Quantcast
Channel: उदंती.com
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2168

लघुकथा

$
0
0
जागरूक
- कृष्णानंद कृष्ण
रातका सन्नाटा कुत्तों के लड़ने की आवाज से टूट जाता है। कुछ लोग धनगाँव एक्सप्रेस की प्रतीक्षा में  इधरउधर बैठे हुए हैं। रात गहरा गई है। कुछ मज़दूर ट्राफिक गोलम्बर पर सोये हुए हैं।
सिनेमा रोड से एक आदमी ट्रैफिक गोलम्बर की तरफ आता है। लड़खड़ाती चाल से पियक्कड़ तथा मैले कपड़े और अस्तव्यस्त केशों को देखकर पागल का अहसास होता है।
गोलम्बर के पास आकर वह रुकता है। सोये हुए लोगों को गौर से देखता है। फिर गिनती शुरू करता हैएक, दो, तीन .....दस....पंद्रह और अचानक रुक जाता है।
सोये हुए लोगों को एक बार फिर गिनता है। इर देखता है फिर चिल्लाने लगता है– ‘‘किसके आर्डर सोया है तुम लोग यहाँ? कौन है इस शहर का मालिक? हमको जवाब दो,ये लोग लावारिस के माफिक यहाँ क्यों सोए हुए हैं?’’
कोई कुछ नहीं बोलता है। वह आक्रोश की मुद्रा  में मुट्ठियाँहवा में उछालता है, ‘‘मैं पूछता हूँ ....कौन है यहाँ का मालिक...देखता क्यों नहीं....मेरे मासूम बच्चे भूखे फुटपाथ पर सोये हुए हैं।और सामने होटल के नीचे लड़ते कुत्तों को देखकर ठहाका लगाता है, बुदबुदाता है, ‘‘साले, तुम लोगों में भी भाईचारा नहीं रह गया क्या?’’
‘‘का हो काका, मस्ती बाँनू ?’’ एक रिक्शा वाला पूछता है। वह चिल्लाता है, ‘‘कमीनो, उड़ाओ मेरा मज़ाक, खूब उड़ाओ मेरा मज़ाक... लेकिन तुम लोग दो बजे रात को यहाँ किसके आर्डर से बैठे हो ? बताओ वो लोग गोलम्बर पर क्यों सोया है ? मैं जानता हूँ, तुममे से कोई कुछ नहीं बोलेगा। तुम्हारी जबान जो बंद है।’’
गोलम्बर पर सोये लोगों की ओर देखकर वह फिर चिल्लाता है, ‘‘आओ मेरे बच्चों, आओ ..... मैं तुम्हारे हक की लड़ाई लड़ूँगाकोई कुछ नहीं बोलता है। वह एक बार फिर चारों तरफ चौकन्नी नज़र से देखता है, फिर शुरू हो जाता है, ‘‘ठीक है मेरे बच्चो, तुम आराम से सोओ। मैं तुम्हारे हक की लड़ाई लड़ूँगा, अकेलेऔर सामने से आती एक काली कार के सामने खड़ा हो जाता है। हवा में मुट्ठियाँ भाँजते हुए चिल्लाता है, ‘‘तुम लोग देखता नहीं, मेरे बच्चे सोये हुए हैं....गाड़ी रोको....नहीं तो उनकी नींद टूट जायेगी।’’
गाड़ी का दरवाजा एक झटके से खुलता है। दो आदमी बाहर आते हैं और उसे पकड़कर गोलम्बर पर पटक जाते हैं।
वह गोलम्बर पर सोये लोगों के बीच में पड़ा बड़बड़ाता है
‘‘सालों.... तुम खूब नींद से सोओ... लेकिन मैं तुम्हारे हक की लड़ाई लड़ूँगा।...अकेले ....अकेले...।’’

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2168


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>