$ 0 0 -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ बहुत अँधेरा है बहुत उदासी है हवा बेरहम है कितनी प्यासी है! चीर अँधेरों को सूरज ले आएँ। आँसू हम पोंछें, ज़रा मुस्कुराएँ। निराशा को छोड़ें, चलो गुनगुनाएँ। दुखी सृष्टि के सब, दुख छीन लाएँ।