Quantcast
Channel: उदंती.com
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2207

कोरोना

$
0
0
कोरोना वायरस किसी प्रयोगशाला से नहीं निकला है
नए कोरोना वायरस की वजह से दुनिया परेशान है, वैज्ञानिक इसका इलाज ढूँढने में दिन-रात एक कर रहे हैं, सरकारें इसे फैलने से रोकने के कठिन प्रयास कर रही हैं। लेकिन पूरी कहानी में षडयंत्र की बू न हो तो कुछ लोगों को मज़ा नहीं आता। तो यह सुझाव दिया गया कि यह नया जानलेवा वायरस SARS-CoV-2 वुहान की प्रयोगशाला में बनाकर जानबूझकर छोड़ा गया है। हाल ही में स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने गहन विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट कर दिया है कि SARS-CoV-2 कहीं किसी प्रयोगशाला की साज़िश नहीं है। तो उन्होंने यह कैसे पता लगाया?
उनके शोध कार्य का ब्यौरा नेचर मेडिसिन शोध पत्रिका के 17 मार्च के अंक में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों के दल ने इन नए वायरस के जीनोम (यानी पूरी जेनेटिक सामग्री) की तुलना सात ऐसे कोरोना वायरसों से की जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं: सार्स, मर्स और सार्स-2 (ये तीनों गंभीर रोग पैदा करते हैं), HKU1, NL63, OC43और 229E  (जो हल्की बीमारी के लक्षण पैदा करते हैं)। शोधकर्ताओं का कहना है कि “हमारे विश्लेषण से साफ तौर पर पता चलता है कि SARS-CoV-2 प्रयोगशाला की कृति या जानबूझकर सोद्देश्य बनाया गया वायरस नहीं है।”
स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रतिरक्षा विज्ञान और सूक्ष्मजीव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टियान एंडरसन और उनके साथियों ने वायरस की सतह के उभारों के कंटक प्रोटीन का जेनेटिक सांचा देखा। कोरोना वायरस इन कंटकों का उपयोग किसी कोशिका की सतह को पकड़कर रखने और उसके अंदर प्रवेश करने के लिए करता है। शोधकर्ताओं ने इन कंटक प्रोटीन के दो प्रमुख गुणधर्मों के लिए ज़िम्मेदार जीन शृंखला को देखा। ये दो मुख्य गुणधर्म होते हैं - संडसी (हुक) और छेदक। संडसी वह हिस्सा होता है जो कोशिका की सतह पर चिपक जाता है और छेदक वह हिस्सा होता है जो कोशिका झिल्ली को खोलकर वायरस को अंदर घुसने में मदद करता है।
विश्लेषण से पता चला कि हुक वाला हिस्सा इस तरह विकसित हुआ है कि वह मानव कोशिका की बाहरी सतह पर उपस्थित ACE2 नामक ग्राहियों से जुड़ जाता है। जुड़ने में यह इतना कारगर है कि वैज्ञानिकों का ख्याल है कि यह जेनेटिक इंजीनियरिंग का नहीं बल्कि प्राकृतिक चयन का परिणाम है।
उन्हें ऐसा क्यों लगता है? SARS-CoV-2 एक अन्य वायरस का बहुत नज़दीकी सम्बंधी है जो सार्स के लिए ज़िम्मेदार होता है। वैज्ञानिकों ने इस बात का अध्ययन कर लिया है कि SARS-CoVऔर SARS-CoV-2 में क्या अंतर हैं। इनके जेनेटिक कोड में कई महत्त्वपूर्ण अंतर देखे गए हैं। लेकिन जब कंप्यूटर मॉडल तैयार किया गया तोSARS-CoV-2 के उत्परिवर्तन उसे मानव कोशिका से जुड़ने में बहुत मददगार नहीं रहे। यदि किसी प्रयोगशाला ने जानबूझकर ये परिवर्तन किए होते तो वे कदापि ऐसे उत्परिवर्तनों को नहीं चुनते जो कंप्य़ूटर मॉडल के हिसाब से मददगार नहीं हैं। अध्ययन का निष्कर्ष है कि प्रकृति कहीं अधिक चतुर है और उसने सर्वथा नए उत्परिवर्तनों को चुना है।
