
जनवरी- फरवरी 2015
सबसे जीवित रचना वह है जिसे पढ़ने से प्रतीत हो कि लेखक ने अंतर से सब कुछ फूल सा प्रस्फुटित किया हो। - शरतचन्द्र
आवरण चित्रः राघव वर्मा- लघुकथा: संचेतना एवं अभिव्यक्ति - रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
- दुआ, नींद - रमेश बतरा
- ज़िंदगी, बेटी का ख़त - सुकेश साहनी
- बीमार, सहयात्री -सुभाष नीरव
- छोटे बड़े सपने, कट्टरपंथी - रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
- टूटी ट्रे, असली मुजरिम - श्याम सुन्दर अग्रवाल
- खेलने के दिन, अनर्थ - कमल चोपड़ा
- बेडिय़ाँ - डॉ. पूरन सिंह
- सच झूठ, हद - डॉ. श्याम सुंदर 'दीप्ति'
- पहला संगीत - अखिल रायजदा
- माँ, तोहफा - प्रेम गुप्ता 'मानी'
- रब करदा है सो, रोशनी - मुरलीधर वैष्णव
- माँ, युग परिवर्तन, मासूम अपराध - ऋता शेखर 'मधु'
- जहर की जड़ें, निर्मल खूबसूरती - बलराम अग्रवाल
- मर्यादा, बेखबर - डॉ. सुधा ओम ढींगरा
- मुआयना, आश्वस्त, गम - हरदर्शन सहगल
- अप्रत्याशित, विकल्प - शकुंतला किरण
- 21वीं सदी का सपना, स्त्री का दर्द - अमर गोस्वामी
- निरुत्त्तर, बोकरा भात - के. पी. सक्सेना 'दूसरे'
- प्रॉब्लम चाइल्ड, सच - शेफाली पाण्डेय
- मेरे अपने, इस बार - कमलेश भारतीय
- अंतहीन सिलसिला, सर्वशक्तिमान, कारण - विक्रम सोनी
- फेलोशिप, स्वाद - दीपक मशाल
- अन्धा, पीड़ान्तर, मूल्यांकन, बेकार - आलोक सातपुते
- सदुपयोग, समय चक्र, दो रुपये का अखबार - बालकृष्ण गुप्ता 'गुरु'
- एक सच्ची रिर्पोट, भूकंप पीडि़त - महेश राजा
- भूकंप, बाहर का मोह - डॉ. करमजीत सिंह नडाला
- खलल - आशीष दशोत्तर
- मानव धर्म, दीया तले -सुरेश शर्मा
- कागज की किश्तियाँ, रिश्ते - डॉ. अशोक भाटिया
- भूख, मिट्टी तेल और मेरिट - रवि श्रीवास्तव
- अमंगल, बीस जोड़ी आँखें, मिसाल - डॉ. शील कौशिक
- फीस, बड़ा होने पर - गंभीर सिंह पालनी