिर प्रतिक्रिया अभिव्यक्त करते हैं.  इस में पहलेवाली स्थिति सकरात्मक या स्वस्थ है जब कि दूसरी ऋणात्मक या अस्वस्थ। पहली में जहाँ  आशावाद झलकता है, जो अंतत: स्थिति को ठीक से पूरी होने या सुलझाने में सहायता करती हैं वही दूसरी न केवल उसे उलझा देती है बल्कि कभी कभी बेहद कष्टकारी और विध्वंस का कारण भी बन सकती है।
एक बार एक रेस्टोरेंट में एक काक्रोच कहीं से आकर अचानक एक महिला पर जाकर बैठ गया। वह डरकर चीख उठी और आतंकित होकर कूद-फांद करने लगी। उसके दोनों हाथ किसी भी तरह कांक्रोच से छुटकारा पाना चाहते थे।
 उसकी प्रतिक्रिया इतनी तीव्र थी कि समस्त उपस्थित समूह भय से भर गया।
किसी तरह उसने काक्रोच से छुटकारा पाया, लेकिन अब वही काक्रोच अब दूसरी महिला को उपकृत कर रहा था। अब उसके मंच पर दूसरी महिला भी वही दृश्य दोहरा रही थी। इस तरह पूरा समूह इस प्रक्रिया में नृत्य मग्न हो गया।
 तभी वहाँ पर एक वेटर मदद के लिये आगे आया। अपनी रिले रेस के तहत अब वही काक्रोचवेटर की भी सवारी कर रहा था, लेकिन वेटर निर्भय होकर खड़ा रहा तथा उस प्राणी का व्यवहार अपनी कमीज पर देखा और स्थिति थोड़ी शांत हुई तो आत्मविश्वास पूर्वक उसे पकड़ा और होटल के बाहर छोड़ आया।
आईये अब घटना का विश्लेषण करें। क्या इस दृश्य के लिए वह अदना सा काक्रोच उत्तरदायी था, तो फिर वेटर क्यों नहीं घबराया। वेटर ने तो पूरी निपुणता से अपने काम को अंजाम दिया था।
दरअसल यह काक्रोच नहीं बल्कि उसके कारण मानस में जो उथल-पुथल हुई उस स्थिति को ढंग से निपटाने की अयोग्यता का उदारण था।
 कई बार हम अपने वरिष्ठ या पत्नी या बड़ों की झल्लाहट या डाँट से परेशान हो जाते हैं। वास्तव में तो यह उस परेशानी को निपटा पाने की हमारी योग्यता के अभाव की सूचक है। समस्या से अधिक तो हमारी उसके प्रति प्रतिक्रया हमारी परेशानी का मूल कारण है।
मतलब एकदम साफ है हमें जीवन में तुरंत बगैर सोचे समझे प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए। हमें विपरित परिस्थिति में भी अनुकूल या शांति से व्यवहार करने की कला  को करना सीखना चाहिये। प्रतिक्रिया (Reaction) सदा बगैर सोची समझी प्रक्रिया होती हैं, जबकि अनुकूल क्रिया (Response) अच्छी तरह सोच समझकर उठाया गया कदम। जीवन में संबंध निर्वाह के मामलों में तो यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है ताकि हम क्रोध, चिंता, तनाव या जल्दबाजी से ऊपर उठकर सही और सामायिक निर्णय ले सकें।
सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल- 462023, मो. 09826042641E-mail- v.joshi415@gmail.com

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