एक और मुद्दा है। कुल मिलाकर, इस वायरस की संरचना अन्य कोरोना वायरसों से बहुत अलग है। इसकी संरचना चमगादड़ों और पैंगोलिन में पाए जाने वाले वायरस के कहीं अधिक समान है। इन वायरसों का ज़्यादा अध्ययन नहीं हुआ है और इन्होंने मनुष्यों को हानि पहुँचाई हो, ऐसी कोई रिपोर्ट भी नहीं है।
“यदि कोई एक नया कोरोना वायरस एक रोगजनक के रूप में विकसित करना चाहता तो वह इसे किसी ऐसे वायरस की बुनियाद पर निर्मित करता जो जाना-माना रोगजनक हो।”
वायरस आया कहाँ से और कैसे? यह सवाल सिर्फ वैज्ञानिक रुचि का सवाल नहीं है बल्कि SARS-CoV-2 के भावी परिणामों से जुड़ा है। शोध समूह ने दो परिदृश्य प्रस्तुत किए हैं।
पहला परिदृश्य मानव आबादी को प्रभावित करने वाले कुछ ऐसे कोरोना वायरस से मेल खाता है जो सीधे किसी अन्य जंतु से आए हैं। सार्स के मामले में वायरस सिवेट (मुश्कबिलाव) से आया था और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) के मामले में वह ऊंट से मनुष्य में आया था। अनुसंधान से पता चला है कि SARS-CoV-2 चमगादड़ से मनुष्य में आया है। चमगादड़ से यह वायरस एक मध्यस्थ जंतु (संभवत: पैंगोलिन) में पहुंचा और वहां से मनुष्य में।
यदि यह परिदृश्य हकीकत है तो इस वायरस के मनुष्य में पहुँचने से पहले ही मनुष्य को संक्रमित करने की इसकी क्षमता (रोगजनक क्षमता) तैयार हो चुकी होगी।
दूसरा परिदृश्य यह है कि इसके रोगजनक लक्षण जंतु से मनुष्य में पहुंचने के बाद विकसित हुए हैं। पैंगोलिन में उत्पन्न कुछ कोरोना वायरस ऐसे हैं जिनमें हुक की संरचना SARS-CoV-2 जैसी होती है। इस तरह से पैंगोलिन ने वायरस को मनुष्य के शरीर में पहुँचा दिया और एक बार मनुष्य शरीर में प्रवेश के बाद वायरस ने बाकी के लक्षण (कोशिका के अंदर घुसने के लिए ज़रूरी औज़ार) विकसित कर लिए होंगे। एक बार कोशिका में घुसने की क्षमता आ जाए तो यह वायरस एक से दूसरे मनुष्य में फैलना संभव हो गया होगा।
इस तरह की तकनीकी जानकारी से लैस होकर वैज्ञानिक इस महामारी का भविष्य बता पाएँगे। यदि यह वायरस मनुष्य में पहुंचने से पहले ही रोगजनक था तो इसका मतलब है कि मनुष्यों में से इसके खात्मे के बाद भी यह सम्बंधित जंतु में पनपता रहेगा और फिर से हमला कर सकता है। दूसरी ओर, यदि दूसरा परिदृश्य सही है तो इसके वापिस लौटने की संभावना कम है क्योंकि तब इसे फिर से मानव शरीर में प्रवेश करके एक बार फिर नए सिरे से रोगजनक क्षमता विकसित करनी होगी।(स्रोत फीचर्स)

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2207

Latest Images

Trending Articles


Vimeo 10.7.1 by Vimeo.com, Inc.


Sapos para colorear


Long Distance Relationship Tagalog Love Quotes


Love with Heart Breaking Quotes


Re:Mutton Pies (lleechef)


Ka longiing longsem kaba skhem bad kaba khlain ka pynlong kein ia ka...


Vimeo Create - Video Maker & Editor 1.5.2 by Vimeo Inc


Vimeo 11.6.0 by Vimeo.com, Inc.


Doodle Jump 3.11.35 by Lima Sky LLC


UPDATE SC IDOL: TWO BECOME ONE


Girasoles para colorear


Presence Quotes – Positive Quotes


Letting Go Quotes


Love Song lyrics that marks your Heart


FORECLOSURE OF REAL ESTATE MORTGAGE


Hato lada ym dei namar ka jingpyrshah jong U JJM Nichols Roy (Bah Joy) ngin...


Vimeo 10.7.0 by Vimeo.com, Inc.


Doodle Jump 3.11.34 by Lima Sky LLC


RE: Mutton Pies (frankie241)


FORTUITOUS EVENT



Latest Images

<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>