जीवन दर्शनः क्षितिज पर ऊँटों की आहट
-विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याधजो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध जीवन की सुंदरता यही है इसमें अनिश्चितता निहित है। आदमी, समाज या...
View Articleप्रेरकः जितनी लम्बी चादर, उतने ही पैर पसारें
- निशांतखुशहालज़िन्दगी जिएँ, बरबाद ज़िन्दगी नहीं। दूसरों को दिखाने के लिए पैसा खर्च न करें। इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि दुनियावी वस्तुओं में वास्तविक संपत्ति नहीं है। अपने धन का नियोजन करें, धन...
View Articleकिताबें- धन्य हैं लोकतंत्र के धकियारे!
- मुकेश राठौरपुस्तक-भीड़ और भेड़िए (संस्करण 2022), लेखक- धर्मपाल महेंद्र जैन, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, लोदी रोड नई दिल्ली, मूल्य – रु.260/व्यंग्यकार श्री धर्मपाल महेंद्र जैन का सद्य प्रकाशित व्यंग्य...
View Articleचोकाः मन्नत के जो धागे
- रश्मि विभा त्रिपाठीमेरी खातिरनित नेम से बाँधेहर पहरमन्नत के जो धागेदुख सारे हीदुम दबाके भागेउन धागों मेंमेरा सुख अकूतपिरोके तूनेआँसू से मन्त्रपूतकर दिया हैचली टटोलने कोचिंता की नब्जछूकर मेरा माथाएक...
View Articleकविताः अक्सर याद आता है गाँव
- लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तवशहर में आ कर बस गया हूँयहाँ के मशीनी जीवन शैली में कस गया हूँयहाँ रहना जरूरी हैबच्चों को पढ़ाना जरूरी हैशहर में फैक्टरी कल कारखाने हैंगाँव में जीवनयापन के न कोई बहाने...
View Articleलघुकथाः नेताजी गाँव में
- विजयानंद विजयझक्कसफेद कपड़ों में नेता जी गाड़ी से उतरे और पूरी हनक से गाँव की ओर चल पड़े। आगे-आगे नेता जी, पीछे से उनकी जयकार करते उनके भक्त और समर्थक। कच्चे-धूल भरे रास्ते पर पड़ती कदमों की थाप से उड़ती...
View Articleलघुकथाः एक रिश्ता यह भी
- डॉ. उमेश महादोषी‘‘सुनो,छत पर जा रहे हो?’’ सुबह-सुबह मुझे जीने की तरफ जाते देख किचन में काम कर रही पत्नी ने टोका।‘‘नहीं यार! मैं तो सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने की एक्सरसाइज करने जा रहा हूँ।’’‘‘जीने पर चढ़ ही...
View Articleकविताः परिंदा
-स्वाति शर्मा बन जा परिंदों की तरहभर ले कामयाबी की उड़ानजो दिखे सबसे बड़ा पर्वतलगा दे उस से छलांग डरना नहीं गर विश्वास हो खुद परऔर अपने उस रब परवो साथ ज़रूर देगाहर मुसीबत में थाम लेगा थकना नहीं...
View Articleव्यंग्यः पद्मश्री और मैं
- यशवन्त कोठारीहरकाम बिल्कुल सुनिश्चित पूर्व योजना के अनुरूप हुआ। इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं था। मुझे यही उम्मीद थी, और मेरी उम्मीद को उन्होंने पूर्ण निप्ठा के साथ पूरा किया था। किस्सा कुछ इस तरह...
View Articleक्षणिकाएँ- मेरे कमरे की खिड़की
- प्रीति अग्रवाल, कैनेडा1.मैं नदिया होकर भी प्यासी,तुम सागर होकर भी प्यासे,गर ऐसा हैतो ऐसा क्यों,दोनों पानी.......दोनों प्यासे!2.उनींदी अँखियाँतलाशती सपनेंजाने कहाँ गएयही तो हुआ करते थे....उनके पूरे...
View Articleकहानीः माँ से मायका….
