$ 0 0 कमला निखुर्पा1मैं तो ये चाहूँ बूँद बन बरसूंमोती न बनूँपपीहे कोई पुकारेप्यास मैं बुझा पाऊँ। 2चाहत मेरी कस्तूरी सुगंध सीछुप के रहूँ महकाऊँ जो यादें खोजें जग हिरन ।3 पावन तुमवैदिक ऋचाओं सीजीवन यज्ञ समिधा बन जली पूर्णाहुति दे चली ।4.लो आई हवा लेके तेरा संदेशा रोये जो तुम भीगा मेरा आँचल गुमसुम मौसम ।