Quantcast
Channel: उदंती.com
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2168

ग़ज़लः1. नादाँ हूँ... 2. सूरज बन कर

$
0
0

  - विज्ञान व्रत







1. नादाँ हूँ...


क्या   तस्वीर   बनाई  थी

क्या  तस्वीर   दिखाई  दी


क्या    पूछो    बीनाई   की

तू   ही   तू   दिखलाई  दी


मैंने    लाख     दुहाई    दी

उसने  कब   सुनवाई   की


उसने आकर  महफ़िल  में

मंज़र    को    रानाई     दी


नादाँ   हूँ   क्या    समझूँगा 

ये      बातें    दानाई     की                                 


2. सूरज बन कर...


मुझको  अपने  पास  बुलाकर

तू  भी  अपने   साथ   रहाकर


अपनी   ही   तस्वीर   बनाकर 

देख  न  पाया  आँख  उठाकर


बे - उन्वान       रहेंगी        वर्ना 

तहरीरों  पर   नाम   लिखाकर 


सिर्फ़    ढलूँगा    औज़ारों      में

देखो   तो  मुझको  पिघलाकर


सूरज  बन  कर   देख  लिया ना 

अब  सूरज-सा   रोज़  जलाकर



Viewing all articles
Browse latest Browse all 2168


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>