- डॉ. रंजना जायसवालरातका घना अँधेरा पसरा हुआ था, रात के चादर तले इन्सानों के साथ-साथ अब तो सारे सितारें भी सो चुके थे पर ईशा की आँखों में नींद कहाँ... एक अजीब सी बेचैनी ईशा महसूस कर रही थी। अंकुर नींद...
View Articleमालवी लोककथाः तीन प्रश्न
- चंद्रशेखर दुबेएकभाई ने अपनी बहन को बहुत दिनों से देखा नहीं था, इसलिए वह उससे मिलने के लिए उसकी ससुराल गया। भाई बेहद गरीब था, और बहन इत्तफाक से एक अमीर से ब्याह दी गई थी। भाई को देखकर बहन का जी भर आया...
View Articleयादें- जीवन के सफर में राही मिलते हैं बिछड़ जाने को...
- वीणा विज ‘उदित’तन्हाईका मंजर हो और पुराने फिल्मी गीत पार्श्व में बज रहे हों, तो अतीत के गवाक्ष या झरोखे खुलने लग जाते हैं और मन की गहराइयों से कई तस्वीरें उतरकर सामने मुँह निकालकर आपको उसी दौर में...
View Articleग़ज़लः सोचा नहीं
- धर्मेन्द्र गुप्तअपने बारे में कभी सोचा नहींठीक से दरपन कभी देखा नहीं भूखे बच्चे को सुलाऊँ किस तरहयाद मुझको कोई भी क़िस्सा नहीं आप मुझको तय करें मुमकिन नहींमैं कोई बाज़ार का सौदा नहीं ज़हन में हर...
View Articleविनोद साव से बातचीतः 'व्यंग्य'हिन्दी साहित्य का एक नवोन्मेष है
साक्षात्कारकर्ता : राजशेखर चौबेसाहित्यकी अन्य विधाओं की तुलना में हिन्दी व्यंग्य ज्यादा प्रकाशित हो रहे हैं। व्यंग्यकारों की संख्या अब पहले जैसी उँगलियों में गिने जाने योग्य भर नहीं रहीं। व्यंग्य के...
View Articleहाइबनः सर्कस का शेर
- भीकम सिंह उत्तरप्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर की दादरी के स्थानीय विधायक ने भारत सर्कस का उद्घाटन अपने कर कमलों से किया। परसों यह खबर स्थानीय समाचार पत्रों की सुर्खियों में रही और आज समाचार सुनकर...
View Articleरहन- सहनः वृद्धावस्था में देखभाल का संकट
- जुबैर सिद्दिकीविश्वभरमें वृद्ध लोगों की बढ़ती आबादी के लिए वित्तीय सहायता और देखभाल का विषय राजनैतिक रूप से काफी पेचीदा है। इस संदर्भ में विभिन्न देशों ने अलग-अलग प्रयास किए हैं।यू.के. में 2017में और...
View Articleआधुनिक बोध कथा- 7 - तेरी बार
- सूरज प्रकाशएकगाँव में दो लड़के रहते थे। दोनों कोई काम धाम नहीं करते थे और न ही पढ़ते ही थे।। दिन भर ऊधम मचाते।एक दिन दोनों के पिताओं ने एक फैसला लिया कि इन्हें धंधे पर लगाया जाए। पहले लड़के के पिता...
View Articleसमाजः अमेरिका में बंदूक संस्कृति के दुष्परिणाम
- प्रमोद भार्गवयहसच्चाई कल्पना से परे लगती है कि विद्या के मंदिर में पढ़ाई जा रही किताबें हिंसा की रक्त रंजित इबारत लिखेंगी ? लेकिन हैरत में डालने वाली बात है कि इन हृदयविदारक घटनाओं का एक लंबे समय से...
View Articleअनकहीः क्या हम भ्रष्टाचार रोक पाएँगे...
- डॉ. रत्ना वर्माभारतमें कोई सरकार अपने ही मंत्री को भ्रष्टाचार या कमीशनखोरी के लिए बर्खास्त करे या गिरफ्तार करवाए, तो चौंकने वाली खबर तो बनती है। हाल ही में पंजाब सरकार ने अपने ही मंत्री को कमीशनखोरी...
View Article