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चित्र- सुधा भार्गव |
अगर आप आपदाओं के बारे में सोचेंगे,तो वह आ ही जाएगी, अगर आप मृत्यु के बारे में गंभीरता से सोचते हैं,तो आप अपनी मौत की ओर बढ़ने लगते हैं , जब आप सकारात्मक और स्वेच्छा से सोचेंगे,तब विश्वास और निष्ठा के साथ आपका जीवन सुरक्षित हो जाएगा।
-स्वामी विवेकानंद
अनकहीःजाते हुए साल में...- डॉ. रत्ना वर्मा
पर्यावरणः हरित पटाखे, पर्यावरण और स्वास्थ्य- सुदर्शन सोलंकी
कोविड-19ः इस महामारी का अंत कैसे होगा?
जयंतीः डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - शुचिता का सफ़रनामा - विजय जोशी
स्मरणः साहित्य के मूक साधक- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी - विनोद साव
आलेखःछत्तीसगढ़ और उड़ीसा की साझी संस्कृति - प्रो. अश्विनी केशरवानी
किताबेंः जाबाज़ वीरों की सत्य कहानियाँ- स्वराज सिंह
कहानीः पूरा चाँद अधूरी बातें -भावना सक्सैना
लघुकथा ः 1- प्रहरी, 2- मतदान से पहले - श्याम सुन्दर अग्रवाल
नवगीतः जागो! गाँव बहुत पिछड़े हैं - शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
क्षणिकाएँः वक्त की रेत पर, छोड़ने हैं निशाँ...! - प्रीति अग्रवाल
कविताःआखिरी पन्ना -रमेश कुमार सोनी
क्षणिकाएँः स्मृतियाँ - रश्मि शर्मा
व्यंग्यःदया के पात्र -विनय कुमार पाठक
कविताःहाँ मैं नारी हूँ! -डॉ. सुरंगमा यादव
आवरण-सुधा भार्गव की पेंटिंग - विभिन्न विधाओं पर लेखन- कहानी, लोककथा, लघुकथा, बालसाहित्य, निबंध, संस्मरण तथा कविताएँ। २१ वर्षों तक बिरला हाई स्कूल कलकत्ता में शिक्षण कार्य। किताबें सभी विधाओं में प्रकाशित। समय- समय पर संकलनों व अन्तर्जाल पत्रिका में रचनाएँ प्रकाशित। कोरोना के बाद kindle ebook पब्लिशिंग से जुड़ीं । बालसाहित्य से सम्बंधित उनकी 6 किताबों को kindle. amajon पर देखा जा सकता है।अपनी चित्रकला के बारे में सुधा जी कहती हैं - क्लांति से छुटकारा पाने के लिए उँगलियों ने तूलिका पकड़ी और रंगों में खो गई। उपर्युक्त पेंटिंग भी कोरोना काल की उपज है। जिसका शीर्षक दिया है -‘सतरंगी सपने’। इसको बनाने के बाद मुझे वैसा ही सुकून मिला जैसे प्यासे को पानी पीने के बाद।