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हाइबनः तुम बहुत याद आओगे

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  - प्रियंका गुप्ता

उस रात जाने क्यों मन थोडा उदास- सा था...अजीब सी बेचैनी। बहुत सारी बातें थी मन में; पर समझ नहीं आ रहा था कि बेचैनी थी आखिर किस बात पर। अजीब- सा अहसास। बहुत हद तक कारण अगले दिन समझ आ गया,जब शैडो के जाने की ख़बर मिली।

शैडो, कहने को किसी को जो हिकारत से कहा जाता है, वह था। यानी कि गली का कुत्ता, स्ट्रीट डॉग था वह। मेरी गली का एक वफादार बाशिंदा। बहुत सारे इंसानों से ज्यादा भावनाएँ मैंने उसमें देखी थी। इंसानी हिसाब से देखा जाए, तो वो एक दीर्घायु जीकर गया। तेरह साल की उम्र, जब कुत्तों की अधिकतम आयु शायद चौदह साल ही होती है।

अंतिम के तीन दिन, जब उसने खाना-पीना छोड़ा, उसके पहले तक वो सचमुच शैडो बनकर मेरे साथ चला। नाम उसका वैसे मोती था; पर जब वह इस मोहल्ले में आया था, जाने कैसे चुनमुन ने उसे `शैडो'बुलाना शुरू कर दिया था। वह अपने दोनों नाम पहचानता था, बातें समझता था। रात को मेरे गेट का ताला बंद होने से पहले अगर किसी दिन वो कहीं लापता होता और रोटी न खा पाता, तो दूसरे दिन सुबह गेट खोलते ही एक ख़ास अंदाज़ में शिकायत होती मुझसे और मेरे इतना कहते ही-हाँ-हाँ, समझ गए, कल खाना नहीं मिला था न, अभी देते हैं। बिलकुल शांत हो जाता था।

लम्बाई-चौडाई यूँ थी कि अपनी जवानी के दिनों में कि मजाल है कोई अनजान मोटरसाइकिल वाला भन्नाटे से सही सलामत गली से गुज़र सके। इसलिए बच्चों का लाडला था शैडो; क्योंकि गली क्रिकेट में फील्डिंग के साथ-साथ वो इस तरह के घुसपैठियों से भी सबको बचाता था।

एक वफादार साथी की तरह न जाने कितनी दूर तक वो अक्सर मेरे साथ चला है, एक बच्चे की तरह न जाने कितनी बार दो पैरों पर खड़े होकर गले लगा है और जाने कितनी बार किसी अनजान को मेरे दरवाज़े पर ऐंवेही फटकने से भी रोका था।

लोगो को अपनी भयानक आवाज़ से कँपा देने वाला शैडो हमारे झूठमूठ धमकाने पर यूँ दुबक जाता था कि बरबस हँसी आ जाती थी। जिसने उसे कुछ सालों पहले तक देखा था, वो उसे ‘गली का कुत्ता’ कहने की बजाय ‘गली का शेर’ ही कहते थे।

वह किसी एक का नहीं था, फिर भी सबका था। मौत को अपना बना वो तो अपने कष्टों से मुक्ति पा गया; पर आज भी जब मेरी ही तरह उसे इस गली के कई लोग याद करते हैं, तो ऐसे में मुझे उन लोगों पर तरस आता है, जो अपने कर्मों के कारण ऐसी याद से भी वंचित हैं, उस प्यार से वंचित हैं, जो एक ‘गली का कुत्ता’ पा गया।

शैडो के जाने के बाद उसकी विदाई में बस एक ही बात दिल में गूँजी थी- तुम बहुत याद आओगे, हमेशा याद आते रहोगे, हर उस पल में जब कोई साया साथ चलेगा।

वफ़ा की सीख

बेजुबान दे जाते

नेह से भरे।


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