हर वर्ष एक बुरी आदत को मूल से खोदकर, फेंका जाए तो कुछ ही वर्षों में बुरे से बुरा, व्यक्ति भला हो सकता है।
- सुकरात
- सुकरात
अनकही:आज़ादी और आम आदमी -रत्ना वर्मा
कितना सर्जन, कितना विसर्जन: महासागर तक पहुँचने की शिक्षा -अनुपम मिश्र
आजादी का गीत:राष्ट्रगीत के सम्मान में न्यायालय का निर्णय -लोकेन्द्र सिंह
पर्व-संस्कृति:भादो का महीना और छत्तीसगढ़ का तीजा-पोला -सुशील भोले
प्रकृति:पंछियों की दुनिया से...-दीपाली शुक्ला
कहानी:मोलाना -शहादत
प्रेरक:मानवता का सबक -निशांत मिश्रा
लघुकथा: 1.लड़ाई, 2.हरेक में -खलील जिब्रान (अनुवाद: सुकेश साहनी)
टेक्नॉलॉजी:आप जो सोच रहे हैं वह टाइप हो जाएगा!! -सुबोध जोशी
हास्य व्यंग्य:मंगल ग्रह पर पानी -सुशील यादव
पर्यावरण:कैसे हो रहा है जल प्रदूषण -राजेश कुमार काम्बोज
कविता:बस इन्सान बनना है -डॉ. पूर्णिमा राय
जीवन दर्शन: 1.दिल बड़ा करिये, 2.प्यार करना सीखें... -विजय जोशी
प्राकृतिक आपदा: बचाव की पूर्व तैयारी -भारत डोगरा
न काहू से दोस्ती न काहू से बैरःक्यूँ...मन माँगे मोर -साधना मदान
कविता:तुझे जाना बहुत दूर है -अबुज़ैद अंसारी